जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्लास्टिक वेस्ट नदियों, समंदर और पहाड़ों तक पहुंच चुका है जो कि चिंता का विषय है। क्योंकि प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म होने में कई साल लग जाते हैं। ऐसे में इंजीनियर्स ने प्लास्टिक वेस्ट से सड़कें बनाना भी शुरू किया, ताकि लोगों और कुदरत दोनों को प्लास्टिक के कचरे से निजात मिल सके! इसी दिशा में 'प्लास्टिक फॉर चेंज इंडिया फाउंडेशन' के सहयोग से मंगलुरु में प्लास्टिक वेस्ट को रीसाइकल कर एक मकान तैयार किया गया है, जो कर्नाटक का पहला एनवायरमेंट फ्रेंडली 'रीसाइकल प्लास्टिक हाउस' है।
घर के निर्माण में लगा 1500 किलो प्लास्टिक
यह फाउंडेशन कर्नाटक के सुमुद्री तट के इलाके में कचरा बीनने वालों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है। हाल ही इन्होंने कमला नाम की मिला के लिए प्लास्टिक वेस्ट को रीसाइकल कर एक घर तैयार किया। संगठन की सीआईओ शिफरा जेकब्स ने कहा, 'इस घर को बनाने में 1,500 किलोग्राम रीसाइकल प्लास्टिक इस्तेमाल हुआ है। मकान के निर्माण में करीब 4.5 लाख रुपये की लागत आई।'
मजबूती और क्वालिटी का टेस्ट भी किया
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घर का निर्माण इनोवेटिव और पर्यावरण की दृष्टि से एक टिकाऊ परियोजना के उदाहरण के रूप में किया गया, जिसे बनाने की लागत भी कम है। बता दें, घर बानने से पहले निर्माण में इस्तेमाल होने वाली चीजों की मजबूती और उनकी क्वालिटी का भी टेस्ट किया गया। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घर लंबे समय तक टिका रहे।
कचरा बीनने वालों के लिए बनाने हैं घर
शिफरा ने कहा कि दूसरे चरण में वे 2021 में कचरा बीनने वालों के लिए 20 घर बनाने की उम्मीद कर रहे हैं, जिसमें 20 टन प्लास्टिक का उपयोग किया जाएगा। इसका इस्तेमाल शौचालय निर्माण के लिए भी किया जा सकता है। बता दें, यह फाउंडेशन मंगलुरु के Pacchanady और Kurikatta में स्थित समुदायों के साथ शिक्षा और अन्य मोर्चे पर भी मिलकर काम कर रहा है।