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आने वाली खुशबू के पीछे इन्हीं का हाथ है. इनो नए कारों के केबिन के अलावा एयर कंडिशनिंग से आने वाली खुशबू को जांचते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ग्राहक कार खरीदते समय कई सारी बातों को अपने दिमाग में रखकर चलते हैं और इन्हीं जरूरतों के हिसाब से अपने लिए नया वाहन लेते हैं. कार दिखने में जितनी अच्छी होनी चाहिए, इसके केबिन से भी खुशबू आती रहनी चाहिए. ये बात निसान जानती है और इसीलिए कंपनी ने इसके लिए अलग व्यवस्था की है. युनोसुके इनो नामक शख्स को निसान की नाक या स्मेल मास्टर के नाम से जाना जाता है और निसान कारों के केबिन से आने वाली खुशबू के पीछे इन्हीं का हाथ है. इनो नए कारों के केबिन के अलावा एयर कंडिशनिंग से आने वाली खुशबू को जांचते हैं.
कार की खुशबू में कैसे बदलाव होता है
इनो इस बात की जांच भी करते हैं कि समय बीतने के साथ कार की खुशबू में कैसे बदलाव होता है. अपने जॉब के बारे में बात करते हुए इनो ने कहा, "सबसे पहले तो मैं ये जानने की कोशिश करता हूं कि खुशबू आ कहां से रही है. इस जगह की पहचान कर यूजर के नजरिये से इसका आंकलन करता हूं. इनमें ग्लोवबॉक्स का इस्तेमाल और सन वाइजर मिरर आते हैं." उन्होंने बताया कि वो और उनकी टीम कार के केबिन में हेडरेस्ट, डैशबोर्ड, मिरर्स, ग्लोवबॉक्स, वाइजर, सीट्स, सीलिंग, कपहोल्डर्स और अन्य कई सारी जगहों की जांच करते हैं.
कोहनी के नीचे का हाथ सूंघता हूं
निसान ने बताया कि केबिन में हवा का बहाव और सूरज की किरणे इसकी खुशबू पर बड़ा असर डालते हैं, ऐसे में हमारी टीम खासतौर पर बने एक सील टेस्टिंग रूम में इसका परीक्षण करती है जहां गर्मी और नमी के अलावा सूरज की तेज किरणों को सिम्युलेट किया जाता है. स्मेल मास्टर ने बताया कि इस टेस्टिंग के बाद उन्हें अपनी सूंघने की क्षमता को दोबारा हासिल करने में कुछ देर लगती है. उन्होंने बताया कि कुछ एक्सपर्ट इस सुगंध को वापस पाने के लिए कॉफी बीन्स सूंघते हैं, इस स्थिति में मैं अपनी कोहनी के नीचे का हाथ सूंघता हूं. ये मेरे लिए जानी-पहचानी होती है जिसके बाद मैं नई खुशबू सूंघने के लिए तैयार हो जाता हूं.
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