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चीन को 2-3 साल में पछाड़ देगा भारत, चल रही एलआईसी पर बड़ी तैयारी
Manish Sahu
7 Sep 2023 4:30 PM GMT
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भारत: चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तेजी से निर्माण कार्य करने में जुटा है। लेकिन अब भारत भी पीछे नहीं है। एलएसी पर चीन की आक्रामकता को देखते हुए भारत ने अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। ज्ञात हो कि जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच संबंधों में तनाव है। पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच तीन साल से अधिक समय से टकराव है, जबकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है।
सीमा सड़क संगठन (BRO) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने गुरुवार को कहा कि भारत अगले दो से तीन वर्षों में चीन को पछाड़ देगा। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार वास्तविक नियंत्रण रेखा के 3,488 किलोमीटर के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है। एएनआई से एक्सक्लूसिव बात करते हुए BRO चीफ ने कहा कि पिछले 2-3 वर्षों में 11,000 करोड़ रुपये की 295 परियोजनाएं पूरी की गई हैं।
हमारा समर्थन कर रही है मौजूदा सरकार- BRO चीफ
सीमाओं पर बुनियादी ढांचे के विकास के संबंध में पिछली सरकारों के साथ सत्तारूढ़ सरकार की तुलना करते हुए, बीआरओ प्रमुख ने कहा कि चीन ने भारत से बहुत पहले एलएसी पर बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देना शुरू कर दिया था और एक दशक पहले एलएसी पर बुनियादी ढांचे के विकास के बारे में हमारी सोच थोड़ी रक्षात्मक थी। उन्होंने कहा, "लेकिन अब वर्तमान सरकार ने इस सोच और नीति को बदल दिया है और एलएसी पर हमारे काम में तेजी लाने के लिए अन्य सभी वाहनों और मशीनों के लिए बजट के साथ हमें समर्थन दे रही है।"
हर सीमाओं पर चीन से बहुत आगे होगा भारत- लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी
हाल के वर्षों में केंद्र सरकार ने एलएसी के साथ बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निर्धारित बजट पर खूब जोर किया है। इस संबंध में बोलते हुए लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा, "2008 में, हमारा बजट लगभग 3,000 करोड़ रुपये हुआ करता था। 2017 में यह बढ़कर 5000-6000 करोड़ रुपये हो गया। 2019 में, यह 8,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और उसके बाद इसमें वृद्धि हुई। पिछले वर्ष लगभग 12,340 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। सरकार सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सक्रिय रूप से सोच रही है। इसने असल में हमारी स्थिति को मजबूत किया है और शायद दो-तीन साल या चार साल में, भारत सड़कों, पुलों, सुरंगें और हवाई क्षेत्र जैसे बुनियादी ढांचे के मामले में सभी सीमाओं पर चीन से बहुत आगे होगा।"
उन्होंने कहा कि इस साल सितंबर तक ही करीब 2,940 करोड़ रुपये की कुल 90 परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा, "12 सितंबर को, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जम्मू क्षेत्र का दौरा करेंगे और 90 परियोजनाओं का उद्घाटन और समर्पण करेंगे जिनमें 22 सड़कें, 63 पुल, एक सुरंग जो अरुणाचल में है और दो रणनीतिक हवाई क्षेत्र (बागडोगरा और बैरकपुर) और दो हेलीपैड, एक राजस्थान और एक ससोमा-सासेर ला के बीच लद्दाख में शामिल हैं।'' बीआरओ के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सरकार का ध्यान लद्दाख और अरुणाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों पर केंद्रित है।
लद्दाख और अरुणाचल पर ज्यादा ध्यान दे रही सरकार
उन्होंने कहा, "उन (90 परियोजनाओं) में से 26 लद्दाख में और 36 अरुणाचल में हैं... इसलिए हमारा ध्यान पूरी तरह से इन दो राज्यों पर है और हम वास्तव में चीन को हराने के लिए इन दोनों राज्यों में बहुत आगे और बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अगर मैं ऐसा कह सकता हूं, तो अगले दो से तीन वर्षों में हम चीन को पछाड़ देंगे।" उन्होंने कहा कि दिसंबर तक अन्य 60 परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी, जिससे परियोजनाओं की संख्या 150-160 हो जाएगी। उन्होंने बताया कि इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 6,000 करोड़ रुपये होगी और संख्या 150 से 160 होगी। इसलिए यह देश के लिए एक महान क्षण है कि सीमावर्ती क्षेत्रों पर इतनी सारी परियोजनाएं बनाई जा रही हैं और यह सुरक्षा मैट्रिक्स को मजबूत कर रही है।
भारत-चीन सीमा पर पूरे किए गए विकास कार्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए चौधरी ने कहा, 'हम एलएसी के इतने करीब नहीं हैं, लेकिन पिछले तीन वर्षों में हम अपने काम की गति बढ़ा रहे हैं और हमने अब तक 11,000 करोड़ रुपये की लागत वाली 295 परियोजनाएं पूरी की हैं। उन्होंने कहा कि इससे हमें अधिकांश अग्रिम चौकियों तक अंतिम-मील कनेक्टिविटी मिलेगी। साथ ही आईटीबीपी पोस्ट और हमारे दूर-दराज के गांवों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी, जो अब तक नहीं जुड़े हैं।
Manish Sahu
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