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इस गांव में युवाओं के नुकीले दातों की होती है घिसाई, जानिए क्यों दिया जाता है इस रस्म को अंजाम?

Gulabi
5 Feb 2022 4:57 PM GMT
इस गांव में युवाओं के नुकीले दातों की होती है घिसाई, जानिए क्यों दिया जाता है इस रस्म को अंजाम?
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युवाओं के नुकीले दातों की होती है घिसाई
दुनिया में हर देश के रहने वाले लोगों की अपनी अलग तरह की मान्यताएं (Weird Traditions Around the World) होती हैं जो सदियों से उस देश में चली आ रही हैं. इन मान्यताओं के भरोसे ये देश और यहां के लोग सांस लेते हैं, जीवित रहते हैं क्योंकि लोगों कि इन मान्यताओं पर अटूट आस्था होती है. किसी भी रिवाज (Amazing Traditions) को सही गलत में नहीं आंका जा सकता क्योंकि दूसरों के लिए ये रिवाज भले ही हैरान करने वाले हों, उन देशों के लिए बेहद खास होते हैं. आज हम आपको इंडोनेशिया से जुड़ी एक खास मान्यता के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें लोगों के नुकीले दातों (Teenagers teeth filed in Indonesia) को घिस दिया जाता है.
इंडोनेशिया के दक्षिणी बाली (Southern Bali, Indonesia) में एक गांव है जहां सालों से दातों (Teeth filing tradition in Indonesia) को घिसकर चपटा कर देने की प्रथा चली आ रही है. आप जानते ही होंगे कि इंसानों के मुंह में कई तरह के दांत होते हैं. आमतौर पर इंसानों के मुंह में 4 नुकीले दांत होते हैं जिन्हें केनाइन (Canine teeth) कहा जाता है. ये केनाइन दांत, मांस या सख्त खाने को नोचने में काम आते हैं. इन दातों का भी बहुत अहम काम होता है मगर बाली के इस गांव में इन दांतों घिसकर चपटा (Filed teeth of teenagers) कर दिया जाता है.
क्यों दिया जाता है इस रस्म को अंजाम?
साल 2017 में फ्रांस के फोटोग्राफर (Eric Lafforgue) ने दांतों को घिसने की इस पूरी रस्म पर एक फोटो सीरीज जारी की थी जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया था कि इस रस्म को क्यों और कैसे किया जाता है. डेली मेल वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक एरिक ने बताया कि बाली के लोगों का मानना है कि इंसान के अंदर शैतान और भगवान दोनों का वास होता है. इस रस्म के जरिए शैतान (Teeth filing tradition to ward off evil) को खत्म किया जाता है. नुकीले दांत जानवर या बुराई का प्रतीक है, उन्हें घिसकर, कम नुकीला किया जाता है. इस मान्यता के जरिए इंसान के अंदर से लालच, जलन, अभिमान या दूसरे के लिए बुरा चाहने की भावना को खत्म किया जाता है.
कैसे होती है रस्म?
रिपोर्ट के अनुसार 5वीं सदी में जब इंडोनेशिया में सनातन धर्म ने कदम रखे, तब से ही प्रथा चली आ रही है. जब युवक की आवाज मोटी होने लगती है और जब युवती को पहली बार पीरियड्स होते हैं, तब से रस्म उनके साथ की जाती है. इस रस्म के शुरू होने से दो दिन पहले युवक-युवती प्रार्थना करने लगते हैं. फिर एक पंडित, फाइलर का प्रयोग कर के दांतों को आकार देता है. इस रस्म में परिवार और दोस्त जमा होते हैं और इसे शादी जैसी खास रस्म की ही तरह पूरा किया जाता है. रस्म शुरू करने से पहले रूबी की अंगूठी को दांतों से छुआया जाता है जिसे सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानते हैं. रस्म के दौरान सब युवाओं को घेरे रहते हैं और रस्म के बाद जश्न होता है.
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