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जानिए स्तनपायी जीवों के इतिहास के बारे में

Gulabi Jagat
22 July 2022 7:55 AM GMT
जानिए स्तनपायी जीवों के इतिहास के बारे में
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स्तनपायी जीवों के इतिहास के बारे में
पृथ्वी के जीवन के इतिहास में प्राणियों के उद्भव (Evolution of life on Earth) का अहम स्थान है. इस अध्ययन से हमारे वैज्ञानिक यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि मनुष्य जैसे बुद्धिमान जीव का विकास कैसे हुआ. इसमें स्तनपायी जीवों का उद्भव एक महत्वपूर्ण कड़ी है. इनके विकासक्रम में एक अहम बदलाव एंडोथर्मी का विकास यानी इनका गर्म खून का जीव (Warm blooded Animals) हो जाना था. वातावरण के तापमान में उतार चढ़ाव होने के बाद भी शरीर के तापमान को गर्म रखने की यह क्षमता कब विकसित हुई यह एक रहस्य ही था. नए अध्ययन में इस पहेली का हल निकाल लिया है.
एंडोथर्मी का विकास
आधुनिक स्तनपायी जीवों के पूर्वज आज से 3 करोड़ साल शुरुआती डायनासोर के साथ विकसित हो रहे थे.लिकन एंडोथर्मी क्षमता के विकास के बाद के बाद स्तनपायी जीवों में विविध वातावरण में रहने की क्षमता भी विकसित होती गई और उनमें भी विविधता आती गई. लिस्बन यूनिवर्सिटी के पेलियोएंटोलॉजिस्ट रिकार्डो एराजुओ की अगुआई में हुए अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने ऐसे प्रमाण हासिल किए हैं जिनसे पता चलता है कि स्तनपायी जीवों में एंडोथर्मी कब विकसित हुई थी.
खून में नहीं मिले प्रमाण
शोधकर्ताओं ने पाया कि 23.3 करोड़ साल पहले, उत्तर ट्रियासिक काल में डायनासोर के विकास काल में ही जीवों में खूनको गर्म रखनी की क्षमता एंडोथर्मी का सबसे पहले विकास हुआ था. और ये प्रमाण किसी खून में बल्कि स्तनपायी जीव के पुरातन पूर्वज के अंतर के कानों के जीवाश्म में मिले हैं.
अंदरूनी कान में प्रमाण
पहली बार सोचने में ऐसा जरूर लगता है कि अंदरूनी कान में शरीर के तापमान संबंधी संकेत कैसे हो सकते हैं, वास्तव में शोधकर्ताओ तार्किक आधार पर इस नतीजे पर पहुंचे थे. उन्होंने देखा कि शरीर का तापमान के के अंदर मौजूद द्रव्य के गाढ़ेपन आदि के प्रभावित करता है. इस द्रव्य से भरे हुए आंतरिक कान का मुख्य काम सिर की गतिविधि का पता लगाना था जो दिखाई देने की क्षमता, संतुलन और संयोजनात्मक गतिविधि के लिए जरूरी होता है.
कान और तापमान
इस् अध्ययन के लेखक और लंदन में यूके नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में इयर कैनाल्स बायोमैकेनिक्स के विशेषज्ञ जीवाश्मविज्ञानी रोमेन डेविड ने बताया कि अब तक अर्द्धचंद्राकार नलिकाओं का उपयोग जीवाश्व वाले जीव की चाल आदि का अनुमान लगाने के लिए किया जाता था. लेकिन ध्यान से देखने पर शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि इससे शरीर के तापमान के बारे में भी पता चल सकता है.
360 प्रजातियों की जानकारी
इससे पहले के अध्ययन उपापचय दर, ऑक्सीजन का उपयोग आदि का उपयोग कर एंडोथर्मी के इतिहास को जानने का प्रयास करते थे, लेकिन इससे विरोधाभासी नतीजे ही मिले हैं. उन्हें विश्वास है कि उनकी अंदरूनी कान के नरम ऊतकों और हड्डियों के आकार और आकृति संरचना के विश्लेषण की नई पद्धति काफी मददगार होगी. इससे वे पता लगा सकते हैं कि जानवर गर्म खून का था या ठंडे खून का था इससे वे 360 जीवित और विलुप्त प्रजातियों के बारे मे पता लगा चुके हैं.
अंदरूनी कान की संरचना में बदलाव
इस विश्लेषण से पता चला कि स्तनपायी जानवरों जैसे अधिक शारीरिक तापमान रखने वाले जानवर सही तरह से काम कर सकें इससे उनके आंतरिक कान की नलिकाओं के आकार में बदलाव आ जाता है. इसका मतलब यही हुआ कि आंतरिक कानों की संरचना के जरिए यह पता लगाया जा सकता की प्रजाति में एंडोथर्मी कब विकसित हुई थी. जब शोधकर्ताओं ने स्तनपायी जीवों के उद्भव के समय के दौरान पाई जाने वाली 56 विलुप्त प्रजातियों के जीवाश्म का विश्लेषण किया तो उनहोंने पाया कि उन्हीं के आकार के ठंडे जानवरों की तुलना में इनके अंदरूनी कान की नलिकाएं छोटी थीं.
नेचर में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सिम्यूलेशन के जरिए पाया इसके करीब दस लाख साल बाद ही जीवों में एंडोथर्मी विकसित हो गई होगी. जीवाश्म वाले जीवों में उन्होंने पाया कि उस दौरान इन जीवों के उपापचय में भी बदलाव आ रहा था जिससे वे शरीर का अधिक तापमान कायम रख सकें. जब तब ट्रियासिक जलवायु तेजी से ठंडी हो रही थी. यह कोई बहुत ही धीमे चलने वाली प्रक्रिया नहीं थी.
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