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सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वकील की शादी का कार्ड, संविधान की धाराओं और विवाह अधिनियम का जिक्र

Tulsi Rao
26 Nov 2021 8:32 AM GMT
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वकील की शादी का कार्ड, संविधान की धाराओं और विवाह अधिनियम का जिक्र
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यह कार्ड कुछ ज्यादा ही दिलचस्प है. इस कार्ड में दूल्हे ने संविधान की धाराओं और विवाह अधिनियम का जिक्र किया है. हालांकि इस कार्ड में दूल्हे ने एक ऐसी गलती कर दी, जिसके बाद वह सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर आ गया.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Unique Marriage Card: अपनी शादी (Wedding Season) को यादगार बनाने के लिए हर कोई कुछ अनोखा करता है. बहुत सारे लोग अपनी शादी के कार्ड (Marriage Card) में क्रिएटिविटी दिखाते हुए अनोखा संदेश लिखवाते हैं. जबकि कुछ लोग अलग और खास दिखाने के लिए कार्ड (Assam Unique Marriage Card) में बहुत ज्यादा सजावट करवाते हैं. सोशल मीडिया पर हमें ऐसा ही एक अनोखा शादी का कार्ड (Unique Marriage Card of Lawyer) देखने को मिला है.

संविधान की धाराओं और विवाह अधिनियम का जिक्र
यह कार्ड कुछ ज्यादा ही दिलचस्प है. इस कार्ड में दूल्हे ने संविधान की धाराओं और विवाह अधिनियम का जिक्र किया है. हालांकि इस कार्ड में दूल्हे ने एक ऐसी गलती कर दी, जिसके बाद वह सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर आ गया है. दरअसल, जिस दूल्हे की शादी है, वह पेशे से वकील हैं और उन्होंने कार्ड में अपने नाम के आगे 'एडवोकेट' नहीं लिखवाया. इस पर लोगों ने उन्हें अपने नाम के आगे 'एडवोकेट' लिखने की सलाह दे दी.
असम राज्य के गुवाहाटी के रहने वाले इस वकील ने सविधान थीम वाला शादी का कार्ड छपवाया है. वकील ने इस कार्ड में समानता का प्रतिनिधित्व दर्शाते हुए न्याय के तराजू के दोनों तरफ दूल्हा और दुल्हन के नाम छपवाए हैं. इसके अलावा कार्ड में भारतीय विवाहों को नियंत्रित करने वाले कानून तथा अधिकारों का भी जिक्र है.
रविवार 28 नवंबर को है शादी
इस अनोखे कार्ड में लिखा है, "भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत विवाह का अधिकार जीवन के अधिकार का एक घटक है. मेरे मौलिक अधिकार का उपयोग करने का समय रविवार 28 नवंबर को है." इसके आगे लिखा है, "वकीलों की जब शादी होती है, तब वह 'हां' नहीं कहते, बल्कि वह कहते हैं, 'नियम और शर्तों को हम स्वीकारते हैं."
यह अनोखा शादी कार्ड सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है. इस कार्ड को पढ़कर लोग जमकर मजे ले रहे हैं. कुछ लोगों ने यहां तक कह दिया कि निमंत्रण कार्ड पढ़ने के बाद उन्हें CLAT का आधा सिलेबस याद हो गया है. एक अन्य यूजर ने कहा, 'यह कोर्ट के समन की तरह है.' एक और यूजर ने सुझाव दिया कि शादी में पंडित की जगह जज को बिठा लेना.


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