जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Explosion in Baltic Sea Gas Leak: दुनियाभर के कई बड़े देशों ने गैस की आवाजाही के लिए बड़े समुद्रों में भी गैस पाइपलाइन बिछा रखी है. लेकिन इन सबके बीच एक बेहद डरावनी खबर सामने आई है कि बाल्टिक सागर में एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ है. इस विस्फोट के चलते उसके अंदर मौजूद नेचुरल गैस पाइपलाइन सिस्टम नॉर्ड स्ट्रीम फट गई है. इसके चलते खतरनाक मीथेन गैस बड़े पैमाने पर लीक हो रहा है. इसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं.
मीथेन गैस लीक की अब तक की बड़ी घटना
दरअसल, यह घटना बाल्टिक सागर की है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मीथेन गैस लीक की यह घटना अब तक की सबसे बड़ी घटना है. घटना के बाद वहां से करीब 23 हजार किलोग्राम मीथेन हर घंटे निकल रही है. यानी यह पूरी दुनिया में हर घंटे में जलने वाले करीब तीन लाख कोयले के बराबर है. इतना ही नहीं समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें इस घटना की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. यह घटना आसमान से भी दिख रही है.
यह विस्फोट कई टीएनटी बमों के बराबर
The ruptures on the Nord Stream gas pipelines under the Baltic Sea has led to what is likely the biggest single release of climate-damaging methane ever recorded, the United Nations Environment Programme said https://t.co/Nw2ecb5jSL 1/5 pic.twitter.com/UaNXdFCUbW
— Reuters Science News (@ReutersScience) September 30, 2022
मामले पर संयुक्त राष्ट्र का भी बयान सामने आया है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोग्राम का मानना है कि यह विस्फोट कई टीएनटी बमों के बराबर है. इसकी वजह से बाल्टिक सागर के इकोसिस्टम पर बुरा असर पड़ रहा है. अगर इसे जल्दी नहीं रोका गया तो आसपास के बड़े इलाके में समुद्री जीव-जंतुओं को भारी नुकसान होगा. वहीं यह भी कहा गया कि वहां अत्यधिक कंसेनट्रेटेड मीथेन निकल रहा है.
आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया
उधर घटना के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. यूरोपीय देश और रूस एक दूसरे पर इसका इल्जाम लगा रहे हैं. फिलहाल बाल्टिक सागर के तल पर टूटी हुई पाइपलाइनों से मीथेन के रिसाव ने पर्यावरणविदों को गंभीर चिंता में डाल दिया है। दुनियाभर में समय-समय पर बड़े पैमाने पर मीथेन रिसाव की खतरनाक घटनाएं सामने आती रहती हैं लेकिन यह घटना काफी अलग है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने पाया है तेल और गैस उद्योग से होने वाले मीथेन उत्सर्जन का स्तर कंपनियों द्वारा पेश किए गए आंकड़ों से कहीं अधिक है. जबकि उनका दावा रहता है कि उन्होंने उत्सर्जन के स्तर में काफी कटौती की है.