जरा हटके
6 महीने तक नहीं सड़ेगा कोई फल, देखिए इस टेक्निक का कमाल
Gulabi Jagat
19 April 2022 2:28 PM GMT

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6 महीने तक नहीं सड़ेगा कोई फल
21वीं सदी में इंसान ने चाहे जितनी तरक्की कर ली हो लेकिन आज भी पुरानी तकनीक और तौर तरीकों का मात देने में सक्षम नहीं हो पाया. आज हर घर में खाने के सामान की सुरक्षा और उसे लंबे वक्त तक चलाने के लिए जहां फ्रिज का इस्तेमाल अनिवार्य बन गया है वहीं सैकड़ो साल पहले फल सब्ज़ियों को महीनों तक सुरक्षित रखने लिए इस्तेमाल होता था मिट्टी का बर्तन.
अफगानिस्तान में सैकड़ो साल पुरानी एक 'कगीना' टेक्निक का पता चला जो वहां की विरासत कही जा सकती है. मिट्टी का ऐसा फ्रिज जो बर्फ भले न जामाता हो लेकिन खानेपीने के सामान को उसकी गुणवत्ता के साथ सही सलामत रूप में बरकरार रखने में सक्षम है. मिट्टी और भूसे की मदद से बनाया जाने वाला ऐसा बर्तन जिसमें फलों को बंद कर अच्छे से मिट्टी से ही सील कर रख देने पर लगभग 6 महीनो तक वो अच्छी भली हालत में रह सकते हैं. IFS सुशांत नंदा ने अपने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें फ्रिज नहीं बल्कि मिट्टी के अनोखे बर्तनों में फलों के संरक्षण की कमाल की टेक्निक देख आप भी दंग रह जाएंगे.
कगीना टेक्निक से फलों को सुरक्षित करने का तरीका
Kanjna preservation technique from Afghanistan.Fruits can be preserved up to 6 months in airtight mud straw pots. Invented hundreds of years ago, see how grapes look after 6 months.
— Susanta Nanda IFS (@susantananda3) April 18, 2022
Interesting…
VC:Mohammed Futurewala pic.twitter.com/QZif5Umjhm
वीडियो में दिखाया गया मिट्टी का बर्तननुमा पात्र अफगानिस्तान की सैकड़ो साल पुरानी विरासत का नमूना है. जी हां वहां इसी तरीके से फलों को सुरक्षित रखा जाता था. जिसका वीडियो सुशांत नंदा ने शेयर किया. जिसमें चारों तरफ से मिट्टी से पूरी तरह बंद पात्र को को जब तोड़ा गया तो उसमें से अंगूर से ताज़े दाने रखे मिले. तो लगभग महीनों पहले इसमें पैक किए गए थे. मिट्टी के इस पात्र में फसल के समय से, लगभग पांच महीने पहले, और फारसी नव वर्ष, जो वसंत विषुव पर मनाया जाता है उसके लिए रखा जाता है.
मिट्टी में संरक्षण का सॉलिड तरीका
अफ़गानिस्तान में खाद्य संरक्षण की इस पद्धति को विकसित किया गया, जो मिट्टी के भूसे के कंटेनरों का उपयोग अंगूर को लंबे वक्त तक संरक्षित करने के लिए किया जाता है. इस पद्धति को सदियों पहले से अफगानिस्तान के ग्रामीण उत्तर में कंगीना के रूप में जाना जाता है. टेक्निक को इजाद करने के पीछे जिस धारणा नेकाम किया वो थी दूरदराज के समुदायों के लोग जो आयातित उपज का खर्च नहीं उठा सकते थे वो सर्दियों के महीनों में ताजे फलो का आनंद लेने में सक्षम हो पाते हैं. कुछ विशेषज्ञ बताते हैं कि मिट्टी से बनाए जाने वाला पात्र ज़िपबैग की तरह काम करता है. जिसमें बाहर की हवा पानी फलों के संपर्क में नहीं आ पाता जिससे महीनों तक फल इसके अंदर सुरक्षित बने रहते हैं.
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