जरा हटके
आम के आचार काे लेकर ऐसा चढ़ा भुखार, बुजुर्ग ने घर पर ही उगा लिए 150 किस्म के देसी आम
Apurva Srivastav
1 April 2021 8:14 AM GMT
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84 वर्षीय बीवी सुब्बा राव हेगड़े को बचपन में आम का आचार बेहद पसंद था
हर किसी को किसी न किसी चीज की दीवानगी होती है. किसी को बाइक की दीवानगी है तो कार के पीछे दीवाना है. लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे बुजुर्ग के बारे में, जिन्हें आम को लेकर दीवानगी है और हो भी क्यों न, आम तो फलों का राजा भी है. दरअसल, 84 वर्षीय बीवी सुब्बा राव हेगड़े को बचपन में आम का आचार बेहद पसंद था. उन पर इसका असर कुछ इस कदर हुआ कि अब घर पर ही उन्होंने आम की 150 देसी किस्मों को उगा लिया है.
कर्नाटक में शिवमोगा जिले के सागर निवासी बीवी सुब्बा राव हेगड़े वेस्टर्न घाट पर होने वाले आम की देसी किस्मों की पहचान कर उन्हें संरक्षित करने का काम करते हैं. इस काम के लिए वे पिछले 16 साल से वेस्टर्न घाट के गांवों में घूम रहे हैं. कुछ समय पहले तक यहां के देसी किस्म के आम विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे.
बीवी सुब्बा राव हेगड़े ने बताया, 'मुझे बचपन से ही आम के आचार पसंद हैं. लेकिन तब मेरे घर में सिर्फ एक किस्म का ही आम था. जब मैं 60 साल का हुआ तो घर में ही देसी किस्म के आम उगाने की योजना बनाई. इस काम में मेरी पत्नी ने पूरा सहयोग दिया.'
वे आगे कहते हैं, 'अपनी योजना के बाद मैंने देसी किस्म के आम की तलाश में गांव-गांव घूमने शुरू किए. शुरुआती दौर में 120 किस्म के आम इकट्ठा कर लिए. नवंबर से मार्च के बीच में हम आम की अलग-अलग किस्मों को इकट्ठा करते थे. कुछ आम आचार के लिए लाते थे तो कुछ के स्वाद जांच करते थे.'
बीवी सुब्बा राव हेगड़े बताते हैं, '150 किस्मों में सिर्फ 15 ऐसी किस्में हैं, जिन्हें लंबे समय के लिए रखा जा सकता है. पांच किस्म के आम मैंने एक ही पेड़ पर उगाए हैं. मिट्टी के बर्तनों में भी आम लगाया हूं.' हेगड़े ने आम की कई किस्मों को स्कूलों में दान भी दिया है. लोगों को आम की विशेषता बनाने के लिए उन्होंने घर में एक छोटा सा मैंगो पार्क भी बनाया है. इसी साल फरवरी में बेंगलुरु में हुए नेशनल हॉर्टीकल्चर फेयर 2021 में हेगड़े को इनोवेटिव फार्मिंग के लिए अवॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया था.
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Apurva Srivastav
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