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दो देशों के बीच विवाद होना कोई नयी बात नहीं
दो देशों के बीच विवाद होना कोई नयी बात नहीं. कभी ये विवाद सीमा को लेकर, कभी पानी, कभी व्यापार तो कभी जमीन को लेकर होते हैं. एक-दूसरे की जमीन पर कब्जा करने के लिए इंसान सदियों से लड़ते आ रहे हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि एक आइसलैंड ऐसा भी है, जिसे जीतने के लिए दो देश पिछले 30 सालों से खून नहीं, बल्कि शराब (Alcohol) बहा रहे हैं. जी हां, आर्कटिक के उत्तर में मौजूद एक निर्जन द्वीप 'हंस आइलैंड'पर कब्जे की लड़ाई कुछ इस तरह ही लड़ी जा रही है.
हाफ स्क्वायर माइल में फैला हंस आइलैंड (Hans Island) 22 मील चौड़ी Nares Strait के बीच में तीन द्वीपों का हिस्सा है, जो कनाडा और डेनमार्क को अलग करता है. इंटरनेशनल लॉ के मुताबिक दोनों देशों का अपने तटों से 12 किलोमीटर तक के एरिया पर अधिकार है. ये आइलैंड डेनमार्क और कनाडा दोनों के समुद्री क्षेत्र में पड़ता है, जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच इसे लेकर विवाद होते रहते हैं. 1933 में लीग ऑफ नेशंस ने इस मामले में डेनमार्क के पक्ष में फैसला सुनाया था. लेकिन लीग ऑफ नेशंस के खत्म होने के बाद उस फैसले का भी कोई महत्व नहीं रहा.
अपने देश का झंडा लगाकर शराब की बोतल छोड़ दी
1984 में ये मुद्दा तब गरमाया, जब डेनमार्क के एक मंत्री ने हंस आइलैंड का दौरा किया. उन्होंने वहां जाकर डेनिश झंडा लगाकर उसके नीचे 'वेल्कम टू डेनिश आइसलैंड' लिखकर एक शराब की बोतल छोड़ दी. इसके बाद डेनमार्क के सैनिक भी हंस आइलैंड पहुंचे और अपने देश का झंडा लगाकर 'वेल्कम टू कनाडा' लिख दिया. इसके साथ ही, उन्होंने भी एक शराब की बोतल छोड़ दी.
इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच व्हिस्की वॉर की शुरुआत हो गई. हर साल दोनों देशों के सैनिक यहां आकर ये काम करते हैं. जब डेनमार्क के सैनिक पहुंचते हैं तो अपने देश की शराब की एक बोतल छोड़ देते हैं. उसी तरह जब कनाडा के सैनिक पहुंचते हैं तो वो अपने देश की शराब की बोतल रख देते हैं. इस तरह 37 सालों से ये लड़ाई मैदान में हथियारों से नहीं शराब की बोतलों से लड़ी जा रही है.
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