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जरा हटके: दीघा (पश्चिम बंगाल) में रहने वाले मछुआरे लाखों रुपए की दुर्लभ प्रजाति की मछली 'तेलिया भोला' पाकर हिल्सा मछली का गम भूल गए हैं. भारी बारिश और तेज हवा के कारण दीघा में मछली की पैदावार के लिए अनुकूल परिस्थितियां प्रभावित हो गयी हैं, इसलिए दीघा में हिल्सा मछली कम हो गयी है.
दीघा एस्चुरी मछली नीलामी केंद्र पूर्वी भारत का सबसे बड़ा समुद्री मछली का नीलामी केंद्र है, लेकिन मौसम की विसंगतियों के चलते इस वर्ष समुद्र में हिल्सा मछली समेत अन्य मछलियों को पकड़ने में गिरावट आई है. अगस्त महीने के अंत में अत्यधिक गर्म बारिश हुई, परिणामस्वरूप, समुद्र में मछली पकड़ना काफी मुश्किल हो गया.
इसकी वजह से दीघा मुहाना मछली नीलामी केंद्र में समुद्री मछली की नीलामी पर भी अच्छा खासा फर्क दिखाई दिया और मछुआरों की आय भी प्रभावित हुई, लेकिन यह उदासी तब खुशी में बदल गई जब नीलामी केंद्र में लाखों रुपए की कीमत वाली "तेलिया भोला" आई. इस मछली ने दीघा मुहाने के गमगीन माहौल को खुशहाली में बदल दिया.
मुहाना मछली नीलामी केंद्र में कुल 9 "तेलिया भोला" मछलियों की नीलामी की गई. इनकी कीमत करीब 31 हजार रुपए प्रति किलो है और प्रत्येक मछली का वजन लगभग 25-30 किलोग्राम होता है, जिस दिन मछुआरा दीघा मुहाना में मछली लाता है, उसी दिन मछलियों को मुहाने में डाल दिया जाता है.
ये "तेलिया भोला" मछलियां गहरे समुद्र में पाई जाती हैं. इस मछली के क्रैकर और अन्य भागों का उपयोग जीवनदायी औषधियां बनाने में किया जाता है, इसलिए यहां की मछलियां विदेशों में निर्यात की जाती हैं.
दीघा एस्चुरी फिशरमैन एंड फिश ट्रेडर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष नबकुमार पोइरा ने कहा कि यह मछली मूल रूप से गहरे समुद्र की मछली है. इस मछली की आंत यानी क्रैकर्स का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है, इसलिए विश्व बाजार में इसकी काफी मांग है और दाम ऊंचे हैं. यह मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर से पकड़ी गई है. बहरहाल, इस मौसम में हिल्सा मछली की कमी की मार झेल रहे मछुआरे 'तेलिया भोला' मछली पाकर खुश हैं.
Manish Sahu
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