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Mahatma Gandhi Temple: इस मंदिर में होती है महात्मा गांधी के साथ भारत माता की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे की वजह

Tulsi Rao
16 Aug 2022 5:47 AM GMT
Mahatma Gandhi Temple: इस मंदिर में होती है महात्मा गांधी के साथ भारत माता की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे की वजह
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित गांधी मंदिर में लगभग सभी पर्वो को धूमधाम से मनाया जाता है. इसके अलावा यहां भारत माता की भी पूजा की जाती है. नवरात्र में यहां मनोकामना ज्योत भी जलाई जाती है. राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कर आजादी की खुशियां मनाई जाती है.

गांधी जी का यह मंदिर धमतरी जिला मुख्यालय से गंगरेल बांध के रास्ते 40 किलोमीटर और सड़क मार्ग से करीब 70 किलोमीटर दूर सटियारा गांव में मौजूद है. यहां जाने के लिए गंगरेल से नाव या फिर बोट का सहारा लेना पड़ता है. इसके अलावा सड़क मार्ग से जाने कांकेर जिले के चारामा से होकर जाना पड़ता है. यहां सटियारा में भारत माता सेवा समिति द्वारा गांधी मंदिर का संचालन किया जाता है.
बताया जाता है कि समिति से जुडे़ लोगों के गुरूदेव दुखू ठाकुर महात्मा गांधी के परमभक्त थे और वह गांधी विचारों को आगे बढ़ाने गंगरेल के डूबान में गांधी मंदिर की स्थापना किया था. उन्होने अपने साथ अलग अलग स्थानों से कई परिवारों को भी जोड़ा और गांधी जी के विचारों को अपनाकर काम करने सहित उन्हे आगे बढ़ाने की अहवान किया
गंगरेल बांध बनने के मंदिर डूब गया,जिसे बाद में नदी किनारे फिर से बनाया गया. तब से लेकर आज तक गुरूदेव और गांधी जी की पूजा की जा रही है. इसके अलावा यहां भारत माता की भी पूजा की जाती है. हालांकि इनकी पूजा पद्धति अन्य जगहों से अलग है और मंदिर समिति के लोग चावल के आटे का इस्तेमाल करते है. वे मानते है कि यहां पूजा करने से दुख संताप दूर होते है.
महात्मा गांधी जिस तरह सादे वस्त्र में रहते हैं, वैसे ही वस्त्र पहनकर पूजा की जाती है. बुनकर भी खादी के कपड़े मंदिर में चढ़ाते हैं. यहां के लोग आज भी गांधी जी की पूजा के साथ उनके विचारों को आत्मसात कर रहे है और दूसरों को भी गांधीवादी विचारों पर चलने का संदेश दे रहे है, जो इस दौर में बहुत ही कम दिखाई देती है.
गांधी मंदिर के नाम से जाने वाले इस जगह में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यहां नाव या फिर पंगडंडी रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है. पहाड़ी और घने जंगल होने की वजह से लोगों को जंगली जानवरों का खतरा भी रहता है. यदि रास्ता बन जाता है कि तो आने जाने वाले लोगों को आसानी हो सकती है, वही यह क्षेत्र पर्यटन में भी जुड़ सकता है. जिला कलेक्टर का कहना है कि पानी से लगा हुआ प्राचीन मंदिर है गांधी जंयती पर यहां कार्यक्रम आयोजित करने सहित मंदिर क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने प्रयास किया जाएगा.


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