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भारतीय वैज्ञानिकों ने हवा में उगाया आलू, अब नहीं पड़ेगी जमीन की जरुरत

Triveni
21 Jan 2021 7:51 AM GMT
भारतीय वैज्ञानिकों ने हवा में उगाया आलू, अब नहीं पड़ेगी जमीन की जरुरत
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खबर की हेडिंग पढ़कर आपको लग रहा होगा कि हम मजाक कर रहे हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। हवा में आलू उगाने का ये कारनामा दुनिया के किसी अन्य देश में नहीं,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| खबर की हेडिंग पढ़कर आपको लग रहा होगा कि हम मजाक कर रहे हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। हवा में आलू उगाने का ये कारनामा दुनिया के किसी अन्य देश में नहीं, बल्कि हमारे ही भारत में हुआ है। हरियाणा के करनाल में बने एक आलू प्रोद्योगिक केंद्र ने इस नामुमकिन से काम को सच कर दिखाया है।इस एक्सपेरिमेंट में वैज्ञानिकों ने हवा में ही आलू उगाए, वो भी बिना मिट्टी के। सबसे ख़ास बात ये कि इस आलू की पैदावार आम आलुओं के मुकाबले 10 प्रतिशत ज्यादा रहेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक से कम लागत में ज्यादा आलू उगाए जा सकते हैं। इससे किसानों को काफी मुनाफा होगा। आइये दिखाते हैं कैसे हवा में उग जाएंगे आलू...

करनाक के आलू प्रोद्योगिक केंद्र के वैज्ञानिकों ने हवा में आलू उगाने में सफलता हासिल की है। किसान अब नॉर्मल तरीके की जगह इस तकनीक से ज्यादा से ज्यादा आलू उगा पाएंगे।
इस तकनीक को एरोपोनिक नाम दिया गया है। इसमें ना तो जमीन की आवश्यकता है ना ही मिट्टी की। साथ ही इस आलू को उगाने में लागत भी काफी कम आएगी। इससे कम पैसों में ही किसान को ज्यादा मुनाफा होगा।
इस तकनीक को इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर के साथ मिलकर केंद्र सरकार ने बनाया है। अब इसे हरियाणा के किसानों को सिखाया जाएगा। केंद्र सरकार ने एरोनोपिक तकनीक से खेती को मंजूरी दे दी है।

ऐरोनोपिक तकनीक में उगने वाले आलुओं को सारे न्यूट्रिशन जड़ों में सीधे मिलेंगे। ये हवा में लटके रहेंगे और इसी के ऊपर से आलू उगेंगे। प्रोजेक्ट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ मुनीश सिंगल ने बताया कि ये काफी अहम प्रोजेक्ट है।
डॉ मुनीश के मुताबिक़, इस तकनीक से आलू के बीजों की क्वालिटी बेहतर होगी। कई बार मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से आलू खराब हो जाते हैं। लेकिन इस तकनीक से ये समस्या खत्म हो जाएगी।
चूंकि आलुओं में कीड़े नहीं लगेंगे, इस वजह से उनकी पैदावार ज्यादा होगी और किसानों को ज्यादा फायदा मिलेगा। अभी करनाल में इस तकनीक के सिस्टम को इनस्टॉल किया गया है।
आने वाले समय में इसे कई राज्यों में फैलाया जाएगा। इससे मिलने वाले बीज काफी हेल्दी होंगे और किसानों को कम पैसों में बीज मुहैया करवाए जाएंगे।


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