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गुरु ग्रह की कक्षा बदलने से बेहतर हो सकती है पृथ्वी

Subhi
14 Sep 2022 3:15 AM GMT
गुरु ग्रह की कक्षा बदलने से बेहतर हो सकती है पृथ्वी
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ब्रह्माण्ड में किसी ग्रह पर जीवन है या नहीं इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों का एक ही मानक प्रतिमान है और वह हमारी पृथ्वी (Earth) है. इसी लिए जब दूसरे ग्रहीय तंत्रों में आवास योग्य ग्रहों की पड़ताल की जाती है

ब्रह्माण्ड में किसी ग्रह पर जीवन है या नहीं इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों का एक ही मानक प्रतिमान है और वह हमारी पृथ्वी (Earth) है. इसी लिए जब दूसरे ग्रहीय तंत्रों में आवास योग्य ग्रहों की पड़ताल की जाती है, तो उसकी तुलना पृथ्वी से ही की जाती है. लेकिन नए अध्ययन में खुलासा किया गया है कि पृथ्वी उतना ज्यादा आवासीय ग्रह नहीं है जितना कि वह हो सकता है. वास्तव में अगर गुरू ग्रह (Jupiter) की कक्षा में थोड़ा बदलाव किया जाए तो उसकी आवासीयता (Habitability) और बढ़ जाएगी. सौरमंडल में बहुत से कारक हैं और इनमें से पृथ्वी की आवासीयता को कौन कौन से कारक प्रभावित करते हैं यह जानना कठिन काम है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

नए अध्ययन के नतीजे यह जानने में सहायक हो सकते हैं कि कौन कौन से कारक किसी आवासीय ग्रह को आवासीय (Habitable) बनाते हैं. रिवरसाइड की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के ग्रह विज्ञानी पैम वर्वूर्ट बताते हैं कि यदि गुरू (Jupiter) की स्थिति वही रहे लेकिन उसकी कक्षा का आकार बदल जाए तो वह हमारे ग्रह की आवासीयता को बढ़ा सकता है. माना जाता है कि पृथ्वी (Earth) आदर्श आवासीय ग्रह है और भारी होने के कारण गुरू ग्रह की कक्षा में थोड़ा सा भी बदलाव पृथ्वी के लिए खराब बात हो सकती है. लेकिन इस अध्ययन में साबित होता है कि ये दोनों ही धारणाएं गलत है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

की खोज पर पड़ेगा. इससे आवासीयता (Habitability) तलाशने के लिए नए तरह के मानदडों का निर्धारण किया जा सकेगा. फिलहाल हमारे पास ऐसे कोई उपकरण नहीं हैं जिसे हम किसी बाह्यग्रह (Exoplanet) की आवासीयता के मापन के पैमाने के रूप में कर सकें. अभी कई विशेषताओं के आधार पर ही हम ऐसे संसारों की तलाश कर रहे हैं. इनमें से एक है कि बाह्यग्रह अपने तारे के कितने पास है. वह इतना पास नहीं होना चाहिए कि तारे की गर्मी से पानी भाप बन कर उड़ जाए और इतना दूर भी नहीं होना चाहिए कि पानी बर्फ में जम जाए. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

इस अध्ययन नतीजों का असर सौरमंडल (Solar System) के बाहर हमारी आवासीय संसारों की खोज पर पड़ेगा. इससे आवासीयता (Habitability) तलाशने के लिए नए तरह के मानदडों का निर्धारण किया जा सकेगा. फिलहाल हमारे पास ऐसे कोई उपकरण नहीं हैं जिसे हम किसी बाह्यग्रह (Exoplanet) की आवासीयता के मापन के पैमाने के रूप में कर सकें. अभी कई विशेषताओं के आधार पर ही हम ऐसे संसारों की तलाश कर रहे हैं. इनमें से एक है कि बाह्यग्रह अपने तारे के कितने पास है. वह इतना पास नहीं होना चाहिए कि तारे की गर्मी से पानी भाप बन कर उड़ जाए और इतना दूर भी नहीं होना चाहिए कि पानी बर्फ में जम जाए. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

दूसरी प्रमुख विशेषता बाह्यग्रह आकार और भार है जिससे वह पृथ्वी (Earth), मंगल या शुक्र की तरह एक पथरीला ग्रह रहे, ना कि गुरु (Jupiter), शनि या यूरेनस की तरह गैसीय ग्रह. ज्यादातर देखा जा रहा है कि गुरु की तरह विशाल गैसीय ग्रहों में भी आवासीयता (Habitability) के संकेत मिल रहे हैं लेकिन उसमें भी कुछ विशेष परिस्थितियों का होना जरूरी है. तीन साल पहले सिम्यूलेशन आधारित एक शोध में कहा गया था कि गुरु ग्रह की कक्षा बदले से सौरमंडल तुरंत ही अस्थिर हो जाएगा. लेकिन अब और अधिक सिम्यूलेशन यही बता रहे हैं कि इसका उलट भी हो सकता है.

फिलहाल गुरु ग्रह (Jupiter) की कक्षा बहुत ही कम अंडाकार है यानि लगभग वृत्ताकार ही है. लेकिन अगर इसमें कुछ खिंचाव आ जाता है तो इसका सौरमंडल पर बहुत अधिक असर देखने को मिलेगा. ऐसा इसलिए कि गुरु ग्रह का भार सौरमंडल के बाकी ग्रहों के कुल भार की तुलना में 2.5 गुना ज्यादा है. गुरु की कक्षा की उत्केंद्रता (eccentricity) और उसके गुरुत्वाकर्षण का दूसरे ग्रहों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. शोधकर्ताओं ने पाया है कि पृथ्वी (Earth) पर भी उसकी उत्केंद्रता में इजाफा होगा. यानि उसके कुछ हिस्से सूर्य के ज्यादा पास रहेंगे जिससे उसके शीतोष्ण इलाके गर्म हो जाएंगे और आवासीयता (Habitability) का दायरा बढ़ जाएगा.

लेकिन यदि गुरू ग्रह (Jupiter) सूर्य के ज्यादा नजदीक आ जाए तो पृथ्वी (Earth) की आवासीयता पर विपरीत असर होगा, क्योंकि इससे हमारा ग्रह अपनी घूर्णन वाली धुरी पर और ज्यादा झुक जाएगा जिससे ज्यादा मौसमी विविधताएं देखने को मिलेंगी. ज्यादा हिस्सा बर्फीला हो जाएगा और ज्यादा चरम मौसम देखने को मिलेंगे. सर्दी की बर्फ अभी की तुलना में चार गुना ज्यादा बड़े इलाके में फैल जाएगी. इन (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि कई ऐसे कारक भी हो सकते हैं जिनके ना होने पर शायद हमारा अस्तित्व ही ना होता. या क्या होता अगर सौरमंडल(Solar System) ही अस्थिर हो जाता. शोधकर्ताओं का कहना है कि पानी की उपस्थिति पर ग्रह (Jupiter) की कक्षा या मौसमी बदलाव का कोई असर नहीं होता, लेकिन यह समझना बहुत जरूरी है कि गुरु ग्रह का हमारी जलवायु पर क्या असर हुआ और उसकी कक्षा ने हमारे ग्रह (Earth) को पहले कितना बदला है साथ ही क्या उससे हमारा भविष्य में भी प्रभावित होगा या नहीं.

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