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लोग न सिर्फ खुद तुरंत जवाब देखकर दिखलाना चाहते हैं कि वह कितने एक्टिव हैं, बल्कि दूसरों से भी यही उम्मीद लगा बैठते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मोबाइल चलाने वाले ज्यादातर लोग अब सोशल मीडिया पर भी एक्टिव होने लगे हैं. अपने परिवार, नाते-रिश्तेदार, दोस्त या फिर कोई करीबी जब मैसेज करता है तो उसका जवाब तुरंत देने का सोचते हैं. यह आदत अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. लोग न सिर्फ खुद तुरंत जवाब देखकर दिखलाना चाहते हैं कि वह कितने एक्टिव हैं, बल्कि दूसरों से भी यही उम्मीद लगा बैठते हैं.
व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम जैसे तमाम ऐप अब लोगों को बिना देरी के जोड़ सकता है और लगातार बातचीत करने के लिए अच्छा कम्युनिकेशन है. हालांकि, अब लोग दिनभर ऑनलाइन रहने लगे हैं और यह आदत लोगों के लिए समस्या बनती जा रही है.
इंटरनेट पर 24 घंटे लगातार ऑनलाइन रहने से आदत बिगड़ी
कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो इंटरनेट पर 24 घंटे लगातार ऑनलाइन रहते हैं. इसका असर यह हो रहा है कि लोग दूसरों से भी तुरंत जवाब मिलने का इंतजार करते हैं, अगर ऐसा नहीं होता तो वह झल्लाहट का शिकार हो जा रहे हैं. जवाब तुरंत नहीं मिलने पर उल्टा-सीधा सोचने पर मजबूर हो जाते हैं और उनके मन में गलत ख्याल आने लगते हैं. कई बार तो लोग यह भी सोच लेते हैं कि 'कहीं वह मर तो नहीं गया'.
यह आदत कोरोना महामारी के बाद से लोगों के अंदर ज्यादा बन गई है. खाली रहने पर लोग एक-दूसरे को तुरंत जवाब देते है, लेकिन जब कुछ लोग अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं तो दूसरी तरफ से मन में उल्टे-सीधे ख्याल आने लगते हैं.
लोगों के अंदर तत्काल रिप्लाई मिलने की प्रवृति बढ़ी
विशेषज्ञों के मुताबिक, लोगों के अंदर तत्काल रिप्लाई मिलने की प्रवृति बढ़ गई है. इस ट्रेंड से आने वाले समय में और भी परेशानी झेलनी पड़ सकती है. मैसेज भेजने के बाद तुरंत जवाब नहीं मिलने पर चिढ़ना या चिंता करना लगातार ऑनलाइन रहने के दुष्प्रभाव हैं.
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के सोशल मीडिया लैब के डॉयरेक्टर प्रो. जेन हैनकॉक ने बताया कि मोबाइल का यूज करने वाले ज्यादातर लोगों के पास सोशल मीडिया के तमाम मैसेजिंग ऐप मौजूद हैं. 24 घंटे ऑनलाइन रहने की आदत से वह तुरंत जवाब देने में सक्षम हैं. ऐसे में मोबाइल पर ऐप्स की बढ़ती संख्या जवाब तुरंत पाने की उम्मीद बढ़ा रहा है.
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