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प्रथा के नाम पर महिलाओं पर थोपी जाती है दर्दनाक कुप्रथा, किसी अपने की मौत पर काट दी जाती है उंगली

Ritisha Jaiswal
19 Aug 2022 1:23 PM GMT
प्रथा के नाम पर महिलाओं पर थोपी जाती है दर्दनाक कुप्रथा, किसी अपने की मौत पर काट दी जाती है उंगली
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दुनिया भर में ऐसी न जाने कितने ही प्रजातियां और जनजातियां हैं जिनकी अजीबोगरीब प्रथा आपको हैरान कर सकती हैं.

दुनिया भर में ऐसी न जाने कितने ही प्रजातियां और जनजातियां हैं जिनकी अजीबोगरीब प्रथा आपको हैरान कर सकती हैं. पहनावे से लेकर खानपान और रस्म रिवाज सब कुछ बेहद अलग और अजीब होते हैं हर जगह. एक देश में ही न जाने कितनी ही परम्पराएं एक साथ देखी जा सकती है. लेकिन इनमें कुछ प्रथाएं ऐसी होती हैं जिसे सुनकर आप सिहर उठेंगे. यही वजह है कि वो प्रथा कुप्रथा कहलाती है. आज जिस प्रथा का जिक्र हम करने जा रहे हैं उसे सुन आप दंग रह जाएंगे.

इंडोनेशिया की जनजाति 'डानी' आज भी ऐसी परंपरा का पालन करती है जिसे सुन आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. परिवार के किसी सदस्य की मौत होने पर घर की महिला को अपनी उंगली काटनी पड़ती है. इस प्रथा को इकिपालिन (Ikipalin) कहते हैं. हालांकि सालों पहले सरकार ने इसे बैन तो कर दिया, लेकिन अब भी महिलाओं के हाथ इसकी गवाही देते हैं.
परिवार के सदस्यों की मौत पर काट दी जाती है महिलाओं की उंगली
इंडोनेशिया के जयाविजया प्रांत में रहती है डानी जनजाति. जहां महिलाओं के लिए बेहद क्रूर परंपरा का पालन आज भी किए जाने के सबूत मिलते हैं. एक परंपरा के अनुसार यहां पर परिवार के किसी भी सदस्य की मौत के बाद महिलाओं को अपने हाथ की उंगलियों का ऊपरी हिस्सा काटना पड़ता है. इसके पीछे मान्यता यह है कि अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति देने के लिए इसे करना जरूरी है. उंगलियों को कुल्हाड़ी से काटा जाता है और उससे होने वाले दर्द को परिवार के सदस्य की मौत के दर्द से कम आंककर इस परंपरा को आज भी निभाया जाता है.
प्रथा के नाम पर महिलाओं पर थोपी जाती है दर्दनाक कुप्रथा
इस प्रथा के लिए महिलाओं की उंगली को पहले रस्सी से बांध दिया जाता है. ताकि उसमें खून का संचार ना हो. फिर उसे कुल्हाड़ी से काट कर अलग कर दिया जाता है, इसके पहले उंगली चबाने का ज़िक्र भी मिलता है. फिर उंगली को जला दिया जाता है. कुल्हाड़ी से उंगली काटने की दर्दनाक प्रथा को विकृति मान कर इंडोनेशिया सरकार ने इस पर बैन भी लगाया है. लेकिन दुनिया भर में ऐसी न जाने कितनी ही स्थानीय परंपराएं हैं जो बैन के बाद भी उस समाज के लोग निभाते हैं. यही वजह है कि सरकार इसे लेकर सख्त है और कई कड़े कदम भी उठाएं है. इस परंपरा को लेकर बेहद विरोध भी रहा है. विरोध परंपरा से ज्यादा इस बात को लेकर होता है की सारी कुप्रथाएं और दर्दनाक रस्म रिवाज सिर्फ महिलाओं के लिए ही क्यों


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