जरा हटके

जानें कैसे हुआ था Maggi का जन्म, अजीब है इसके पीछे की कहानी

Gulabi
4 Jan 2021 12:59 PM GMT
जानें कैसे हुआ था Maggi का जन्म, अजीब है इसके पीछे की कहानी
x
दो मिनट में झटपट बनकर तैयार हो जाने वाली मैगी (Maggi) से आज हर कोई वाकिफ है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दो मिनट में झटपट बनकर तैयार हो जाने वाली मैगी (Maggi) से आज हर कोई वाकिफ है. छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक आज हर कोई इसका दीवाना है. हालांकि ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि मैगी का जन्म कब हुआ था? दो मिनट में बनकर तैयार हो जाने वाले नूडल्स को 'मैगी' नाम किसने दिया? तमाम विवादों के बाद भी इसे बैन क्यों नहीं किया गया? आखिर कैसे आज भी मैगी करोड़ों दिलों की पसंद बनी हुई है? जानते हैं मैगी के पीछे की पूरी कहानी.

मजबूरी में पड़ा था Maggi का नाम
स्विट्जरलैंड में रहने वाले जूलियस मैगी ने साल 1872 में अपने नाम पर कंपनी का नाम Maggi रखा था. जानकार बताते हैं कि स्विट्जरलैंड में वह इंडस्ट्रियल क्रांति का दौर था. उस वक्त महिलाओं को लंबे समय तक फैक्ट्रियों में काम करने के बाद घर जाकर कम समय में खाना बनाना होता था. ऐसे मुश्किल समय में स्विस पब्लिक वेलफेयर सोसायटी ने जूलियस मैगी की मदद ली थी. और इस तरह मैगी का जन्म मजबूरी में हुआ. इस दौरान जूलियस ने प्रोडक्ट का नाम अपने सरनेम पर रख दिया. वैसे उनका पूरा नाम जूलियस माइकल जोहानस मैगी था. साल 1897 में सबसे पहले जर्मनी में मैगी नूडल्स पेश किया गया था.
Nestle ने घर-घर तक पहुंचाई मैगी
हमारी सहयोगी वेबसाइट ज़ी बिजनेस की एक खबर के मुताबिक, शुरुआत ने जूलियस मैगी ने प्रोटीन से भरपूर खाना और रेडीमेड सूप बनाकर बेचना शुरू किया था. इस काम में उनके फिजिशियन दोस्त फ्रिडोलिन शूलर ने उनकी काफी मदद की. लेकिन दो मिनट में बनने वाली मैगी को लोगों ने खूब पसंद किया. साल 1912 तक मैगी ने अमेरिका और फ्रांस जैसे कई देशों के लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया. मगर इसी साल जूलियस मैगी का निधन हो गया. उनकी मौत का असर मैगी पर भी पड़ा और लंबे समय तक इसका कारोबार धीरे-धीरे चलता रहा. फिर साल 1947, जब नेस्ले ने मैगी को खरीद लिया और उसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग ने मैगी को हर घर के किचन में पहुंचा दिया.

इस तरह 37 साल पहले भारत आई थी Maggi
साल 1947 में 'Maggi' ने स्विट्जरलैंड की कंपनी Nestle के साथ विलय किया था. जिसके बाद Nestle इंडिया लिमिटेड Maggi को 1984 में भारत लेकर आई थी. उस वक्त किसी ने नहीं सोचा था कि मैगी करोड़ों लोगों की पसंद बन जाएगी. लेकिन ये ममुकिन हुआ. मिनटों में बनने वाला प्रोडक्ट सभी को पसंद आया.
Advertisement पर खर्च होते हैं इतने करोड़
गौरतलब है कि नेस्ले इंडिया विज्ञापन पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च करती है, जिसमें मैगी की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. भारत के मोस्ट वैल्यूड ब्रांड में से एक मैगी, असल में स्विट्जरलैंड की मशहूर कंपनी नेस्ले का सहयोगी ब्रांड है. लेकिन अधिकतर लोग नेस्ले को कम, मैगी को ही मूल ब्रांड मानते हैं.
इस तरह Maggi ने भारतीय मार्केट में जमाया पैर
80 के दशक में पहली बार नेस्ले ने मैगी ब्रांड के तहत नूडल्स लॉन्च किए थे जो शहरी लोगों के लिए नाश्ते का सबसे अच्छा विकल्प बन चुके थे. भारत में कंपनी ने नूडल्स के साथ बाजार में कदम रखा. हालांकि, यहां दूसरे देशों जैसा चमत्कार देखने को नहीं मिला. लेकिन समय के साथ लोगों की लाइफस्टाइल में चेंज आने लगा. और 1999 के बाद 2 मिनट में तैयार होने वाली मैगी हर घर के किचन की जरूरत बनने लगी.
1000 करोड़ सालाना बिक्री का नूडल्स बाजार
मैगी ब्रांड के तहत नेस्ले ने कई दूसरे प्रोडक्ट भी लॉन्च किए. इनमें सूप, भुना मसाला, मैगी कप्पा मैनिया इंस्टैंट नूडल्स जैसे प्रोडक्ट हैं. भारत में मैगी के 90 फीसदी प्रोडक्ट खासतौर पर भारत की विविधता से भरी संस्कृति को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं और ये बाकी दुनिया में नहीं मिलते. भारत में नेस्ले समूह के कुल मुनाफे में मैगी ब्रांड की करीब 25 फीसदी हिस्सेदारी हो चुकी है और सालाना आंकड़ा करीब 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच चुका है. अब इस बाजार में आधा दर्जन नए ब्रांड आ चुके हैं. इनमें से ज्यादातर रिटेल चेनों के अपने ब्रांड हैं.


Next Story