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कैसे बनता है शहतूश? जो कई सालों से है भारत में बैन, जानिए इसके बारे में

Gulabi
21 Dec 2021 11:09 AM GMT
कैसे बनता है शहतूश? जो कई सालों से है भारत में बैन, जानिए इसके बारे में
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सर्दी का वक्त है और आप भी सर्दी से बचने के लिए शॉल का इस्तेमाल करते होंगे
सर्दी का वक्त है और आप भी सर्दी से बचने के लिए शॉल का इस्तेमाल करते होंगे. कई लोग तो कई पशमीना जैसे शॉल भी खरीदते हैं, जो काफी महंगे होते हैं और बहुत कम लोग ही उन्हें खरीद पाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं एक पशमीना से भी काफी महंगा शॉल आता है, जिसका नाम है शहतूश. खास बात ये है कि अब आप इसे भारत में खरीद ही नहीं सकते हैं, क्योंकि यहां कई साल पहले इस पर बैन लगा दिया गया है.
शहतूश के नाम की बात करें तो यह पर्शियन शब्द है, जिसका मतलब है किंग ऑफ वूल. यानी इसे ऊन का राजा माना जाता है. इसे ऊन में सबसे अच्छी कैटेगरी का ऊन माना जाता है. अब जानते हैं कि आखिर ये शॉल इतना महंगा क्यों है और इस पर सरकार ने बैन क्यों लगा रखा है. जानते हैं इस शहतूश शॉल से जुड़ी हर एक बात…
कैसे बनता है शहतूश?
शहतूश शॉल या शहतोष शॉल चिरु के बालों से बनाई जाती है. यह चिरू तिब्बत और लद्दाख में पाए जाते हैं. शहतूश को ऊन का राजा कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि एक शहतूष शॉल को बनाने में चार-पांच चीरु को मारा जाता है. इस कारण हर साल करीब 20 हजार चिरू शहतूष कारोबार की वजह से मर जाते हैं. यह इसके बालों के जरिए बनाया जाता है और यह चिरू तिब्बत के पहाड़ों में पाया जाता है.
कई सालों से है बैन
साल 1975 में IUCN द्वारा शहतूश शॉल को बैन कर दिया गया इसके बाद 1990 में भारत ने भी इस शॉल पर प्रतिबंध लगा दिया गया इसे रिंग शॉल भी कहते हैं. पहले भारत में बैन के बाद भी कश्मीर में इसे बेचा जाता था, लेकिन 2000 से इसकी बिक्री बिल्कुल बंद है. बता दें कि इसका कई संगठनों की ओर से विरोध किया गया था और चिंता व्यक्ति की गई थी कि इससे चिरू खत्म हो रहे हैं, फिर इस पर बैन लगाया गया और इस विलुप्त होने से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया.
कितने का आता है शहतूश का शॉल?
शहतूश शॉल काफी महंगा होता है. आप अंदाजा लगा सकते हैं एक शॉल के लिए अगर चार जानवर की हत्या कर दी जाए तो वो कितना महंगा होगा. बताया जाता है कि यह शॉल 5000 डॉलर से लेकर 20 हजार डॉलर तक में भी बिकता है. यानी एक शॉल खरीदने के लिए आपको 15 लाख रुपये तक भी खर्च करने पड़ सकते हैं.
क्यों होता है इतना महंगा?
आपने सुना होगा कि कश्मीर के पशमीना शॉल के भी काफी चर्चे हैं और लोग इसे खरीदना पसंद करते हैं. यह भी काफी महंगा होता है, लेकिन शहतूश के मुकाबले ये काफी कम है. अगर पशमीना शॉल की बात करें तो इसके फाइबर की थिकनेस 12 माइक्रॉन तक रहती है जबकि शहतूश में यह 10 माइक्रॉन होती है. इस वजह से वो काफी पतला होता है. यानी ये जिस धागे से बनता है, वो काफी पतला होता है.
अगर उदाहरण से समझाएं तो एक इंसान के बाल 70 माइक्रॉन जितने पतले होते हैं, जो भी काफी पतले हैं. ऐसे में जो शहतूश है वो 10 माइक्रॉन वाले धागे से बनता है, इसलिए ये काफी ज्यादा पतले होते हैं और इस वजह से काफी महंगे होते हैं. पतले धागे से बने होने के साथ ही यह काफी ज्यादा गर्म होते हैं, लेकिन लगातार जानवरों की मौत होने की वदह से इसे बैन कर दिया गया है.
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