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कई लोगों को नेचर से बहुत प्यार होता है और वो नेचुरल ब्यूटी से भरी हुई जगहों के आसपास रहना चाहते हैं
कई लोगों को नेचर से बहुत प्यार होता है और वो नेचुरल ब्यूटी से भरी हुई जगहों के आसपास रहना चाहते हैं. हमारे आसपास कई तरह की जगहें मौजूद हैं. इनमें से कुछ जगहों पर जाने पर काफी सुकून मिलता है, तो वहीं कई इतनी रहस्यमय और डरावनी हैं कि वहां जाने से लोगों की रूह कांपती है. लेकिन क्या आपने कभी ऐसी जगह के बारे में सुना है, जहां आकर पक्षी सुसाइड कर लेते हों? जी हां, सही सुना आपने, ये जगह पक्षियों की आत्महत्या के लिए फेमस है.
असम के दिमा हासो जिले (Dima Haso) की घाटी में स्थित जतिंगा वैली (Jatinga Valley) अपनी प्राकृतिक अवस्था के चलते साल में करीब 9 महीने तक बाहरी दुनिया से अलग रहता है. लेकिन सितंबर माह की शुरुआत से ही यह गांव खबरों में छा जाता है. दरअसल, यहां आकर पक्षी सुसाइड कर लेते हैं. सितंबर के बाद इस घाटी के आस-पास तय समय के बाद नाइट कर्फ्यू जैसे हालात हो जाते हैं. अक्टूबर से नवंबर तक कृष्णपक्ष की रातों में यहां बेहद अजीबोगरीब वाकया होता है. शाम 7 बजे से लेकर रात के दस बजे के बीच यहां पक्षी, कीट-पतंगों की तरह बदहवास होकर रोशनी के स्त्रोत पर गिरने लग जाते हैं.
बारिश के कारण नहीं उड़ पाते हैं पक्षी
जतिंगा गांव असम के बोरैल हिल्स (Borail Hills) में स्थित है. इस जगह पर काफी बारिश होती है. बेहद ऊंचाई पर स्थित होने और पहाड़ों से घिरे होने के कारण यहां बादल और गहरी धुंध छाई रहती है. वैज्ञानिकों की मानें तो तेज बारिश के दौरान पक्षी पूरी तरह से गीले हो चुके होते हैं. ऐसे में जब वे उड़ने की कोशिश करते हैं तो उनके उड़ने की क्षमता खत्म हो चुकी होती है.
यहां बांस के बेहद घने और कटीले जंगल भी हैं, जिनकी वजह से गहरी धुंध और अंधेरी रातों के दौरान पक्षी इनसे टकराकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. ज्यादातर दुर्घटनाएं देर शाम होती हैं क्योंकि उस समय पक्षी झुंड में अपने घरों की ओर लौट रहे होते हैं. कई वैज्ञानिकों का मानना है कि पक्षी सुसाइड नहीं करते हैं, वे ज्यादातर झुंड में होते हैं जिस वजह से एक साथ ही दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. यहां आत्महत्या करने वालों में स्थानीय और प्रवासी चिड़ियों की कई प्रजातियां शामिल रहती हैं. इस वैली में रात में एंट्री पर बैन भी लगा हुआ है.
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