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फिल्म देखने के बाद अक्सर एक्टर, एक्ट्रेस, डायरेक्टर पर ही चर्चा होती है, लेकिन
जनता से रिश्ता वडेस्क। फिल्म देखने के बाद अक्सर एक्टर, एक्ट्रेस, डायरेक्टर पर ही चर्चा होती है. फिल्म अच्छी होने पर तारीफ भी सिर्फ इन्हें ही मिलती है. लेकिन, एक फिल्म को बनाने में इन तीन लोगों का ही नहीं, बल्कि 100 से ज्यादा लोगों का सहयोग होता है. ये 100 से ज्यादा लोग मिलकर काम करते हैं तब एक फिल्म तैयार होती है. ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि एक्टर-एक्ट्रेस के साथ फिल्म में कितने लोग काम करते हैं, जिनकी वजह से 3 घंटे की एक फिल्म तैयार होती है…
किसी भी फिल्म को तैयार होने में तीन चरण में काम होता है. प्री प्रोडक्शन, दूसरा प्रोडक्शन और तीसरा होता है पोस्ट प्रोडक्शन. प्री प्रोडक्शन स्टेज में फिल्म की शूटिंग, कहानी को लेकर काम किया जाता है और प्रोडक्शन में फिल्म की शूटिंग की जाती है और तीसरे चरण में शूटिंग के बाद का काम होता है, जिसमें एडिटिंग आदि शामिल होती है. ऐसे में हर चरण के हिसाब से जानते हैं कि किस चरण में कौन-कौन लोग काम करते हैं और उनका क्या क्या काम होता है…
लेखक
यह फिल्म लिखता है कि फिल्म कैसी होगी होगी और फिल्म की कहानी क्या होगी. वैसे में कई बार कई लोग मिलकर एक कहानी लिखते हैं, जिसमें फिर सबका योगदान होता है.
डायलॉग राइटर
यह फिल्म के सभी डायलॉग लिखता है, जो एक्टर-एक्ट्रेस फिल्म में बोलते हैं.
स्क्रीन राइटर
यह फिल्म की कहानी, डायलॉग के आधार पर सीन डिजाइन करता है, जिसमें उसे स्क्रिप्ट के आधार पर सीन लिखने होते हैं कि कौनसा सीन किस तरह से शूट किया जाएगा.
लॉकेशन मैनेजर
लॉकेशन मैनेजर पूरी स्क्रिप्ट पढ़ता है और उस कहानी के हिसाब से लोकेशन पर काम करता है कि कौनसा सीन कहां शूट किया जा सकता है.
सेट डिजाइनर
सेट डिजाइनर आर्ट डिजाइनर के साथ काम करता है और स्क्रिप्ट के आधार पर सेट बनाने का काम करता है.
आर्ट डायरेक्टर
आर्ट डायरेक्टर प्रोडक्शन, सेट, इंटीरियर आदि पर काम करता है और आर्ट रिलेटेड काम यह शख्स ही करता है. यह सिनेमेटोग्राफर के साथ भी काम करता है, ताकि सेट को सही लुक मिल सके.
डायरेक्टर
डायरेक्टर फिल्म का एक ऐसा हिस्सा होता है, जो शुरू से लेकर आखिरी तक फिल्म के साथ जुड़ा रहता है और उसका हर एक मोड पर रोल होता है.
प्रोड्यूसर
प्रोड्यूसर का काम भी शुरू से अंत तक होता है और वो एक तरह से पूरे प्रोजेक्ट का हेड होता है. सीधे शब्दों में कहें तो वो किसी फिल्म के प्रोजेक्ट पर फाइनेंस करता है.
सिनेमेटोग्राफर
कैमरा से जुड़े काम को देखने वाला शख्स सिनेमेटोग्राफर होता है. जैसे अगर किसी डायरेक्टर को कोई अलग शॉट चाहिए तो वो डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी को कहता है और वो कैमरामैन की मदद से वो शॉट लेता है. इसे प्रोसेस को सिनेमेटोग्राफी कहते हैं.
लाइन प्रोड्यूसर
लाइन प्रोड्यूसर एक तरीके से पैसों का हिसाब रखता है और यह फिल्म पर हो रहे खर्चों की जानकारी रखता है और अलग अलग जगह शूटिंग की व्यवस्था करता है.
प्रोडक्शन मैनेजर
यह क्रू और प्रोडक्शन के लिए आवश्यक टेक्निकल सामानों की पूर्ति करता है और कई बिजनेस डील भी करता है.
