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सनातन धर्म में दान को खास महत्व दिया गया है. मान्यता है कि हर इंसान को जीवन में किसी चीज भी चीज का एक बार अवश्य दान करना चाहिए
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सनातन धर्म में दान को खास महत्व दिया गया है. मान्यता है कि हर इंसान को जीवन में किसी चीज भी चीज का एक बार अवश्य दान करना चाहिए. जिस प्रकार कुंडली के कमजोर बुध को मजबूत करने के लिए किन्नरों को दान किया जाता है. उसी तरह गोदान हर प्रकार के दोषों से छुटकारा दिलाता है. साथ ही मान्यता है कि गोदान से स्वर्ग में जगह मिलता है. जानते हैं कि गोदान का शास्त्रों में कौन-कौन से नियम बताए गए हैं.
गोदान मिलता है स्वर्ग में जगह
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय के सभी अंगों में देवता विराजते हैं. गाय के सिर में महादेव, माथे पर गौरी और नथनों में कार्तिकेय का वास होता है. इसके साथ ही गाय की आंखों में सूर्य-चंद्रमा, कानों में अश्विनी कुमार, दांतों में श्री कृष्ण, जीभ में वरुण और गले में देवराज इन्द्र का वास है. इसके अलावा गाय की बाल में सूर्य की किरणें, खुर में गंधर्व, पेट में पृथ्वी और चारों थनों में चारों समुद्र का निवास है. साथ ही गाय के गोमूत्र में गंगा और गोबर में यमुना का वास होता है. गाय के सींगों में ब्रह्मा और विष्णु का वास माना गया है.
दान से पहले किया जाता है गाय का श्रृंगार
गोदान से पहले गाय का भी श्रृंगार किया जाता है. इसके लिए कपड़े, श्रृंगार का सामान, आभूषण आदि की पूजा करनी चाहिए. शास्त्रों के मुताबिक ब्राह्मण को किया गया गोदान ही सही है. दान के लिए गाय की सींग और खुर चमकदार होने चाहिए. साथ ही उसकी तांबे की तरह पीठ और दूध देने वाली होनी चाहिए. बूढ़ी गाय कभी भी दान में नहीं देनी चाहिए. गोदान के लिए दाहिने हाथ में गाय की पूंछ पकड़कर खुद का मुंह दक्षिण में रखा जाता है
TagsSanatan Dharma
Ritisha Jaiswal
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