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बंगला साहिब गुरुद्वारे में इस Roti Maker से 1 घंटे में बनाई जाती है 4 हजार रोटियां - देखें वायरल Video

Tara Tandi
26 Jun 2021 1:09 PM GMT
बंगला साहिब गुरुद्वारे में इस Roti Maker से 1 घंटे में बनाई जाती है 4 हजार रोटियां - देखें वायरल Video
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सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मूल्यों में से एक जरूरतमंद लोगों की सेवा करना है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मूल्यों में से एक जरूरतमंद लोगों की सेवा करना है. लंगर एक बड़ी सामुदायिक रसोई है जो हर गुरुद्वारे, सिख पूजा स्थल का एक अभिन्न अंग है. लंगर लोगों को उनकी जाति, धार्मिक पृष्ठभूमि और लिंग के बावजूद मुफ्त भोजन परोसता है. सिख समुदाय के स्वयंसेवकों द्वारा गुरुद्वारा रसोई में पकाए गए भोजन को खाने के लिए सभी का स्वागत है. यह सिख धर्म की सबसे पुरानी प्रथाओं में से एक है. यहां पका हुआ भोजन सरल और साफ होता है और पवित्र स्थान के फर्श पर चटाई पर बैठाकर लोगों को खिलाया जाता है.

लंगर में हर रोज सैकड़ों लोगों को भोजन कराया जाता है और भोजन तैयार करने के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री को दान के रूप में दिया जाता है. बांग्ला साहिब गुरुद्वारा (Bangla sahib Gurudwara), जो नई दिल्ली (New Delhi) के सबसे पुराने गुरुद्वारों में से एक है, यहां पर अब ज्यादा से ज्यादा लोगों को खाना खिलाने के लिए स्वचालित रोटी बनाने की मशीन (automatic Roti-making machine) का इस्तेमाल किया जाता है. यह मशीन एक घंटे में 4,000 रोटियां बनाती है और इसके लिए न्यूनतम मानवीय संपर्क की आवश्यकता होती है जो वर्तमान महामारी की स्थिति में एकदम सही है. मशीन बिजली और एलपीजी गैस पर चलती है, और पूरी तरह गोल और मुलायम रोटियां पकाती है.

फूड ब्लॉगर अमर सिरोही ने स्वचालित रोटी मशीन का एक वीडियो साझा किया जो 20 मिनट में 50 किलो कच्चा आटा गूंद सकता है. पहले, लोगों के एक समूह को समान मात्रा में आटा गूंथने और रोटियों को बेलने में लगभग दो घंटे का समय लगता था. लेकिन यह रोटी मशीन न केवल आटा गूंथ सकती है, बल्कि पूरी तरह से चपटी और गोल रोटियाँ भी बेल सकती हैं जो गुरुद्वारे में आने वाले सभी लोगों को खिलाई जा सकती हैं.

देखें Video:

वायरल हो रहे इस वीडियो को अबतक 2 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है. इसे कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया गया है. कई यूजर्स ने कमेंट सेक्शन में रोटी मेकर मशीन की तारीफ की है

COVID-19 की वजह से हुओ लॉकडाउन के दौरान स्वचालित मशीनें लगाई गई थीं. बता दें कि पकी हुई रोटियों को बड़े बर्तनों में इकट्ठा किया जाता है, जिसके बाद उन्हें लोगों को परोसने से पहले देसी घी में डालने के लिए ले जाया जाता है.

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