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Father's Day: बीमार पिता को लिवर डोनेट कर बचाई जान,फादर्स डे पर मिसाल बनी बेटी

Sanjna Verma
16 Jun 2024 12:05 PM GMT
Fathers Day: बीमार पिता को लिवर डोनेट कर बचाई जान,फादर्स डे पर मिसाल बनी बेटी
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Father's Day: बीमार पिता को लिवर डोनेट कर बचाई जान,फादर्स डे पर मिसाल बनी बेटीएक बेटी ने अपने लिवर का टुकड़ा दान कर बीमार पिता को नई जिंदगी दी है। रविवार को फादर्स डे है, एक पिता के लिए इससे अच्छा उपहार क्या हो सकता है। सर्जरी के बाद बेटी और पिता दोनों ही स्वस्थ हैं। यूं तो फादर्स डे पर लोग अपने पिता के लिए परफ्यूम, कपड़े, जूते आदि उपहार लाते है, लेकिन 21 वर्षीय श्रुति परदेशी ने पिता को नई जिंदगी का उपहार दिया है।
3 वर्ष से लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे
नासिक निवासी जितेंद्र परदेशी पिछले 3 वर्ष से लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। एक समय ऐसा भी आया, जब उन्हें जॉन्डिस, खून की उल्टियां और स्ट्रोक भी आया। उनकी बिगड़ती सेहत परिवार से देखी नहीं जा रही थी। परिवार उन्हें इलाज के लिए मुलुंड स्थित फोर्टिस अस्पताल लेकर आए। अस्पताल के डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी। आईटी इंजिनियर श्रुति ने तुरंत अपने लिवर का टुकड़ा पिता को दान करने का निर्णय लिया।
हालांकि, सर्जरी पूर्व जांच के दौरान पता चला कि उसकी शारीरिक रचना अलग थी। आम तौर पर लिवर के दाएं और बाएं हिस्से के लिए रक्त की आपूर्ति अलग-अलग होती है, लेकिन श्रुति के मामले में उसके बाएं लिवर को दाएं लिवर की वाहिकाओं से आंशिक रक्त आपूर्ति हो रही है। इसका मतलब यह था कि प्रत्यारोपण के लिए उसके दाहिने लिवर का उपयोग करने से उसके बचे हुए बाएं लीवर पर असर पड़ सकता है। इसीलिए, फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण के लिए उसके लिवर के दाहिने हिस्से का केवल आधा हिस्सा
(Right Posterior Sector Graft)
का उपयोग करने का फैसला किया।
चुनौतियां थीं, लेकिन सब ठीक रहा- डॉ. गौरव गुप्ता
फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड के लिवर ट्रांसप्लांट और एचपीबी सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. गौरव गुप्ता ने कहा कि इस मामले में हमारे सामने दो चुनौतियां थीं। सबसे पहले, बेटी की अनोखी शारीरिक रचना, जिसके कारण हमने राइट पोस्टीरियर सेगमेंट ग्राफ्ट किया, जो बहुत कम ही किया जाता है। इस प्रकार की डोनर सर्जरी में लीवर का दाहिना भाग (लिवर का 60-65 फीसदी) लेने के बजाय, हम लिवर का दाहिना भाग (30-35 फीसदी) लेते हैं। यह डोनर सर्जरी को चुनौतीपूर्ण बना देता है।
पिता को बीमार अवस्था में देखना पीड़ादायक था- बेटी
दूसरी चुनौती लिवर लेने वाले को इतने छोटे लिवर को स्वीकार करने की थी, क्योंकि इससे जटिलताएं हो सकती थीं। आम तौर पर लिवर लेने वाले को जीवित रहने के लिए 500-600 ग्राम लिवर की आवश्यकता होती है। इस मामले में हम उसे केवल 370 ग्राम ही दे सकते हैं, जो बहुत कम था, लेकिन सर्जरी सफल रही और दोनों ही स्वस्थ है। श्रुति ने बताया कि पिता को बीमार अवस्था में देखना पीड़ादायक था। मुझे पता था कि बीमारी से ठीक होने के लिए परमानेंट सॉल्यूशन की जरूरत है। डॉक्टर ने लिवर ट्रांसप्लांट के लिए कहा और मैं अपने लिवर का टुकड़ा देने के लिए तैयार हो गई। अब वह बिल्कुल स्वस्थ है।
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