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Area 51 में अमेरिका ने छुपा रखे है एलियंस के खुफिया रहस्य

Harrison
27 July 2023 12:14 PM GMT
Area 51 में अमेरिका ने छुपा रखे है एलियंस के खुफिया रहस्य
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अमेरिका | उत्तरी गोलार्ध में दिन होता है तब दक्षिणी गोलार्ध में रात होती है। उधर लोग स्कूल-दफ्तर जाते हैं तो इधर लोग सोने के लिए आंखें बंद करते हैं। दिन और रात के इस फर्क में कुछ घड़ी सब विश्राम करते हैं। एरिया 51 एक जगह है अमेरिका में जिसको लेकर बहुत सारी मिस्ट्री है। कुछ कहते हैं कि यहां एलियंस रहते हैं, कुछ कहते हैं अमेरिका कुछ सीक्रेट रिसर्च करता है यहां पर। दुनिया के लिए रहस्य और अमेरिका के लिए उसका खुफिया मिलिट्री बेस वहीं यूएस के दुश्मनों के लिए तबाही का दूसरा नाम। एरिया 51 को जितना जमाना जानना चाहता है। अमेरिका इस जगह को उतना ही सीक्रेट रखता है। आखिर इस एरिया 51 में ऐसा है क्या? क्यों अमेरिका के दुश्मन इस नाम से खौफ खाते हैं। अमेरिका ने अपने सारे सीक्रेट हथियारो का बेस एरिया 51 को बना रखा है। एरिया 51 तक पहुंचकर रास्ता खत्म हो जाता है। यहां नो एंट्री का बोर्ड, तस्वीरें ना खींचने की चेतावनी, बैरिकेडिंग ही मिलती है। एरिया 51 लंबे वक्त से रहस्यमय रहा है। यहां क्या है और अमेरिकी सेना यहां क्या करती है। इसके बारे में किसी को पता नहीं है। लेकिन इसे एलियन स्पेसक्रॉफ्ट की लैडिंग से जोड़ा जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि यहां एलियन का अंतरिक्ष यान है। इसके साथ ही कुछ का कहना है कि अमेरिका को एक एलियन का शव भी मिला था। जिस पर यहां दशकों से परीक्षण हो रहा है।
अमेरिका का 7वां सबसे बड़ा स्टेट नवाडा जिसकी पहचान लांस वेगास जैसे शहर है। शानो शौकत की जिंदगी, जहां जुआ भी लीगल है। इस चमक धमक से परे नवाजा स्टेट कुख्यात एरिया 51 के लिए है। जहां अमेरिका एटम बम का टेस्ट करता है। एरिया 51 लास वेगास से महज 134 किलोमीटर दूर है। एरिया 51 कंटीले पेड़ो का बियाबान है। दूर दूर तक फैला रेगिस्तान और अमेरिका का मिलिट्री बेस। नेवाडा का पता स्पेन ने लगाया था। सबसे पहले न्यू स्पेन नाम से कॉलोनी बनाई गई। 1821 में आजादी के बाद नेवाडा मेक्सिको का हिस्सा बना। अमेरिका और मेक्सिको के युद्ध के बाद से यहां पर यूएस का कब्जा है। अमेरिका यहां सुपर पावर डेडली वेपन तैयार करता है। एरिया 51 से मिले सुपरफाइटर का डंका दुनिया में बजता है।
कॉन्सपिरेसी थ्योरी ये भी है कि इस फैसलिटी में क्रैश हुआ एलियन स्पेस क्राफ्ट है। इंजीनियर रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए इसे बनाने में लगे हैं। इस 1950 की रोसवेल दुर्घटना से जोड़ा जाता है। पत्रकार एनी जैकबसन ने अपनी किताब एरिया 51 एन अनसेंसर्ड हिस्ट्री ऑफ अमेरिकाज टॉप सीक्रेट मिलिट्री बेस में इससे जुड़े चीजों के बारे में बताया। जैकबसेन ने अपनी किताब में लिखा कि इस इलाके की गोपनीयता एलियन की वजह से नहीं बल्कि गुप्त परमाणु परीक्षण और हथियारों के विकास में इसकी भागीदारी से थी। किताब में उन्होंने लिखा कि सूत्र ने दावा किया कि न्यू मैक्सिको में एक फ्लाइंड डिस्क क्रैश हुआ था। इस फ्लाइंग डिस्क को राइट पैटरसन वायु सेना बेस ले जाया गया। बाद में उस मलबे को 1951 में यहां लाया गया, जिसकी वजह से इस जगह का नाम एरिया 51 पड़ा।
