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कोविड में कैद होने के बाद बच्चों को लगी मोबाइल की लत, Outdoors से कतराने वालों में बढ़ा ऐसा खतरा
Gulabi Jagat
2 April 2022 11:42 AM GMT
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एक वक्त था जब बच्चे बाहर खेलने जाने के बाद घर में नहीं आना चाहते थे
एक वक्त था जब बच्चे बाहर खेलने जाने के बाद घर में नहीं आना चाहते थे. मां की डांट के बाद ही वो अंदर आते थे. मगर अब हालत ये है कि बच्चे मोबाइल और वीडियो गेम में इतने मशगूल हो गए हैं डांट मार खाने के बाद भी खुद से बाहर जाने को तैयार ही नहीं होते. यही वजह है कि अब के बच्चे फिज़िकल एक्टिवीटिज़ और सूरज की रोशनी के संपर्क मेंबेहद कम आने लगे है. जो उनके लिए बड़ी परेशानी बनने वाली है.
आज के वक्त में 60 फीसदी बच्चे सबसे ज्यादा वक्त मोबाइल फोन या फिर ऐसे ही किसी दूसरे गैजेट पर बिताना पसंद करते हैं. उनका घर के बाहर खेलने न जाना, उजाले को न देखना उनमें बीमारी का खतरा बढ़ा रहा है, जो बच्चों के साथ-साथ पैरेंट्स के लिए भी परेशानी बढ़ा रहा है. ऐसे बच्चों में मायोपिया (myopia) यानि आंखो की रोशनी कम होने का खतरा बढ़ने लगा है.
जितना स्क्रिन टाइम उतनी परेशानी
एक रिसर्च में सामने आया है कि 60 पर्सेंट बच्चे सिर्फ मोबाइल पर समय देते हैं उसकी तुलना में 40 फीसदी ही ऐसे हैं तो उजाले में घर के बाहर खेलने जाना पसंद करते हैं. कई पैरेंट्स ऐसे हैं जो बच्चों को Outdoor activities के लिए फोर्स करते हैं, वहीं कई का मानना है कि चाह कर भी बच्चे बाहर जाकर खेलने से कतराते हैं. वहीं कुछ पैरेंट्स का मानना ये भी है कि गैजेट और मोबाइल के इस्तेमाल से बच्चे टेक्नोफ्रैंडली बन रहे हैं जो आने वाले वक्त में सबसे बड़ी ज़रूरत है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि बच्चों का मैक्सिमम स्क्रिन टाइम उनके लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर रहा है. बच्चों में दिन के उजाले से टूटता रिश्ता आंखों की रोशनी के लिए घातक साबित हो रहा है. बच्चों में मायोपिया नाम की बीमारी बढ़ने लगी है जो आंखों की रोशनी को धीरे धीरे कम करती जा रही है.
कोविड में कैद होने के बाद बच्चों को लगी मोबाइल की लत
कोविड लॉकडाउन के दौरान कम उम्र के बच्चों के सामने घर में कैद रहने की एवज़ में मोबाइल से रिश्ता इतना गहरा हो गया कि अब वो बच्चे इससे बाहर आने को तैयार ही नहीं. यही वजह है कि 5 से 16 साल तक के बच्चों में मायोपिया बढ़ने लगा है जो पैरेंट्स की भी चिंता बढ़ा रहा है. HOYA लेंस यूके और आयरलैंड के पेशेवर सेवा निदेशक एंड्रयू सैंडर्स ने मायोपिया को कम करने के लिए MiYOSMART लेंस बनाया है, उनका कहना है कि सर्वे के दौरान पता चला कि ज्यादातर पैरेंट्स इस बात से अनजान हैं कि घर के बाहर ज्यादा वक्त बिताने पर मायोपिया के खतरे को कम किया जा सकता है.
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