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‘हंटर किलर’ टैंक
लंबे इंतजार के बाद रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए स्वदेशी 118 मुख्य युद्धक टैंक 'अर्जुन एमके 1 A' की आपूर्ति के लिए ऑर्डर दे दिया है. यह केंद्र सरकार की मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा दे रहा 7,523 करोड़ रुपये का यह आदेश ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (OFB) की हैवी व्हीकल फैक्टरी, अवाडी (तमिलनाडु) को दिया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल की शुरुआत में 14 फरवरी को चेन्नई के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को पहला टैंक सौंपा था. बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने फरवरी में 14 हजार करोड़ रुपये से अधिक के खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी थी, उसी में 118 स्वदेशी अर्जुन मार्क 1-A टैंक भी शामिल हैं.
एंटी टैंक ग्रेनेड और मिसाइल से सुरक्षित
पीएम मोदी जब नवंबर, 2019 में सैनिकों के साथ दीवाली मनाने पाकिस्तान से लगी जैसलमेर (राजस्थान) के लोंगेवाला सीमा पर गए थे, तब उन्होंने अर्जुन टैंक की सवारी की थी. यह उसी का उन्नत वर्जन है. इसमें कई तरह की खासियतें हैं.
इस अपग्रेडेड वर्जन में टैंक की फायर पावर क्षमता को काफी बढ़ाया गया है. साथ ही इसमें एकदम नई तकनीक का ट्रांसमिशन सिस्टम लगाया गया है.
यह टैंक अपने टारगेट को स्वयं तलाश करने में सक्षम है. यह स्वयं तेजी से आगे बढ़ते हुए दुश्मन के लगातार हिलने वाले लक्ष्यों पर भी सटीक प्रहार कर सकता है.
टैंक में कमांडर, गनर, लोडर व चालक का क्रू होगा. इन चारों को यह टैंक युद्ध के दौरान भी पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगा. टैंक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि रणक्षेत्र में बिछाई गई माइंस को साफ करते हुए आसानी से आगे बढ़ सकता है.
कंधे से छोड़ी जाने वाले एंटी टैंक ग्रेनेड और मिसाइल का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. विशेष रूप से भारतीय परिस्थितियों के लिए तैयार किया गया यह टैंक प्रभावी तरीके से बॉर्डर सिक्योरिटी में तैनाती के लिए उपयुक्त है.
दिन-रात मुकाबले में सक्षम, परमाणु बम से अलर्ट
इस टैंक में केमिकल अटैक से बचाने के लिए इसमें विशेष तरह के सेंसर लगे हैं. केमिकल या परमाणु बम के विस्फोट की स्थिति में इसमें लगा अलार्म बज उठेगा. साथ ही टैंक के अंदर हवा का दबाव बढ़ जाएगा ताकि बाहर की हवा अंदर प्रवेश न कर सके.
यह दिन और रात की परिस्थितियों में और स्थिर और गतिशील दोनों मोड में दुश्मन से मुकाबला कर सकता है. क्रू मेंबर के लिए ऑक्सीजन के लिए बेहतरीन फिल्टर लगाए गए हैं.
इसके अलावा इसमें कई नए फीचर्स शामिल किए गए हैं, जो इस टैंक को न केवल बेहद मजबूत बनाते हैं बल्कि सटीक प्रहार करने में इसका कोई सानी नहीं है.
सेना के सुझाव पर 72 तरह के सुधार किये गए
पूरी तरह से स्वदेशी इस टैंक को पहली बार 2004 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था. मौजूदा समय में सेना के पास अर्जुन टैंक की दो रेजिमेंट हैं, जिन्हें जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया गया है. अर्जुन टैंक का इस्तेमाल करने के दौरान सेना को कई तरह के अनुभव हासिल हुए.
इनके आधार पर सेना ने इसके उन्नत वर्जन के लिए कुल 72 तरह के सुधारों की मांग की. डीआरडीओ ने सेना के सुझावों को शामिल करते हुए हंटर किलर टैंक तैयार किया. इसके बाद भी सेना की मांग पर डीआरडीओ ने करीब 14 नए फीचर्स को टैंक में शामिल करके 4 टैंक तैयार किए.
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