जरा हटके
पांवों के सहारे खाना बनाने से लेकर बच्ची को तैयार करने तक का काम करती है ये महिला, YouTube पर शेयर किया वीडियो
Gulabi Jagat
4 April 2022 5:23 AM GMT
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जो लोग दोनों हाथ और पैर सही सलामत होने के बाद भी तकलीफों का रोना रोते रहते हैं
Mother Without Hands: जो लोग दोनों हाथ और पैर सही सलामत होने के बाद भी तकलीफों का रोना रोते रहते हैं, उनके लिए सराह ताल्बी (Sarah Talbi) की कहानी किसी मिसाल (Inspirational Story) से कम नहीं. सराह का जन्म बिना हाथों के ही हुआ था, लेकिन आज वो न सिर्फ अपने पैरों पर खड़ी हैं, बल्कि 3 साल की बच्ची की परवरिश से लेकर अपना सारा काम पैरों के सहारे ही करती हैं. उनका ये संघर्ष (Mother born without arms) आपका ज़िंदगी देखने का नज़रिया ही बदल देगा.
सराह ताल्बी (Sarah Talbi) बेल्जियम की रहने वाली हैं और वे जन्मजात अपंगता (Not Having Arms By Birth) का शिकार हैं. हालांकि उन्होंने कभी भी इस मजबूरी का रोना नहीं रोया बल्कि वे अपने हाथों का काम भी पैरों से लेने लगीं और आज जिस रफ्तार से वो पांवों के सहारे खाना (Mother Cooks By Feet) बनाने से लेकर बाल सुखाने और बच्ची को तैयार करने तक का काम करती हैं, वो हमारी कल्पना से ही परे है.
हाथों का काम लेती हैं पांवों से
सराह ताल्बी एक आर्टिस्ट हैं और उनकी 3 साल की एक बेटी भी है. बच्ची का नाम लिलिया है और उसे बिस्तर से उठाने और फिर स्कूल के लिए तैयार करने तक का काम सराह खुद ही करती हैं. उन्होंने हाथों के बजाय अपने पैरों पर निर्भरता बढ़ा दी है और वे बड़ी ही कुशलता से सब कुछ निपटाती हैं. बच्ची के जन्म के वक्त उसे उठाते हुए सराह थोड़ा डरती थीं, लेकिन फिर उन्हें आदत पड़ गई. अब तो वे सब्जियां काटने और खाना बनाने का काम भी एक चेयर पर बैठकर बड़े ही परफेक्शन के साथ निपटाती हैं.
YouTube पर शेयर करती हैं वीडियो-
सराह ताल्बी ने फिर अपनी रोज़ाना की ज़िंदगी से जुड़े हुए वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर डालने शुरू किए. उनके 2 लाख 74 हज़ार फॉलोअर्स हैं, जो उनकी ज़िंदगी जीने के तरीके को देखकर प्रेरणा लेते हैं.
उन्हें हैरानी होती है कि इतने सारे लोग उनकी कमियों के बारे में जानना चाहते हैं. वे कहती हैं कि उनकी बेटी लिलिया भी उनकी परिस्थिति को समझती है और वो उसी तरह रिएक्ट भी करती है. उनकी ज़िंदगी में बहुत सारी चीज़ों में उन्हें अपने पति से सहयोग मिलता है. शुरुआत में बच्ची के काम में वे पति की मदद लेती थीं, लेकिन धीरे-धीरे वे इसे खुद ही करने लगीं.
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