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क्लासरूम में एक मामूली से 'पैन' के हमले से छात्र को लगी चोट ने शिक्षिका को जेल की हवा खिला दी, यह 16 साल पहले की पुरानी घटना है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- क्लासरूम में एक मामूली से 'पैन' के हमले से छात्र को लगी चोट ने शिक्षिका को जेल की हवा खिला दी. जिस मामले में महिला टीचर को कोर्ट ने एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है, वो घटना अब से 16 साल पहले केरल राज्य के एक स्कूल में घटी थी. सजायाफ्ता शिक्षिका द्वारा पैन से किए गए हमले में 8 साल के एक छात्र की एक आंख की रोशनी चली गई थी. आरोपी महिला टीचर के खिलाफ "Pocso-Act" (Protection of Children from Sexual Offences) में आपराधिक मामला दर्ज करके कोर्ट में मुकदमा चलाया गया था.
यह घटना अब से करीब 16 साल पहले 18 जनवरी 2005 को घटी थी. घटनाक्रम के मुताबिक पीड़ित छात्र अल अमीन (Al Amin) उन दिनों 8 साल का था. क्लास में अल अमीन कुछ अन्य छात्रों के साथ बातचीत में मशगूल था. शिक्षिका ने गुस्से में अल अमीन को निशाना बनाकर उसके ऊपर अपने हाथ में मौजूद पैन उठाकर फेंक कर दे मारा. शिक्षिका द्वारा पैन से किए गए उस हमले से मासूम अल अमीन खुद को फुर्ती से बचा नहीं सका.
समझिए क्या थी घटना
कोर्ट में पेश मामले के मुताबिक, शिक्षिका द्वारा किए गए उस हमले में पैन से अल अमीन की एक आंख बुरी तरह से जख्मी हो गई. कई चिकित्सकों से परामर्श और इलाज के बाद भी मगर पीड़ित छात्र अल अमीन की आंख नहीं बचाई जा सकी. अंतत: एक दिन वो भी आ गया जब अल अमीन के परिजनों को नेत्र रोग विशेषज्ञों ने जाहिर कर दिया कि उनके बेटे की आंख की रोशनी (जिसमें शिक्षिका द्वारा फेंके गए पैन से चोट लगी थी) हमेशा हमेशा के लिए चली गई. हालांकि चिकित्सकों ने अल अमीन की आंख की रोशनी बरकरार रखने के लिए तीन-तीन ऑपरेशन भी किए थे.
जीवन भर के लिए बेटे की एक आंख की रोशनी जाने के बाद अल अमीन के परिजनों ने स्कूल वालों से संपर्क साधा. स्कूल प्रशासन ने दोषी शिक्षिका को छह महीने के लिए शिक्षक सेवा से निलंबित कर दिया. इस सजा से पीड़ित छात्र के परिजन संतुष्ट नहीं हुए. लिहाजा पीड़ित पक्ष ने कोर्ट का रुख किया. अदालत में मुवक्किल पक्ष का तर्क था कि एक शिक्षिका के इस तरह के खतरनाक व्यवहार को किसी भी तरह से नजरंदाज नहीं किया जा सकता. सिर्फ इस दलील या बिना की आड़ में कि बच्चे की आंख पर पैन से हमला करने वाली शिक्षिका का नजरिया या इरादा पीड़ित को गंभीर चोट पहुंचाने का कतई नहीं था.
क्या-क्या हुआ ट्रायल कोर्ट में
कोर्ट में चले मुकदमे में पीड़ित पक्ष की दलील यह भी थी कि 8 साल के मासूम और बेकसूर बच्चे की एक आंख की रोशनी हमेशा हमेशा के लिए छीन लिए जाने की जिम्मेदार शिक्षिका को स्कूल ने 6 महीने के निलंबन के बावजूद एक महीने वाद ही दोबारा नौकरी पर बहाल कर दिया था. स्कूल और शिक्षिका का समाज में यह व्यवहार किसी भी तरह से मान्य नहीं हो सकता है. अल अमीन के साथ जब घटना घटी उस वक्त वो कक्षा-3 का छात्र था. अदालत ने इस मामले का मुकदमा पॉक्सो एक्ट के तहत चलाया गया. कई साल चले मुकदमे में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी शिक्षिका को हाल ही में दोषी कर दिया.
कोर्ट ने कहा कि दोषी शिक्षिका को 1 साल सश्रम कारावास (ब-मशक्कत) की सजा मुकर्रर की जाती है. साथ ही अदालत ने इस सजा के अलावा 3 लाख का अर्थदंड भी आरोपी शिक्षिका के ऊपर डाला है. अगर मुजरिम करार दी गई आरोपी शिक्षिका जुर्माने की 3 लाख रकम अदा कर पाने में नाकाम रही तो उसे 3 महीने जेल में और अधिक बिताने पड़ेंगे. तीन महीने अतिरिक्त की यह जेल, एक साल कारावास की सजा से अलग होगी. कोर्ट ने इस बात को भी गंभीरता से लिया था कि जब स्कूल ने आरोपी शिक्षिका का निलंबन 6 महीने के लिए किया था. उसके बाद भी उसकी एक महीने के अंदर ही बहाली कर दी गई.
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