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पौधों ने अचानक ही कैसे बदल दी थी पृथ्वी की संचरना

Subhi
29 Sep 2022 6:21 AM GMT
पौधों ने अचानक ही कैसे बदल दी थी पृथ्वी की संचरना
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पृथ्वी पर जीवन शुरू होने के बाद जीवों का उद्भव और विकास (Evolution of Life) होते होते मानव का विकास कैसे हुआ, यह बहुत लंबी कहानी है. इस कहानी में बहुत सारे उतार चढ़ाव आए जिनमें महाविनाश की कुछ घटनाएं भी शामिल हैं. लेकिन जीवन के उद्भवकाल में एक दौर ऐसा भी आया था जब पृथ्वी के स्थलमंडल में पौधों की बाढ़ (Blooming of Plants) आ गई थी यानि वे भारी संख्या में फलने फूलने लगे थे. इसके पृथ्वी के जीवन पर तो गहरा असर पड़ा था. नए अध्ययन में खुलासा हुआ है

पृथ्वी पर जीवन शुरू होने के बाद जीवों का उद्भव और विकास (Evolution of Life) होते होते मानव का विकास कैसे हुआ, यह बहुत लंबी कहानी है. इस कहानी में बहुत सारे उतार चढ़ाव आए जिनमें महाविनाश की कुछ घटनाएं भी शामिल हैं. लेकिन जीवन के उद्भवकाल में एक दौर ऐसा भी आया था जब पृथ्वी के स्थलमंडल में पौधों की बाढ़ (Blooming of Plants) आ गई थी यानि वे भारी संख्या में फलने फूलने लगे थे. इसके पृथ्वी के जीवन पर तो गहरा असर पड़ा था. नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि इसने पृथ्वी के महाद्वीपों की संचरना (Composition of Continents of Earth) तक में बड़ा बदलाव ला दिया था.

संरचना में आया अचानक बदलाव

.साउथएम्पटन यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक धरती पर पौधों की उत्पत्ति का एक नतीजा यह भी रहा कि महाद्वीपों की संरचना में अचानक ही बदलाव आ गया है. इस अध्ययन में क्वीन्स यूनिवर्सिटी ऑफ कैनेडा, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज, यूनिवर्सिटी ऑफ अबरदीन और चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ जियोसाइंसेस के वैज्ञानिकों ने भी हिस्सा लिया था. डॉ टॉम जेर्नोन की अगुआई में हुए इस अध्ययन में पौधों के उद्भव का पिछले 70 करोड़ साल तक पृथ्वी की रासायनिक संरचना पर हुए प्रभाव का अध्ययन किया है.

आमूलचूल बदलाव

यह सभी को पहले से ही पता चल चुका है कि पौधों ने पृथ्वी के जैवमंडल ( पृथ्वी के वे क्षेत्र जिसमें जीवन पनपता है) में आमूल चूल बदलाव ला दिए थे जिससे 20 करोड़ साल बाद डायनासोर जैसे जीवों के आगमन के लिए एक मंच तैयार हो गया था. पौधों ने नदियों के तंत्र में मूलभूत बदलाव किए. उनमें और ज्यादा मोड़, ज्यादा मोटी मिट्टी, और मिट्टी वाले बाढ़ के मैदान बनने लगे.

मिट्टी का निर्माण और बदलाव

इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और किंग्सटन ओनटारियो की क्वीन्स यूनिवर्सिटीके एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ क्रिस्टोफर स्पेंसरका कहना है कि यह बदलाव पौधों की जड़ों के तंत्र के विकास से जुड़ा हुआ था जिसने विशाल मात्रा में मिट्टी का निर्माण किया और नदियों के बहाव को स्थायित्व प्रदान किया जिसने मिट्टी को लंबे समय तक जमाने का काम किया.

पृथ्वी की सतह के नीचे मिट्टी

वैज्ञानिकों ने पाया कि प्लेट टेक्टोनिक्स पृथ्वी की सतह को गहरे क्रोड़ से जोड़ने का काम करती है. नदियां मिट्टी को धोकर महासागरों तक ले जाती हैं और यह मिट्टी इसके बाद पृथ्वी के पिघले हुए आंतरिक हिस्सों या मेंटल तक निम्नीकरण क्षेत्रों के जरिए चली जाती है जहां ये पिघल कर नई चट्टान बन जाती है.

धीमी हुई होगी प्रक्रिया

डॉ जेर्नोन ने बताया, "जब इन चट्टानों का क्रिस्टलीकरण होता है वे पुरातन अवशेषों में जमा हो जाते हैं इसलिए हमने यहा धारणा बनाई की पौधों के उद्भव के साथ ने महासागरो में मिट्टी पहुंचाने की प्रक्रिया को जरूर धीमा कर दिया होगा और और इसके प्रमाण चट्टानों में भी जरूर संरक्षित हो गए होंगे.

जिरकॉन क्रिस्टल में छिपे प्रमाण

इसी धारणा का परीक्षण करने केलिए वैज्ञानिकों ने पांच हजार से ज्यादा जिरकॉन क्रिस्टल के डेटाबेस का अध्ययन किया हो जो निम्नीकरण क्षेत्र के मैग्मा में बने थे. जिरकॉन एक तरह से टाइम कैप्सूल माने जाते हैं क्योंकि उनमें उनके निर्माण के समय की रासानयिक स्थितियों की जानकारी कैद हो कर रह जाती है.

शोधकर्ताओं ने इस तरह के प्रमाण हासिल करने में सफलता पाई और ये उसी समय के संकेत थे जा पृथ्वी के महाद्वीपों में पौधे पनप रहे थे. उन्होंने दर्शाया कि वनस्पति में बादलाव ना केवल पृथ्वी की सतह पर बहुत बड़े लाया था, बल्कि उससे पृथ्वी के मेंटल की पिघलने की प्रणालियां तक प्रभावित हुई थीं. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पृथ्वी के आंतरिक भाग और सतह के वातावरण के बीच अब तक की नहीं देखी गई कड़ी है.


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