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भारत के टॉप 75 वैज्ञानिकों में कानपुर के चार आईआईटी, गर्व की बात

Gulabi
5 March 2022 1:04 PM GMT
भारत के टॉप 75 वैज्ञानिकों में कानपुर के चार आईआईटी, गर्व की बात
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टॉप 75 वैज्ञानिकों में चार कानपुर के आईआईटी
देश के टॉप 75 वैज्ञानिकों में चार वैज्ञानिक आईआईटी कानपुर के हैं। 50 वर्ष से कम उम्र वाले चारों वैज्ञानिकों ने देश के विकास और तकनीकी में क्रांति लाने का काम किया है। शुक्रवार को मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 75 वैज्ञानिकों पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया। आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने चारों वैज्ञानिकों को बधाई दी। कहा कि यह संस्थान के लिए गर्व का क्षण है, जब देश के 75 टॉप वैज्ञानिकों में आईआईटी कानपुर भी शामिल हुआ है।
कौन हैं आईआईटी के चार वैज्ञानिक :
1. प्रो. अविनाश अग्रवाल – वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल फ्यूल पर काम कर रहे हैं। प्रो. अग्रवाल को वर्ष 2016 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। प्रो. अग्रवाल इंजन कंबस्टन इनवेस्टिगेशन, कंबस्टन विजुलाइजेशन, बॉयोडीजल डेवलपमेंट, फ्यूल के विकल्प, डायरेक्ट इनजेक्शन सीएनजी आदि पर शोध कर रहे हैं।
2. प्रो. बुशरा अतीक - वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. बुशरा अतीक कैंसर पर शोध कर चुकी हैं। उन्हें वर्ष 2020 में विज्ञान के क्षेत्र के सबसे बड़े पुरस्कार शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। प्रो. बुशरा संस्थान के बॉयोलॉजिकल साइंस एंड बॉयो इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत हैं। वर्ष 2013 में आईआईटी ज्वाइन करने के बाद से ही वे कैंसर के कारण और उसके निवारण पर काम कर रही हैं। कई तरह की जीन और कोशिकाओं की गड़बड़ी का पता लगाया है, जो आगे जाकर ट्यूमर जैसी स्थिति पैदा कर देते हैं। पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर की वजह का भी पता लगाया है। वर्ष 2018 में सीएनआर राव फैकल्टी अवार्ड मिला था।
3. प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी – वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी एयरोसोल व प्रदूषण पर शोध कर रहे हैं। उन्हें वर्ष 2014 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, वर्ष 2018 में यूपी रत्न, जर्मनी की ओर से इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड सस्टेनेबिल्टी स्टडीज फेलोशिप समेत कई देशों में अवार्ड मिल चुका है। प्रो. त्रिपाठी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर काम कर रहे हैं और उन्होंने सस्ता सेंसर विकसित किया है। जिसकी मदद से पीएम-2.5 के अलावा अन्य प्रदूषक कारकों को भी मॉनीटर किया जा सकेगा। उन्होंने दिल्ली में इंडस्ट्री व वाहनों के धुएं के अलावा शोध कर बताया था कि पावर प्लांट व रेस्टोरेंट, होटल में बन रहे खाने से भी प्रदूषण बढ़ रहा है।
4. प्रो. नितिन सक्सेना – वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. नितिन सक्सेना कंप्यूटर व मैथमेटिक्स पर शोध कर रहे हैं। प्रो. सक्सेना को वर्ष 2018 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया था। प्रो. नितिन सक्सेना को यंग साइंटिस्ट अवार्ड भी मिल चुका है।
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