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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कुछ साल पहले खबर सुनने में आई थी कि टूथपेस्ट में जानवरों की हड्डियों का चूरा मिलाया जाता था. जब टूथपेस्ट में हड्डियों का चूरा मिलाने वाली बात सामने आई थी, तो लोगों ने दातून की ओर जाना शुरू कर दिया था. हालांकि, यह सब बातें पुरानी हो चुकी हैं. अब गांव हो या शहर, लगभग हर कोई दांत साफ करने के लिए टूथपेस्ट का ही इस्तेमाल करता है. बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो दातून का इस्तेमाल करते हैं.
टूथपेस्ट तैयार करने के लिए हर कंपनी अब लगभग एक ही फॉर्मूला अपनाती है. रिपोर्ट के अनुसार, टूथपेस्ट में दांतों से कीटाणुओं को हटाने के लिए कैल्शियम कार्बोनेट और डिहाइड्रेटेड सिलिका जेल को मिलाया जाता है. इसके साथ ही फ्लोराइड को भी टूथपेस्ट में मिलाया जाता है. यह दातों को मजबूत बनाता है और टूटने से बचाता है.
सूखने से बचाने के लिए टूथपेस्ट के पैकेट में ग्लिसरॉल और प्रोपैलिन का इस्तेमाल करते हैं. आपने अक्सर महसूस किया होगा कि टूथपेस्ट का स्वाद थोड़ा मीठा होता है. इसके लिए टूथपेस्ट में स्वीटनर्स मिलाते हैं. इसके अलावा टूथपेस्ट में प्राकृतिक गम्स और सिंथेटिक सेल्यूलोस भी मिलाई जाती है.
क्या आपने कभी सोचा है कि टूथपेस्ट करते समय सफेद झाग क्यों आता है? बता दें कि इसके लिए टूथपेस्ट में सोडियम लॉरेल सल्फेट मिलाया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि कई दशक पहले टूथपेस्ट बनाने के लिए घोंघे के शेल, कोयला, पेड़ों की छाल, राख और हड्डियों का चूरा इस्तेमाल में लाया जाता है. हालांकि, यह पुरानी बात हो चुकी है.
जापान में बैन हुआ था कोलगेट
बता दें कि साल 2015 में जापान देश में कोलगेट को बैन कर दिया गया था. उस समय इसमें जानवरों की हड्डियों का चूरा मिलाए जाने की बात सुर्खियों में आई थी. यह विवाद इतना अधिक बढ़ गया था कि इसे जापान ने बैन ही कर दिया था.
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