जरा हटके
जानिए कहानी अजीबोगरीब युद्धों की, जाहां गलत अनुवाद की वजह से चली गई लाखों लोगों की जान
Apurva Srivastav
19 April 2021 1:16 PM GMT
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इतिहास में ऐसे कई सारे अजीबोगरीब वाकया हुआ है, जिस पर शायद ही आपको यकीन होगा।
इतिहास में ऐसे कई सारे अजीबोगरीब वाकया हुआ है, जिस पर शायद ही आपको यकीन होगा। कहीं तरबूज को लेकर एक भीषण युद्ध देखने को मिला तो कहीं पर भाषा को न समझ पाने की वजह से लाखों लोगों की जानें चली गईं। ऐसे में हम आपको कुछ अजब-गजब युद्धों के बारे में बताएंगे, जिन्हें जानने के बाद आप भी आश्चर्यचकित हो जाएंगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि राजस्थान के बीकानेर रियासत में आज से करीब 375 साल पहले एक तरबूज के फल को लेकर भीषण युद्ध हुआ था। तरबूज को लेकर हुए इस युद्ध में हजारों सैनिकों की जानें गईं।
इतिहास में हुए इस अजीबो-गरीब युद्ध को 'मतीरे की राड़' के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध 1644 ईस्वी में हुआ था। राजस्थान के कई हिस्सों में तरबूज को 'मतीरा' कहते हैं। वहीं राड़ से अभिप्राय झगड़ा-लड़ाई से है। इस दौरान हुआ कुछ ऐसा था कि तरबूज का पौधा बीकानेर रियासत की सीमा में उगा था। वहीं उसका एक फल नागौर रियासत की सीमा में चला गया था।
इसके बाद दोनों रियासतों में इसको लेकर विवाद हो गया। बीकानेर रियासत के लोगों का कहना था कि पेड़ हमारी सीमा में है तो तरबूज के फल पर हमारा अधिकार होगा। वहीं नागौर रियासत के लोगों का कहना था कि फल हमारी सीमा में आ गया है तो इस पर अधिकार हमारा होगा। इसी बात को लेकर यह छुटमुट झगड़ा एक बड़े युद्ध में बदल गया। इसमें दोनों रियासतों के कई सारे सैनिकों की जानें गईं। अंत में इस युद्ध को बीकानेर की रियासत ने जीता।
ऐसे अजीबोगरीब युद्ध केवल भारत में ही नहीं हुए हैं। विदेशों में भी आपको ऐसे कई सारे युद्ध देखने को मिल जाएंगे। इसी में एक युद्ध आता है इतिहास का सबसे बेवकूफाना जंग (The Dumbest Battle of History)। इस युद्ध को ऑस्ट्रिया और यूरोप के सैनिकों ने आपस में ही लड़ा था। यह घटना सितंबर 1788 की है। उस दौरान ऑस्ट्रियाई सैनिक एक विशेष प्रकार के अंब्रेला के अंतर्गत कार्य करते थे। इसके अंतर्गत ऑस्ट्रियाई सैनिकों के साथ फ्रांस, जर्मनी, सर्बिया, पौलेंड के सैनिक भी काम करते थे। इस कारण सैनिक दलों में विभिन्न आचार, विचार और भाषा रखने वाले कई सारे सैनिक थे। इस वजह से सैनिकों का एक दूसरे के साथ सामंजस्य बनाना काफी मुश्किल भरा काम था।
ऐसे में सितंबर की एक रात को डेन्यूब नदी के किनारे ऑस्ट्रियाई सैनिक गश्त कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें रोमानिया के कुछ सैनिक शराब पीते हुए दिखे। उस दौरान ऑस्ट्रिया और रोमानिया मित्र देश थे। रोमानिया के सैनिकों ने ऑस्ट्रिया के सैनिकों को शराब पीने का न्योता दिया। इस आमंत्रण को उन्होंने स्वीकारा और रोमानिया के सैनिकों के साथ मिलकर शराब पीने लगे। इसके कुछ देर बाद गश्त करते हुए ऑस्ट्रिया के कुछ और सैनिक भी आ गए। उन्होंने भी शराब की बोतलों को पीने के लिए मांगा, लेकिन अब केवल शराब की एक ही बोतल बची थी। इस कारण रोमानिया के सैनिकों ने उन्हें शराब देने से मना कर दिया। इस पर बात बिगड़ गई और सैनिकों की आपस में लड़ाई होने लगी, देखते ही देखते सैनिक एक दूसरे पर गोलियां चलाने लगे।
वहीं डेन्यूब नदी के दूसरी ओर ऑस्ट्रियाई सैनिक मुस्तैदी के साथ निगरानी कर रहे थे कि कहीं तुर्क सेना उन पर हमला न कर दे। उन्होंने जैसे ही इन गोलियों की आवाजें सुनी उन्हें लगा तुर्क सेना ने आक्रमण कर दिया है। इसके बाद उन्होंने बंदूख से उसी दिशा में गोलियों की बरसात करने लगे। वहीं दूसरी तरफ से अंधेरे में कई सारे सैनिक उन्हें चिल्ला-चिल्लाकर बता रहे थे कि गोली मत चलाओ। यह हमारे ही सैनिक हैं, जो आपस में लड़ रहें हैं। पर वे उनकी भाषा नहीं समझ पा रहे थे। इस अजीबो-गरीब युद्ध में 10,000 से ज्यादा सैनिकों की जानें गईं। इतिहास में इसे बेवकूफाना जंग (द डंबेस्ट बैटल ऑफ द हिस्ट्री) की संज्ञा दी जाती है।
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