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यहां सदियों से चली आ रही है अनोखी प्रथा, महिलाएं साल में 5 दिन नहीं पहनती कपड़े

Apurva Srivastav
15 April 2021 6:31 PM GMT
यहां सदियों से चली आ रही है अनोखी प्रथा, महिलाएं साल में 5 दिन नहीं पहनती कपड़े
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आज भी कई जगहों पर पुरानी परंपराओं की मान्यताओं का माना जाता है

दुनियाभर में कई ऐसे रीति-रिवाज है, जिनके बारे में जानने के बाद हर कोई हक्का-बक्का रह जाता है. भारत भी उन देशों में आता हैं, जहां संस्कृति और परंपराओं का अनुपालन वर्षों से किया जाता रहा है. आज भी कई जगहों पर पुरानी परंपराओं की मान्यताओं का माना जाता है. आज हम आपको ऐसी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां एक अनोखी प्रथा को मानते चले आ रहे हैं.

सदियों से चली आ रही है परंपरा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के मणिकर्ण घाटी में पीणी गांव में एक ऐसी प्रथा चली आ रही है; जिसमें एक गांव में पांच दिनों तक पत्नी बिना कपड़ों के रहती है. इन 5 दिनों में पति पत्नी एक-दूसरे से बात और मजाक तक नहीं करते है. इस दौरान गांव का कोई भी पुरुष शराब तक नहीं पीता है. सदियों से चली आ रही इस प्रथा को आज भी लोग मानते है.
आखिर क्यों मनाई जाती है ये परंपरा?
सावन के महीने के पांच दिनों में पति-पत्नी को एक-दूसरे से दूर रहना होता है और तबाही की वजह से इसे अलग तरह से जोड़कर देखा जाता है. कहा जाता है कि इस दौरान यहां की महिलाएं कपड़े नहीं पहनती लेकिन इसके बजाए ऊन से बने पहाड़ी कपड़ा; जिसे पट्टू कहा जाता है, पहनती हैं. रिपोर्ट्स और मान्यताओं की माने तो इस परंपरा के पीछे भी एक कहानी है.
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि जब यहां के मशहूर देवता लाहुआ घोंड पीणी गांव पहुंचे थे तो उस वक्त कुछ राक्षसों ने यहां कब्जा जमा रखा था. अगस्त महीने में आने वाले भादो संक्रांति को यहां के लोग काला महीना भी कहते हैं. इसी दिन लाहुआ घोंड देवता ने पीणी गांव में पांव रखा था और फिर यहां मौजूद राक्षसों का विनाश कर दिया था. उसी के बाद से ही इस रीति-रिवाज की शुरुआत हुई थी. तब से लेकर आज तक इस रिवाज को माना जा रहा है


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