यूएफओ को अक्सर लोग एलियंस के साथ जोड़ते हैं। लेकिन कोई भी ऐसी उड़ने वाली चीज जिसके ठीक ठीक पहचान न हो सके, उसके लिए भी ये टर्म इस्तेमाल होता है। जब और भी यूएफओ देखे जाने लगे और उसके दावे आएं तो एयरफोर्स ने उसकी जांच शुरू की और उसे प्रोजेक्ट ब्लू बुक का नाम दिया। बाद के सालों में भी यूएफओ देखे जाने की बात सामने आती रहीं। 1969 में अमेरिकी एयरफोर्स ने प्रोजेक्ट ब्लू बुक बंद कर दिया। इस समय तक वो यूएफओ देखे जाने के 12 हजार से ज्यादा दावों की जांच कर चुका था। प्रोजेक्ट ब्लू बुक तो खत्म हुआ लेकिन दक्षिणी नेवाडा में एरिया 51 के आसपास यूएफओ देखे जाने के दावे किए जाते रहे। क्योंकि इस प्रतिबंधित इलाके के आस पास आम लोग नहीं जा सकते। ये 24 घंटे और 365 दिन भारी सुरक्षा में रहती थी। तो इस जगह के बारे में कहानियां चल पड़ी। कहा तो ये भी जाता है यहां रिवर्स इंजिनियरिंग करके एलियंस की टेक्नोलॉजी समझने की कोशिश की जाती है। 80 के दशक में राबर्ट बॉब नाम के एक आदमी ने सामने आते हुए कहा कि वो एरिया 51 में काम करता था। राबर्ट का दावा था कि उनका काम परगृहियों से जुड़ी रिसर्च से जुड़ा था। उसने मीडिया को कुछ तस्वीरें भी दिखाई। उसके मुताबिक ये एरिया 51 में रखे गए एलियन के ऑटोप्सी की फोटो है। बाद में एरिया 51 में उसके काम करने का दावा झूठा निकला। इसके अलावा टाइम ट्रैवल को लेकर भी कई कहानियां हैं। कहा जाता है कि अमेरिका यहां पर समय में आगे और पीछे जाने की रिसर्च कर रहा है। कुछ कहते हैं कि नील आर्म स्ट्रांग चांद पर कभी उतरे ही नहीं। यहीं एरिया 51 में फोटो खींच कर कहा कि उसका अपोलो 11 मिशन चांद पर उतर गया।
अगस्त 2013 में सूचना के अधिकार के तहत एक जानकारी मांगी गई। इसके जवाब में सीआईए को कुछ डॉक्यूमेंट डिक्वासीफाइड करने पड़े। इसी क्रम में फिर उस जगह के बारे में भी बताया गया। जो ला क्यू एयक्राफ्ट के निर्माण और टेस्टिंग से जुड़ी हुई थी। ये एरिया 51 जगह थी। जिसका पहली दफा तब ही सार्वजनिक जिक्र हुआ। अमेरिकी खुफिया विभाग सीआईए के अनुसार एरिया 51 में 1955 से सीक्रेट एयरक्रॉफ्ट की टेस्टिंग होती थी। जब से अमेरिकी सेना ने सीआईए के यू 2 जासूसी प्लेन की टेस्टिंग शुरू की थी तब से ही। दरअसल, कोल्ड वॉर के वक्त सोवियत और अमेरिका दोनों एक दूसरे की खूब जासूसी करते थे। ताकी दोनों को एक दूसरे के अगले कदम की जानकारी हो जाए। अमेरिकी एयरफोर्स और नेवी के दोनों टोही विमानों में बड़ा नुकसान हो रहा था। अमेरिका ने फिर यू टू विमान को लेकर आए।
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