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यहां हाथी के गोबर से बनाया जाता है कागज, बिकता है 30 देशों में

Gulabi Jagat
4 April 2022 5:40 AM GMT
यहां हाथी के गोबर से बनाया जाता है कागज, बिकता है 30 देशों में
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आपने हमेशा सुना होगा कि पेपर बनाने के लिए कितने पड़ों को काटा जाता है
आपने हमेशा सुना होगा कि पेपर बनाने के लिए कितने पड़ों (How is paper made from trees) को काटा जाता है. इसलिए बड़े-बुजुर्ग अक्सर बच्चों को पेपर की बर्बादी करने से रोकते हैं. लेकिन अगर हम आपसे कहें कि दुनिया में कुछ लोग ऐसा भी पेपर बना रहे हैं जो पेड़ से नहीं बल्कि मल यानी पॉटी (Paper made from animal waste) से बन रहा है तो क्या आप विश्वास करेंगे? श्रीलंका में एक शख्स हाथी (Paper made from Elephant dung in Sri Lanka) के मल से पेपर बनाने का काम कर रहा है और उसके पेपर 30 देशों में कॉपी-किताबों का रूप देकर बेचे जा रहे हैं.
श्रीलंका के रहने वाले थुसिथा रानासिंघे (Thusitha Ranasinghe) और उनके परिवार की 3 पुश्तें पेपर बिजनेस से जुड़ी हुई हैं. मगर 24 साल पहले थुसिथा को एक गजब का आइडिया सूझा जिसने उनके बिजनेस को और ज्यादा बढ़ा दिया. रिपोर्ट्स के अनुसार साल 1996-1997 में थुसिथा ने हाथियों के मल से पेपर (How is paper made from elephant poop) बनाने का प्लान बनाया.

हाथियों की ज्यादा देखकर आया आइडिया
द क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका में 2500 से 4000 तक हाथी हैं इसलिए हाथी के मल की देश में कोई कमी नहीं है. वो आसानी से यहां-वहां पड़ा मिल जाता है. हाथियों के मल में काफी मात्रा में फाइबर होता है जिससे पेपर आसानी से बन जाता है. शुरुआत में तो लोगों ने मल से पेपर बनने के बिजनेस पर आपत्ति जताई मगर जब इस बिजनेस ने ग्रामीण और गरीब लोगों को नौकरी देना शुरू किया तो फिर लोगों ने भी इसे अपना लिया.
कैसे बनता है पेपर
थुसिथा ने 1997 में ईको मैक्सिमस (Eco Maximus) नाम की कंपनी को 7 लोगों के साथ मिलकर शुरू किया था और एक छोटी सी फैक्ट्री लगाई थी. अब कंपनी के 120 कर्मचारी हैं जो देश के अलग-अलग लोकेशन से काम कर रहे हैं. कंपनी मिलेनियम एलिफैंट फाउंडेशन से मल जुटाती है जो एक गैर सरकारी संस्था है जहां हाथियों की देखभाल की जाती है. हर दिन कंपनी के पास चारी गाड़ी भरकर मल आता है जिसे फिर प्रोसेस किया जाता है. मल और रिसाइकल पेपर को उबाला जाता है जिससे मल में बैक्टीरिया मर जाएं और पल्प तैयार हो जाए. फिर एक गाढ़ा पदार्थ बनता है जिसमें 50 फीसदी गोबर और 50 फीसदी रिसाइकल पेपर होता है. पानी से भरी बड़ी स्क्रीन में इस पदार्थ को डाला जाता है जिसे पेपर की एक पतली परत बनकर निकलती है. इसे फिर सुखाने के बाद बंडल बनाया जाता है और प्रेस कर के ज्यादा पानी को निकाल दिया जाता है. इसके बाद इसे कॉपी और किताबों की शक्ल दी जाती है और मार्केट में बिकने के लिए भेज दिया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये कागज 30 देशों में बेचा जा रहा है.
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