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लियोनार्डो दा विंची मरते वक्त खुदको बता गए थे मानवता का गुनहगार, जानें क्यों

Gulabi
2 May 2021 9:50 AM GMT
लियोनार्डो दा विंची मरते वक्त खुदको बता गए थे मानवता का गुनहगार, जानें क्यों
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लियोनार्डो दा विंची महान थे

दुनिया के अब तक के सर्वश्रेष्ठ चित्रकार (Painter) माने जाने वाले लियोनार्डो दा विंची (Leonardo Da Vinci) ने बेमिसाल कृतियां दी हैं. 2 मई को उनकी पुण्यतिथि है. वे एक चित्रकार के साथ ही एक मूर्तिकार, एक आविष्कारक (Inventor) भी थे जो अपने समय से बहुत आगे की सोच रखने वाले शख्स माने जाते थे. उनकी कृतियां बेमिसाल थी जिनकी नकल करके भी लोग शोहरत हासिल कर लिया करते थे. लेकिन बताया जाता है कि मरते समय उन्हें इस बात का अफसोस था कि वे दुनिया को अपना बेहतरीन नहीं दे सके. इसलिए वे पूरी मानवता के गुनहगार हैं.


मोना लिसा पेंटिंग से मिली सबसे ज्यादा पहचान

इतिहास में दा विंची को उनकी मशहूर पेंटिंग मोनालिसा की वजह से ज्यादा पहचाना गया.लियोनार्डो दा विंची यह एक लड़की पोट्रेट था जिसके बारे में बहुत सारी व्याख्याएं हुई. आज भी यह बहस का विषय है कि पोट्रेट में यह लड़की मुस्कुरा रही है या फिर दुखी है. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह पेंटिंग दो अलग लड़कियों के आधे हिस्सों का मिश्रण है. इस पेंटिंग की लड़की के चेहरे के भावों को पढ़ना शोध का विषय रहा है.

और भी कृतियां हुई प्रसिद्ध
लेकिन मोनालिसा के अलावा उनकी बहुत सी कृतियां प्रसिद्ध हुईं जिनमें द लास्ट सपर ऐसी पेंटिंग थी जिसकी दुनिया में सबसे ज्यादा अनुकृतियां बनी. उनकी विट्रयूवियन मैन भी एक महान धरोहर मानी जाती है जो उनकी शरीर विज्ञान के बारे में जानकारी देती है. इसके अलावा 'द अडोरेशन ऑफ द मागी' , 'द वैप्टिस्‍म ऑफ क्राइस्‍ट', 'मडोना ऑफ द कारनेशन' और 'द एनंसिएशन' भी उनकी बहुत रोचक कृतियां मानी गईं

एक आविष्कार भी थे दा विंची

दा विंची एक चित्रकार और मूर्तिकार ही नहीं थे. उनकी चित्रकारी में बहुत से विषयों की गहराई झलकती है. उन्होंने उस जमाने में उड़ने वाली मशीनों, सौर ऊर्जा से चलने वाली मशीन, और ऐसी कई चीजों की कल्पना कर उनके चित्र बनाए थे जो उस जमाने में कोई सोच भी नहीं पाता था.
विविध विषयों के जानकार

उन्होंने कई खोजे भी की जिनका संबंध वास्तुकला, सिविल इंजीनियरिंग, भूगर्भविज्ञान, प्रकाशकीय, जीवविज्ञान, जलगतिकी जैसे विषयों से था, लेकिन उनके आविष्कारों को उन्होंने कभी प्रकाशित नहीं कराया. शरीर विज्ञान पर तो उनकी जानकारी के बहुत से लोग कायल थे. उन्होंने अस्पतालों में मौजूद शवों के जरिये शरीर की संरचना का अध्ययन किया और उनके 240 चित्र बनाए.

जब गुरू से भी आगे निकल गए दा विंची

लियोनार्डो की चित्रकारी की शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने अपने गुरू वेरोचियो के साथ जीसस क्राइस्ट के बैप्टिज्म की तस्वीर बनाई. यह तस्वीर वेरोचियो के जीवन की सबसे बेहतरीन पेंटिंग थी. इसे बनाने में लियोनार्डो ने ऑयल पेटिंग की जिन तकनीकों का सहारा लिया उसे पहले किसी दूसरे चित्रकार ने इस्तेमाल नहीं किया था. अपने शिष्य की प्रतिभा को देखकर वेरोचियो ने हमेशा के लिए कूची नीचे रख दी और चित्रकारी से संन्यास ले लिया था.

मानव जाति का गुनहगार?

लियोनार्डो दा विंची का 2 मई 1519 फ्रांस में निधन हो गया था. 'लाइफ फ्रॉम बिगिनिंग' के मुताबिक, उनके अंतिम शब्द थे, 'मैं ईश्वर और समस्त मानवजाति का गुनहगार हूं. मेरा काम गुणवत्ता के उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया जहां उसे पहुंचना चाहिए था.' काम की उत्कृष्टता के प्रति ऐसी लगन उन्होंने जीवन भर दिखाई जो हमेशा ही दिखाई दी.
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