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NFHS की रिपोर्ट, शराब पीने वाले पुरुषों की संख्या में हुई कमी, महिलाओं की हुई दोगुनी

Gulabi
16 Feb 2022 4:26 PM GMT
NFHS की रिपोर्ट, शराब पीने वाले पुरुषों की संख्या में हुई कमी, महिलाओं की हुई दोगुनी
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रिपोर्ट में यह मिथक भी टूट रहा है कि शहरी लोग ही ज्यादा शराब पीते हैं
National Family Health Survey-NFHS: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शराब पीने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है. NFHS ने ओडिशा को लेकर जारी रिपोर्ट में बताया है कि पिछले 5 वर्षों में शराब पीने वाले पुरुषों की संख्या कम हुई है, जबकि महिलाओं की संख्या बढ़ी है. रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 15 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में शराब की खपत 2015-16 में 2.4 फीसदी थी, जो 2020-21 में बढ़कर 4.3 फीसदी हो गई है. वहीं, पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 2015-16 में 39.3 फीसदी था, जो घटकर 28.8 फीसदी पर आ गया है.
रिपोर्ट में यह मिथक भी टूट रहा है कि शहरी लोग ही ज्यादा शराब पीते हैं. ताजा सर्वे में यह खुलासा हुआ कि ओडिशा के ग्रामीण इलाकों में 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुष और महिलाएं, शहरी महिलाओं और पुरुषों की तुलना में ज्यादा शराब पीते हैं. इस सर्वे के मुताबिक, 22.7 फीसद शहरी पुरुषों की तुलना में 30.2 फीसदी ग्रामीण पुरुष शराब पीते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में शराब पीने वाले पुरुषों की संख्या 32.2 फीसदी से घटकर 22.7 फीसदी हो गई है. जबकि शराब पीने वाली महिलाओं के मामले में ग्रामीण और शहरी हिस्सा क्रमशः 4.9 फीसदी और 1.4 फीसदी है.
रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात ये है कि ग्रामीण महिलाओं में शराब की खपत 2.6 फीसदी से बढ़कर 4.9 फीसदी हो गई है, जबकि पुरुषों के मामले में यह 41.3 फीसदी से घटकर 30.2 फीसदी हो गई है. रिपोर्ट में एक और बात गौर करनेवाली है कि पिछले पांच साल के दौरान शहरी महिलाओं के शराब पीने में कुछ खास बदलाव नहीं आया है. यह आंकड़ा 1.3 फीसदी से बढ़ कर 1.4 फीसदी हुआ है.
केवल शराब ही नहीं बल्कि महिलाओं के तंबाकू की खपत भी पुरुषों की तुलना में काफी बढ़ी है. वर्ष 2015-16 के दौरान केवल 17.3 फीसदी महिलाओं में तंबाकू खाने की आदत थी, वहीं ताजा सर्वे के मुताबिक, यह आंकड़ा 26 फीसदी पहुंच गया है.
शहरों में 16.6 फीसदी महिलाएं तंबाकू का सेवन करती हैं, जबकि गांवों में 26 फीसदी महिलाएं. तंबाकू खाने वाले पुरुषों का आंकड़ा 55.9 फीसदी से घटकर 51.6 फीसदी हो गया है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 58.8 फीसदी से घटकर 54.1 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 45.3 फीसदी से घटकर 40.5 फीसदी हो गया है.
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