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विज्ञान ने हमारी ज़िंदगी काफी आसान बना दी है
विज्ञान ने हमारी ज़िंदगी काफी आसान बना दी है. इनकी मदद से मुश्किल से मुश्किल काम आसान बनाए जा रहे हैं. रेस्टोरेंट में खाना बनाने और परोसने से लेकर अस्पताल में टीका लगाने तक के लिए रोबोट (Robot Attends Class for Child) की मदद ली जा रही है. अब स्कूल में रोबोट बच्चों (Robot Goes School for German Boy) की जगह उनकी क्लास भी अटेंड कर सकता है. आप सुनकर हैरान हो सकते हैं, लेकिन जर्मनी में एक बच्चे की जगह रोबोट उसकी क्लास अटेंड करता है.
'अवतार' नाम का ये रोबोट 7 साल के जर्मन लड़के जोशुआ मार्टिनांगेली (Joshua Martinangeli) की जगह रोज़ाना तैयार होकर स्कूल जाता है और वहां उसकी सारी क्लासेज़ अटेंड करता है. और तो और वो जोशुआ की तरह ही उसके टीचर्स और दोस्तों से भी बातचीत करता है. अवतार को ये सब इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि नन्हा जोशुआ एक खतरनाक बीमारी के चलते स्कूल नहीं जा सकता.
जोशुआ की जगह पढ़ता है 'अवतार'
अवतार रोबोट जोशुआ की जगह ही उसकी डेस्क पर बैठता है. जब भी जोशुआ को कुछ बोलना होता है तो रोबोट की आंखें ब्लिंक होने लगती हैं. बर्लिन के स्थानीय निकाय ने इस रोबोट का इंतज़ाम किया है. शहर की लोकल काउंसिल ही इसमें आने वाले खर्च का भुगतान भी करती है. बर्लिन के एजुकेशन काउंसलर टॉर्स्टन कुएहने का कहना है कि 'ये प्रोजेक्ट अनूठा है. हमने अपने स्कूलों के लिए 4 रोबोट खरीदे हैं, यूं तो ये आइडिया कोरोना महामारी के दौरान आया लेकिन इसे ज़रूरत पड़ने पर आगे भी जारी रखा जा सकता है.' काउंटर टॉप पर रखे जा सकने वाले अवतार के सिर में लगे कैमरा से सब कुछ देखा जा सकता है जबकि इसे टचस्क्रीन टैब के ज़रिये रिमोट कंट्रोल किया जा सकता है. इतना ही नहीं स्पीकर के ज़रिये दूर बैठे बच्चे शिक्षकों से बात भी कर सकते हैं.
जोशुआ के लिए वरदान है 'अवतार'
आप सोच रहे होंगे कि भला 7 साल के बच्चे को रोबोट से पढ़ने की क्या ज़रूरत आन पड़ी? दरअसल जोशुआ को फेफड़े से जुड़ी हुई गंभीर बीमारी है. इस बीमारी की वजह से ही जोशुआ स्कूल नहीं जा सकता. उसकी गर्दन में एक ट्यूब लगी हुई है, जिसके चलते वो स्कूल नहीं जा सकता. इस बात का असर उसकी पढ़ाई पर न आए, इसलिए अवतार रोबोट उसकी जगह स्कूल जाता है. बच्चों को अवतार पसंद है लेकिन वे जोशुआ की स्कूल वापसी का भी इंतज़ार कर रहे हैं.
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