पृथ्वी पर मौजूद ज्वालामुखी को देखकर लगता है कि ऐसा सिर्फ हमारे ग्रह पर ही है. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, हमारे ग्रह के अलावा सौरमंडल में मौजूद अन्य ग्रहों पर भी ज्वालामुखी मौजूद हैं, जिनसे लावा की नदियां बहती हैं. आइए सौरमंडल में ऐसे ही 10 ज्वालामुखियों के बारे में जाना जाए.
बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा पर क्रोयोगिजर्स (जिनसे लावा के बदले भाप निकलता है) की मौजूदगी के सबूत मिले हैं. 2012 में हबल स्पेस टेलिस्कोप ने यूरोपा के साउथ पोल पर भाप निकलते हुए देखा. इसे लेकर माना गया कि यूरोपा की ठंडी सतह और वातावरण की वजह से यहां मौजूद बर्फ भाप बनकर ऊपर उठ रही है. टेलिस्कोप ने इस बात की ओर इशारा भी किया कि ये भाप 124 मील ऊपर तक उठ रही है.
मार्च 2006 में कासिनी स्पेसक्राफ्ट ने सौरमंडल में मौजूद शनि ग्रह के छोटे से चंद्रमा एन्सेलाडस पर से भाप निकलने की जानकारी दी. इससे इस बात की संभावना बढ़ी कि इस चंद्रमा पर पानी जैसे तरल पदार्थ की मौजूदगी है. जब स्पेसक्राफ्ट आगे बढ़ा तो इसे कार्बन डाइऑक्साइड, अमोनिया, मीथेन और अन्य जटिल हाइड्रोकार्बन के सबूत मिले, जो एक क्रोयोगिजर्स से निकल रहे थे.
इटली में मौजूद माउंट एटना ज्वालामुखी एक सक्रिय ज्वालामुखी है, जिसमें आए दिन विस्फोट की घटनाएं होती रहती हैं. ज्वालामुखी के भीतर होने वाली रेडियोएक्टिव गतिविधियों की वजह से इसके दबाव बनता है और विस्फोट होता है. हाल ही में हुए विस्फोट के बाद इससे बड़ी मात्रा में लावा निकलते हुए देखा गया था.
सौरमंडल में मौजूद सेरेस एक क्षुद्र ग्रह है, जो मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच में स्थित है. 2015 में NASA के डॉन स्पेसक्राफ्ट ने इस पर 17 किलोमीटर लंबे एक पहाड़ की पहचान की, इसे अहुना मॉन्स का नाम दिया गया. इस पहाड़ के भीतर से लावा निकलने के सबूत मिले. वैज्ञानिकों ने पाया कि इसमें से पथरीले धातु निकल रहे थे, इसलिए से कीचड़ का ज्वालामुखी माना गया.
NASA का न्यू हॉराइजन स्पेसक्राफ्ट जब 2015 में प्लूटो पर पहुंचा तो इसे कुपियर बेल्ट के पास ज्वालामुखी के संकेत दिखे. इसे 'राइट मोन्स' का नाम दिया गया और कहा गया कि ये प्लूटो के इतिहास में एक समय सक्रिय रहा होगा. इसके लावा में पानी, अमोनिया और एक रंगीन घटक शामिल, जिसे एक जटिल कार्बनिक पदार्थ माना जाता है.
शनि ग्रह के एक अन्य चांद टाइटन पर एक ऊंचाई वाला पहाड़ी क्षेत्र मिला, जिसे लेकर माना गया कि ये ज्वालामुखियों की वजह से तैयार हुआ होगा. इसे 'डूम मॉन्स' का नाम दिया गया. 'डूम मॉन्स' पर लगातार तरल मीथेन और ईथेन से बनी हवा, बारिश और बर्फ के कण गिरते रहते हैं. ऐसे में इस ज्वालामुखी के आकार में बदलाव आता रहता है.
बृहस्पति ग्रह के आईओह चंद्रमा पर करीब 400 सक्रिय ज्वालामुखी है, जो इसे सौरमंडल में सबसे खतरनाक जगह बनाते हैं. इन ज्वालमुखियों में आईओह चंद्रमा पर मौजूद लोकी ज्वालामुखी सबसे बड़ा है. ये 200 किलोमीटर चौड़ा है और इसमें लगातार विस्फोट होता रहता है.
पृथ्वी के चंद्रमा पर मौजूद मारियस हिल्स सबसे बड़ा ज्वालामुखीय मैदानह है, यहां पर 500 मीटर गहरे गड्ढे मौजूद हैं. इस क्षेत्र में मारियल हिल्स होल मौजूद है, जो 80 मीटर चौड़ा है. इसे लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि प्राचीन लावा ट्यूब रहा होगा. हालांकि, अब ये सक्रिय नहीं है, लेकिन चांद की सतह पर कई जगह हैं, जहां लाखों साल पहले ज्वालामुखी सक्रिय रहे होंगे.
मंगल ग्रह पर मौजूद है ओलंपस मॉन्स, जो सौरमंडल में मौजूद सबसे बड़ा ज्वालामुखी है. ओलंपस मॉन्स मैग्मा के जरिए बढ़ता चला गया और इतना बड़ा हो गया. अरबों सालों तक ओलंपस मॉन्स के एक ही स्पॉट से लावा बहता रहा.
शुक्र ग्रह की सतह पर 'मैट मॉन्स' मौजूद है, जिसने ग्रह की सतह पर अपने निशाने छोड़े हुए हैं. इससे निकलने वाला लावा 75 करोड़ साल पुराना है. 1980 के दशक में शुक्र की सतह पर इन ज्वालामुखियों की वजह से मिथेन और सल्फर की मौजूदगी के बारे में पता चला.पृथ्वी पर ही नहीं इन ग्रहों और इनके चंद्रमाओं पर भी मौजूद हैं 10 बेहद खतरनाक ज्वालामुखी, देखें तस्वीरें