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डायनासोरों ने चींटियां खाने के लिए, अपना आकार छोटा- चीनी शोध किया था

Shiddhant Shriwas
9 July 2021 7:22 AM GMT
डायनासोरों ने चींटियां खाने के लिए, अपना आकार छोटा- चीनी शोध किया था
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डायनासोर हमेशा से ही लोगों के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। इन पर कई सारे शोध हुए जो अब तक जारी हैं। डायनासोर का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक विशालकाय जानवर की तस्वीर बनती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। डायनासोर हमेशा से ही लोगों के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। इन पर कई सारे शोध हुए जो अब तक जारी हैं। डायनासोर का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक विशालकाय जानवर की तस्वीर बनती है लेकिन क्या आपको पता है कि ठंडे खून के ये जीव छोटे आकार के भी होते थे। हाल ही में चीन के शोधकर्ताओं ने जीवाश्मों का अध्ययन किया है जिसके बाद उन्हें बहुत ही छोटे आकार के डायनासोर के बारे में बहुत ही रोचक जानकारी मिली है। शोधकर्ताओं के मुताबिक अल्वारेजसॉर प्रजाति के डायनासोर ने अपने खाने की खुराक में बदलाव किया था और इन डायनासोर ने चींटियों को खाना शुरू कर दिया था। जिसके कारण बाद में उनका आकार तेजी से कम होने लगा था।

कहां और किसने किया ये अध्ययन

बीजिंग में इंस्टीट्यूट ऑफ वर्टिबरेट पेलिओन्टोलॉजी एवं पेलिओएंथ्रोपोलॉजी और ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र जिचुआन किन की अगुआई में यह अध्ययन किया गया। जिसमें पाया गया कि अल्वारेजसॉर डायनासोर ने आज से करीब 10 करोड़ साल पहले अपनी खुराक में बदलाव करते हुए चींटियों को खाना शुरु किया था और इस खुराक को अपनाने के बाद अपना आकार बहुत तेजी से कम करना शुरू कर दिया था। ये डायनासोर मुर्गे के आकार तक छोटे हुआ करते थे।

पहले ऐसा होता है इन डायनासोर का आकार

पुराने नमूनों के आधार पर अध्ययन में पाया गया कि इन डायनासोर का आकार आकार विशाल टर्की या छोटे शतरमुर्ग के आकार के बराबर हुआ करता था। ये कम से कम 10 से 70 किलो के भार के वजनी थे। उस समय के अधिकांश अल्वारेजसॉर डायनासोर पतले, दो पैरों वाले हुआ करते थे और छिपकली, शुरुआती स्तनपायी जीव और शिशु डायनासोर के तौर पर अपनी खुराक लेते थे।

खुराक में बदलाव के कारण हुआ आकार में बदलाव

अध्ययन के मुताबिक अल्वारेजसॉर के उद्भव काल के बाद के समय में नमूनों के आकार के अनुसार इनका आकार एक मुर्गे के बराबर छोटा हो गया था। जिचिन के अनुसार है कि उनके आकार में इस तरह का बदलाव इसलिए हुए क्योंकि वे चींटियां खाने लगे थे। जिचुआन के पर्यवेक्षकों में से एक ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल बेंटन का इस बारे में कहना है कि खाने की बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण खुराक में यह बड़ा बदलाव हुआ होगा।

लगभग दर्जनभर नमूनों को लेकर किया गया अध्ययन

जिचुन ने अल्वारेजसॉर प्रजाति डायनासोर के दर्जन भर नमूनों का अध्ययन किया और लाखों साल तक किस तरह उनके आकार में बदलाव हुआ इसका अध्ययन किया। इस तरह से पीढ़ी दर पीढ़ी उनके आकार में बदलाव हुआ। अल्वारेजसॉर डायनासोर उत्तर ज्यूरासिक काल से लेकर उत्तर क्रिटेशियस काल में रहा करते थे। इसका मतलब से वे 16 करोड़ साल से 7 करोड़ साल पहले के समय में चीन मंगोलिया, और दक्षिण अमेरिका में पाए जाते थे।

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