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जानिए 36 साल पहले हुए चेर्नोबिल परमाणु हादसे की कहानी

Gulabi
1 March 2022 5:36 AM GMT
जानिए 36 साल पहले हुए चेर्नोबिल परमाणु हादसे की कहानी
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36 साल पहले हुआ था परमाणु हादसा
रूस-यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध (Russia Ukraine War News) ने खतरनाक मोड़ ले लिया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रहने का आदेश दिया है। अब इस अलर्ट के बाद दुनियाभर में हड़कंप मच गया है। पश्चिमी देशों ने इसे तीसरे विश्वयुद्ध से पहले की आहट बताया है। रूसी मीडिया ने दावा किया है कि इस लड़ाई में यूक्रेन की तरफ से रासायनिक हथियार का इस्तेमाल किया जा रहा है।
दोनों देशों (Russia Ukraine War) में जंग के बीच यूक्रेन के चेर्नोबिल शहर की एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने बताया था कि चेर्नोबिल (Russian Army in Chernobyl) पर रूसी सेना ने कब्जा कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि युद्ध के दौरान हुई गोलीबारी में न्यूक्लियर वेस्ट स्टोरेज फैसिलिटी को नुकसान पहुंचा है। आइए जानते हैं कि आखिर चेर्नोबिल परमाणु हादसे का इतिहास क्या है?
36 साल पहले हुआ था परमाणु हादसा
36 साल पहले 26 अप्रैल 1986 को तत्कालीन सोवियत संघ के चेर्नोबिल के न्यूक्लियर पावर प्लांट (Chernobyl disaster) में भयानक विस्फोट हुआ था। यह धमाका इतना विनाशकारी था कि कुछ ही घंटे में यहां काम करने वाले 32 कर्मचारियों की मौत हो गई थी जबकि न्यूक्लियर रेडिएशन से सैकड़ों कर्मचारी बुरी तरह जल गए थे। सोवियत संघ द्वारा इस हादसे को दुनिया से छिपाने की कोशिश गई। लेकिन स्वीडन सरकार की एक रिपोर्ट के बाद तत्कालीन सोवियत संघ ने इस हादसे को माना था। सोवियत संघ के बंटवारे के बाद चेर्नोबिल यूक्रेन में आ गया।
राजधावी कीव से 130 किमी की दूरी पर है स्थित
चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट प्रीप्यत शहर (Pripyat City) से तीन किमी की दूरी पर स्थित था। 1970 में प्रीप्यत शहर को बसाया गया था। इस न्यूक्लियर प्लांट से 15 किमी की दूरी पर चेर्नोबिल शहर था। इस कस्बे में 12 हजार लोग रहते थे। इसके अलावा बाकी इलाके में खेती की जाती थी। चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में चार रिएक्टर थे।
जानिए क्यों हुआ था चेर्नोबिल हादसा
चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में खराबी आने की वजह से हादसा हुआ था। इस भीषण हादसे में संयंत्र की छत उड़ गई थी और रेडिएशन काफी दूर तक फैल गया था। दरअसल 26 अप्रैल को न्यूक्लियर पावर प्लांट में एक जांच की जानी थी। इस जांच के दौरान ही प्लांट में भीषण विस्फोट हुआ था। वैज्ञानिक एक इलेक्ट्रिकल सिस्टम की जांच कर यह पता लगाना चाहते थे कि बिजली सप्लाई बंद होने के बाद रिएक्टर के उपकरण काम करते हैं या नहीं।
इस जांच के लिए एक कंट्रोल सिस्टम्स को बंद कर दिया गया जिसकी वजह से रिएक्टर खतरनाक स्तर पर असंतुलित हो गए। इसी दौरान प्लांट में भयानक विस्फोट हो गया। जबकि कुछ लोग मानते हैं कि ज्यादा भाप और अधिक हाइड्रोजन के कारण यह विस्फोट हुआ था। इसकी वजह से रेडियोएक्टिव पदार्थ फैल गया और लोग बीमार पड़ने लगे।
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