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जरा हटके: हम अक्सर देखते हैं कि अंतरिक्ष से धरती पर कोई भी चीज आती है तो पृथ्वी के वायुमंडल में आकर धू-धू कर जलने लगती है. इसके पीछे ऑक्सीजन की कमी, स्पेस कचरे से टकराने की संभावना और वायुमंडल के घर्षण के तापमान जैसी कई कारक हैं. लेकिन क्या अंतरिक्ष से बिना जले कोई चीज धरती पर गिर सकती है? कितनी स्पीड होनी चाहिए कि घर्षण की वजह से उसमें आग न लगे? सोशल मीडिया साइट कोरा (Quora)पर तमाम लोगों ने यही सवाल पूछा. इस पर कई यूजर्स ने जवाब दिया. आइए जानते हैं कि आखिर हकीकत है क्या?
एक यूजर ने लिखा, धरती के वायुमंडल में दिनभर में अंतरिक्ष से औसतन लगभग सौ मीट्रिक टन धूल और उल्कापिंड स्पेस से आते रहते हैं. इनमें से अधिकांश धरती के वायुमंडल में प्रवेश् करने से पूर्व ही टक्कर से भस्म हो जाते हैं. फिर भी आप सुनते होंगे कि रोजाना औसतन लगभग दस सेंटीमीटर बड़ा टुकड़ा पृथ्वी की सतह तक पहुंच ही जाता है. स्पेस में आने वाली किसी भी चीज के भस्म होने के पीछे गति एक कारक है. साथ ही, उस पिंड की संरचना, आकार और वायुमंडल में प्रवेश करने के कोण भी काफी कुछ निर्भर करता है. ज्यादातर उल्कापिंड 11 से 72 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं. अगर उनकी सतह खुरदरी है तो घर्षण का असर ज्यादा होता है और वे तेजी से गर्म होते हैं. एक वक्त ऐसा आता है जब उनका तापमान 1700 डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुंच जाता है और आग लग जाती है. वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन जलने में मददगार होती है.
घर्षण की वजह से छोटे पिंडों की गति कम
साइंस शोधकर्ता अरविंद व्यास ने लिखा, घर्षण की वजह से छोटे पिंडों की गति कम हो जाती है. इसलिए उनके धरती पर पहुंचने की संभावना ज्यादा होती है. इनकी गति घटकर लगभग 2-3 सेंटीमीटर प्रति सेकंड तक ही रह जाती है. खेलने वाले कंचे के आकार के उल्कापिंडों के धरती पर पहुंचने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है. लेकिन लगभग 80 से 120 किलोमीटर की ऊंचाई से पृथ्वी पर गिरने वाली इससे छोटी अधिकांश उल्काएं भस्म हो जाती हैं. 30 सेंटीमीटर तक व्यास के उल्कापिंड के पृथ्वी की सतह तक पहुंच पाने की संभावना सबसे ज्यादा होती है.
पृथ्वी लगाती गुरुत्वाकर्षण बल
एक अन्य यूजर ने लिखा, पृथ्वी वस्तुओं में गुरुत्वाकर्षण बल लगाती है. बल से त्वरण (acceleration) होता है. इससे स्पेस से आने वाली वस्तु की गति लगातार बढ़ती जाती है. स्पेस से आने वाली कोई भी चीज जितनी ऊपर से गिरेगी, धीरे धीरे नीचे की ओर आने पर उसकी गति और बढ़ती जाएगी. जैसे स्पेस सटल, उसकी गति गुरुत्वाकर्षण के कारण होती है, खुद की वजह से नहीं. यह सीढ़ी से नीचे उतरते वक्त जैसा है, लेकिन सटल हवा में होती है, कुछ ना किया जाए तो गिरती ही जाएगी और गिरने की गति बढ़ती जाएगी. इसके लिए धरती से उल्टी दिशा में बल लगाना होता है, तब गति कम होती है.
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Manish Sahu
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