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पैरेंटिंग को लेकर ज़िम्मेदारी के असमान बंटवारे पर मां ने जताई नाराज़गी, पति की आज़ादी से होती है दिन-रात जलन

Gulabi Jagat
4 April 2022 10:44 AM GMT
पैरेंटिंग को लेकर ज़िम्मेदारी के असमान बंटवारे पर मां ने जताई नाराज़गी, पति की आज़ादी से होती है दिन-रात जलन
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पति की आज़ादी से होती है दिन-रात जलन
शायद ही कोई औरत ऐसी होगी जो मां बनना नहीं चाहती. हर किसी की ख्वाहिश होती है कि एक न एक दिन वो अपना कोख से बच्चे को जन्म दे उसे प्यार करे, उसकी देखभाल करे. मगर बच्चा पैदा करना और मां बनने के बीच का सफर इतना आसान नहीं. अपने अस्तित्व की कीमत पर मां बनती है कोई महिला.
मां बनने के बाद अमेरिका (America) की टिकटॉक स्टार बेली (TikTok star Bailey McPherson) ने खुल कर अपनी राय और अनुभव साझा किया. जिसके बाद इतनी बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए उनकी सराहना भी की जा रही है. दरअसल बेली जो अब तीन साल की बेटी की मां हैं वो कहती हैं कि अपने बच्चे से बेहद प्यार करने के बाद भी उन्हें मां की बेतहाशा और एकतरफा ज़िम्मेदारियों से चिढ़ होने लगी है. ये रिश्ता बहुत डिमांडिंग है. और हर डिमांड का पूरा करने का ज़िम्मा अकेले मां का ही है. जिसका उन्हें बेहद अफसोस है.
चुनौतिपूर्ण है मां बनने की ज़िम्मेदारी
मां बनना इतना चुनौतीपूर्ण है इसका उन्हें शायद अंदाज़ा ही नहीं था. वो नहीं जानती थी कि दो लोगों के बीच आई एक संतान की हर मांग पूरी करने का ज़िम्मा सिर्फ और सिर्फ मां का ही होगा. पिता अपनी आज़ादी के साथ कोई समझौता नहीं करता. पिता का जीवन जैसा पहले था बच्चे के बाद भी उसमें कोई बदलाव नहीं. लेकिन मां बनने के बाद औरत के तौर पर वो पूरी तरह एक जगह सिमट गई. न अपनी कोई लाइफ, न मर्ज़ी, न सर्किल, न अस्तित्व. सब कुछ पहले की तुलना में इतना बदल चुका है कि कई बार वो अपने पुराने दिन यादकर सोच में पड़ जाती हैं कि कभी वो वैसी ज़िंदगी का हिस्सा थी जो पूरी तरह आज़ाद, और बेफिक्र थी.
पैरेंटिंग को लेकर असमान है ज़िम्मेदारी का बंटवारा
दरअसल बेली की नाराज़गी उस पक्षपातपूर्ण पैरेंटिंग को लेकर है जिसमें ज़िम्मेदारियां सिर्फ महिला के हिस्से होती हैं जबकि आज़ाद जीवन सिर्फ मर्दों के हिस्से. इस बेईमान सामाजिक विचारधारा को लेकर बेली ने अपने इंस्टाग्राम पर राय साझा की, जहां उनके 3 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. करीब 60 हज़ार बार लोगों ने उनके पोस्ट को देखा और सराहना की. मां बनने के बाद लगभग हर मां कि ज़िंदगी ऐसे ही बंध जाती है. ज़िसमें से बाहर निकलने का कोई विकल्प नहीं होता. सबसे अजीब बात ये होती है कि बच्चा सिर्फ और अकेले मां की ज़िम्मेदारी मान ली जाती है. इसी पक्षपातपूर्ण रवैये और सोच के खिलाफ बेली ने राय रखी. साथ ही वो मानती हैं कि उनकी 3 साल की बेटी में उनकी जान बसती है. फिर भी वो इस ज़िम्मेदारी को बोझ की तरह ढोने को मजबूर हैं. इसमें ज़रा भी आज़ादी न मिलने के चलते वो अब अफसोस करती हैं.
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