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मुमकिन हो सकता है परग्रही का जीवन
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के केपलर स्पेस टेलिस्कोप से मिले डेटा की मदद से वैज्ञानिकों की टीम ने एक अहम खोज की है। उन्हें पांच जुड़वां सितारों के सिस्टम मिले हैं और खास बात यह है कि हर किसी में एक ग्रह ऐसा है जहां जीवन की संभावना नजर आती है। यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉई के वैज्ञानिकों ने केपलर डेटा का इस्तेमाल कर एक नया तरीका ईजाद किया है। इससे ऐसे सिस्टम्स को खोजा जा सकता है जिसमें दो सितारे हों और पास में धरती जैसा ऐसा ग्रह जहां जीवन की संभावना लगती हो।
जीवन कितना मुमकिन?
टीम ने दोनों सितारों के द्रव्यमान, उनकी चमक और सिस्टम के हिसाब से ग्रहों की पोजिशन के आधार पर तय किया कि इनके ग्रहों पर जीवन कितना मुमकिन है। यहां यह देखा गया कि कहां पानी की कितनी संभावना है। Kepler-38 सिस्टम में एक धरती जैसा सितारा है और एक छोटा सितारा भी। यह धरती से 3970 प्रकाशवर्ष दूर है और बड़े सितारे का चक्कर लगाता हुआ वरुण के आकार का एक ग्रह भी मिला है।
कैसे हैं ये ग्रह?
रिसर्चर्स ने Kepler Mission पर मिले 9 सिस्टम्स के सितारों और ग्रहों के रहने लायक क्षेत्रों पर होने वाले असर को स्टडी किया है। इनमें से जिन सिस्टम्स को उन्होंने चुना, उनमें एक वरुण के आकार का ग्रह है। इसके लिए Kepler 34, 35, 38, 64 औ 413 को चुना गया। इनमें से 38 के धरती जैसा होने की संभावना मानी गई है। इसके एक सितारे का द्रव्यमान सूरज का 95% है और छोटे सितारे का द्रव्यमान सूरज का 25% है। यह Lyra तारामंडल में है। अभी तक एक ग्रह को इसका चक्कर काटते देखा गया है लेकिन उम्मीद है कि ऐसे और भी ग्रह होंगे।
ज्यादा सितारे से क्या फर्क?
इन सभी सिस्टम्स में ऐसा जीवन लायक क्षेत्र है जहां सितारों के गुरुत्वाकर्षण का नकारात्मक असर नहीं होगा। Kepler-64 में दो सितारों की चार हैं लेकिन फिर भी यहां चट्टानी ग्रह पर जीवन की संभावना है। सूरज के इर्द-गिर्द धरती की कक्षा अंडाकार है जिससे हमें रेडिएशन लगभग एक समान मिलता है लेकिन यह ऐसे ग्रहों के लिए नहीं है जहां दो सूरज हों। यहां दोनों से रेडिएशन और गुरुत्वाकर्षण का असर पड़ता है।
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