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जानिए क्यों सबसे भारी न्यूट्रॉन तारे को वैज्ञानिक कहते हैं ब्लैक विडो

Gulabi Jagat
30 July 2022 3:37 PM GMT
जानिए क्यों सबसे भारी न्यूट्रॉन तारे को वैज्ञानिक कहते हैं ब्लैक विडो
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ब्रह्माण्ड के लगभग सभी पिंड या तो तारे हैं या फिर तारों से बने हैं. इनमें एक अनोखा पिंड न्यूट्रॉन तारा (Neutron Star) है. तारों के जीवन के अंतिम पड़ाव पर जब तारे का क्रोड़ अपने ही गुरुत्व में सिमट जाता है तब न्यूट्रॉन तारे की उत्पत्ति होती है. खगोलविदों ने पहली है अब तक का ज्ञात सबसे भारी न्यूट्रॉन तारा (Heaviest Neutron Star) खोजा है. इस तारे की खास बात यह है कि यह इतनी तेजी से घूम रहा है कि इसने अपने साथी तारे को लगभग पूरी तरह से निगल लिया है और अब तक का सबसे भारी न्यूटॉन तारा बन गया है. वैज्ञानिकों ने इस तारे को ब्लैक विडो (Black Widow) नाम दिया है.
पदार्थ के सिकुड़ने का नतीजा
न्यूट्रॉन तारे अपने अनोखे स्वरूप के लिए जाने जाते हैं. इनका भार सूर्य केभार से 1.3 से 2.5 गुना ज्यादा होता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर तारे के मरने के बाद सिकुड़ते समय उसका भार एक निश्चित सीमा से ज्यादा हो तो वह न्यूट्रॉन तारे की जगह ब्लैक होल बन जाता है. न्यूट्रॉन तारों का आकार एक शहर के आकार के गोले जितना होता है जो करीब 20 किलोमीटर बड़ा होता है.
बहुत ज्यादा संघनित तारा
नासा के मुताबिक न्यूट्रॉन तारे में पदार्थ इतना संघनित होता है कि एक शक्कर के घन के आकार के हिस्से का ही भार करीब एक अरब टन होगा जो एवरेस्ट पर्वत के जितना भारी होता है. नए तारे का भार का सूर्य से करीब 2.35 गुना ज्यादा भारी है और अगर यह और ज्यादा भारी होता है तो यह ब्लैक होल में बदल जाएगा.
क्यों दिया गया ब्लैक विडो नाम
वैज्ञानिकों ने इस तारे का नाम ब्लैक विडो रखा है. अपने ही साथी को खाने या निगलने की प्रवृत्ति मादा ब्लैक विडो मकड़ी में पाई जाती है जो अपने नर साथी से मिलाप के कुछ समय बाद ही खा जाती है. मजेदार बात ये है कि यह इस तरह का पहला खगोलीय पिंड नहीं है जिसे इस तरह का अजीब नाम दिया गया है. इस तरह के प्रवृत्ति वाले बहुत से पिंडों को यह नाम दिया जा चुका है.
इस न्यूट्रॉन तारे की एक ब्लैक होल (Black Hole) में बदलने की भी संभावना है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
पल्सर की श्रेणी का तारा
इस नए न्यूट्रॉन तारे को वैज्ञानिकों ने बहुत अधिक चुंबकीय प्रकार का न्यूट्रॉन करार दिया है जिसे पल्सर कहते हैं. पल्सर अपने ध्रुवों से विद्युतचुंबकीय विकिरणों की बीम फेंकते हैं और जब ये तारा घूमता है तो ये बीम पृथ्वी पर स्पंदन या पल्स की तरह दिखाई देती है जैसे लाइट हाउस का प्रकाश घूमता रहता है. इसीलिए इसे पल्सर कहा जाता है.
न्यूट्रॉन और क्वार्क का सागर
बहुत से दूसरे ब्लैक विडो के मापन के साथ मिलाने पर शोधकर्ताओं ने दर्शाया कि इस न्यूट्रॉन तारे का भार करीब सूर्य के भार से 2.35 गुना से 0.17 सौरभार कम या ज्यादा होगा. वैज्ञानिक लंबे समय से यह मानते हैं कि जब किसी तारे का क्रोड़ 1.4 सौर भार से ज्यादा हो जाता है और वह खत्म होते होते एक संघनित और सुगठित वस्तु में बदल जाता है कि सभी परमाणुओं का इतना ज्यादा दबाव हो जाता है कि वे न्यूट्रॉन और क्वार्क का सागर बना लेते हैं.
कहां मौजूद है यह न्यूट्रॉन तारा
यह न्यूट्रॉन तारा हमारी अपनी गैलेक्सी मिल्की वे में मौजूद है. यह सैक्सटैन्स तारामंडल कि दिशा में है और इसका औपचारिक या वैज्ञानिक नाम PSR J0952-0607 है. यह पृथ्वी से करीब 20 हजार प्रकाशवर्ष दूर स्थित है. वास्तव में न्यूट्रॉन तारा बनने से पहले इसका पूर्व तारा एक द्विज तारों के तंत्र का हिस्सा था जिसमें एक दूसरा तारा भी था और दोनों एक दूसरे का चक्कर लगा रहे थे.
वैज्ञानिकों ने पाया है कि ऐसा लगता है कि यह न्यूट्रॉन तारा जब बना था तब उसका भार हमारे सूर्य से 1.4 गुना ही ज्यादा था, लेकिन इसके गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव के कारण इसने साथी तारे का पदार्थ निकलना शुरू कर दिया जिससे इसका भार बढ़ता चला गया. ऐसा लगता है कि यह उस सीमा की ओर जा रहा है जिसके बाद इसका भार इसे ब्लैक होल बना देगा. फिलहाल ब्लैक होल ब्रह्माण्ड के सबसे घने पिंड माने जाते हैं.
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