असिस्टेंट डायरेक्टर
यह डायरेक्टर के साथ काम करता है और डायरेक्टर के काम में सहयोग करता है. यह फिल्म में एक से ज्यादा भी हो सकते हैं.
एक्टर्स
ये वो लोग होते हैं, जो फिल्म में एक्टिंग करते हैं और निर्देशक इन्हें अलग अलग सीन के लिए निर्देशन देता है.
कंट्यूनिटी पर्सन
कंट्यूनिटी पर्सन हर एक शॉट की जानकारी रखता है, जिसमें उसके उस शॉट की लंबाई, कितने रीटेक या पिछले शॉट से नए शॉट की कंट्यनिटी आदि की जानकारी रखता है.
कैमरा ऑपरेटर
यह कैमरा ऑपरेट करता है और क्रू में कई लोग कैमरा ऑपरेटर होते हैं. इनके कई असिस्टेंट और हेल्पर भी होते हैं. कैमरा ऑपरेटर भी कई तरह के होते हैं, क्योंकि अलग अलग कैमरा से फिल्म शूट की जाती है, जैसे कोई स्टेडी कैन ऑपरेटर होता है तो कोई क्रेन को ऑपरेट करता है.
साउंड मिक्सर
एडिटिंग के वक्त तो साउंड पर काफी काम होता है, लेकिन शूटिंग के दौरान भी कई सीन को शूट करने में मदद करता है.
विजुअल इफेक्ट डायरेक्टर
कई शॉट क्रोमा पर शूट किए जाते हैं और इस वक्त टेक्निकल चीजों का ध्यान रखना होता है और ये काम करते हैं विजुएल इफेक्ट डायरेक्टर. इनके साथ भी लंबी टीम होती है.
कॉस्ट्यूम डिजाइनर
इसका काम एक्टिंग करने वाले लोगों के कॉस्ट्यून पर काम करना होता है. साथ ही ये लोग सेट के आधार पर एक्टर-एक्ट्रेस के लिए कपड़े आदि तैयार करते हैं.
मेकअप आर्टिस्ट
मेकअप आर्टिस्ट कलाकार के मेकअप का काम करता है. इन आर्टिस्ट में हेयर ड्रेसर, बॉडी मेकअप आदि के अलग अलग लोग होते हैं.
ट्रांसपोर्टेशन कॉर्डिनेटर
ये लोग एक्टर्स के रहने खाने आदि की व्यवस्था करते हैं और उन्हें अगले सीन के लिए कहीं जाना है तो उसी व्यवस्था करता हैं.
यूनिट पब्लिसिस्ट
यह मीडिया को लेकर काम करता है और मीडिया में फिल्म की जानकारी देना, प्रेस रिलीज तैयार करने जैसे काम करता है.
ए़डिटर
ये फिल्म को एडिट करता है और एडिटिंग काफी बड़ा फील्ड है. इसमें अलग अलग तरह के एडिटर होते हैं, जो फिल्म की कहानी या सीन के आधार पर एडिटिंग करते हैं.
साउंड मिक्सर
वहीं फिल्म में साउंड का अहम किरदार होता है, ऐसे में यह साउंड को लेकर काम करते हैं. इसमें फिल्म के बैकग्राउंड से लेकर स्पेशल इफेक्ट आदि का ध्यान रखा जाता है और साउंट मिक्सर की टीम उनका ख्याल रखती है.
म्यूजिक डायरेक्टर
जिन फिल्मों में गाने होते हैं, उन्हें शूट की प्रोसेस भी अलग होती है. म्यूजिक डायरेक्टर पर पूरे म्यूजिक की जिम्मेदारी होती है.
म्यूजिक टीम
म्यूजिक टीम काफी बड़ी होती है, इसमें लिरिक्स राइटर, कंपोजर, गायक आदि काम करते हैं और डायरेक्टर की मदद से इसे शूट करवाया जाता है.
प्रमोशन एंड मार्केटिंग
इसके अलावा मार्केटिंग और प्रमोशन का काम भी होता है. फिल्म पूरी तरह से बनने के बाद इसके प्रमोशन पर काम चलता है, जिसमें कई तरह से काम होता है.
लीगल टीम
फिल्म के साथ एक लीगल टीम होती है, जो फिल्म से जुड़े कानूनी मामलों को देखती है.
स्पॉट ब्वॉय
ये सेट पर मौजूद वो लोग होते हैं, जो इन टीमों की मदद करते हैं.
बता दें यहां सिर्फ टीम के हेड के बारे में बताया गया है, जबकि इन अलग अलग टीम होती है और उन टीमों में कई सदस्य होते हैं. जो कई तरह से काम करते हैं.
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