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इंसानी शरीर की एक क्षमता है कि वह अधिकतम तापमान कितना बर्दाश्त कर सकता है
इंसानी शरीर की एक क्षमता है कि वह अधिकतम तापमान कितना बर्दाश्त कर सकता है. उस लिमिट को पार करने का मतलब है मौत. हालांकि दुनिया में कुछ ही इलाके ऐसे हैं जहां इंसानी शरीर के बर्दाश्त से बाहर तापमान पहुंचता है. इसमें एक है पाकिस्तान का जैकोबाबाद और दूसरा है दुबई के उत्तर पूर्व में बसा नगर खैमाह. यहां गर्मी का रिकॉर्ड उस चरम पर जाता है, जहां से इंसानों का बच कर निकलना नामुमकिन सा होता है. इस गर्मी भी यही हाल है जिसके पीछे विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मान रहे हैं.
सिंधु घाटी से सटे पाकिस्तान के इलाके पूरी दुनिया में अपनी चरम गर्मी के लिए मशहूर हैं. सिंध प्रांत का यही इलाका है जिसमें जैकोबाबाद पड़ता है. जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सिंध के इस इलाके को सबसे खतरनाक माना जाता है. अभी यहां का तापमान 52 डिग्री के आसपास चल रहा है जो इंसानी शरीर के वश के बाहर की बात है कि उसे झेल ले. 48 डिग्री के ऊपर का तापमान घातक माना जाता है लेकिन हवा में नमी को देखते हुए इसमें कुछ उतार-चढ़ाव की गुंजाइश बनी रहती है. गर्मी के लिहाज से पूरी दुनिया में सबसे खतरनाक केंद्र बिंदु की बात करें तो पाकिस्तान का सिंध प्रांत इसी में आता है. हालांकि इसी कड़ी में दुबई से सटे खैमाह का नाम भी है.
खास थर्मामीटर करता है काम
ये ऐसी जगहें हैं जहां सामान्य थर्मामीटर काम नहीं करता. यहां वेट बल्ब थर्मामीटर से गर्मी नापी जाती है. इस तरह के थर्मामीटर को पानी से भिगे कपड़े में लपेट कर रखा जाता है ताकि तापमान को सही ढंग से मापा जा सके. वेट बल्ब थर्मामीटर की एक खासियत यह भी है कि तापमान के साथ यह आर्द्रता को भी मापता है. जैकोबाबाद और खैमाह जैसी जगह पर ताममान के साथ नमी भी बहुत होती है. रिसर्चर कहते हैं कि 50 डिग्री का तापमान अपने आप में खतरनाक हो जाता है अगर उसे ठीक से न संभाला जाए. इस तापमान पर शरीर जाता है तो अपने आप तेज पसीना आने लगता है. पसीने आने से शरीर को थोड़ी नमी मिलती है. अगर यह तापमान बहुत देर तक बना रह जाए तो किसी स्वस्थ व्यक्ति की भी मौत हो सकती है. पाकिस्तान के जैकोबाबाद में ऐसी स्थिति कई साल सामने आ चुकी है.
जैकोबाबाद और खैमाह का हाल
पाकिस्तान के जैकोबाबाद से दुबई का रास अल खैमाह बिल्कुल अलग है क्योंकि यहां न तो बिजली की कमी है और न ही पानी की किल्लत. जैकोबाबाद में बिजली भी कटती है और पीने के पानी की भी किल्लत है. बिजली की कमी को दूर करने के लिए लोगों ने कई वैकल्पिक उपाय किए हैं. बाजारो में चाइनीज बैटरी मिलती है जिससे डीसी फैन चलते हैं. सोलर महंगा है लेकिन पैसे वाले लोगों ने इसे छत पर लगाया है और पंखे की हवा लेते हैं. ऐसे ही जिनके घर में फ्रीज नहीं है, वे सड़क किनारे खुदरा में बिकते बर्फ खरीद कर पानी ठंडा करते हैं और पीते हैं. जैकोबाबाद में पानी का व्यवसाय भी खूब होता है. गधे और खच्चर पर पानी की टंकी लादे लोग गांव-गांव में घूम कर पानी बेचते हैं.
दुनिया के कई शहर गर्मी की चपेट में
ऐसा नहीं है कि जैकोबाबाद और खैमाह में ही गर्मी का रिकॉर्ड टूटा है. दुनिया के कई शहर भीषण गर्मी की चपेट में हैं. अमेरिका के शहर पोर्टलैंड, ओरेगांव में गर्मी का रिकॉर्ड टूट गया है जहां अभी 42 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया जा रहा है. यही हाल कनाडा का हुआ है जहां अब तक रिकॉर्ड टूट गया है और तापमान 115.8 डिग्री दर्ज किया गया है. यहां तेज लू चल रही है जिससे बचने के लिए लोग समुद्री किनारे पर पड़े दिखाई देते हैं या झीलों के आसपास खुद को ठंडा कर रहे हैं.
भारत की हालत होगी खराब
विश्व बैंक ने गर्मी के तेजी से बदले पैटर्न पर चिंता जताई है और कहा है कि यही हाल रहा तो 2050 तक बहुत बुरी स्थिति देखने को मिल सकती है. खासकर खेती-बाड़ी पर क्योंकि खेती पूरी तरह से तापमान पर आधारित होती है और इसमें थोड़ा भी बदलाव फसलों के पैटर्न को बदल देगा. इस कारण पैदावार घट सकती है या फसलों का उत्पादन घट सकता है. प्रचंड गर्मी की वजह से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश पर सबसे ज्यादा प्रभाव देखा जा सकता है. इन देशों के लोगों का मानना है कि उन्हें पहले तापमान बढ़ता हुआ अहसास हो रहा है, लेकिन वे मजबूर हैं, कुछ कर नहीं सकते.
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