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पति के खिलाफ पत्नी का झूठा मुकदमा क्रूरता है : दिल्ली हाई कोर्ट

Rani Sahu
6 Sep 2023 1:29 PM GMT
पति के खिलाफ पत्नी का झूठा मुकदमा क्रूरता है : दिल्ली हाई कोर्ट
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नई दिल्ली (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि एक पत्नी द्वारा अलग हो चुके पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ लगातार झूठे मुकदमे चलाना क्रूरता है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने कहा कि पत्नी की ऐसी झूठी शिकायतें और आरोप उसके पति के खिलाफ मानसिक क्रूरता के समान हैं।
पीठ ने उनकी शादी को रद्द कर दिया, जो 1992 में हुई थी, लेकिन 1995 से अलग रह रहे थे, ये देखते हुए कि लगभग 28 साल का यह अलगाव भी गंभीर क्रूरता का संकेत देता है।
अदालत ने कहा, "लगभग 28 वर्षों का इस तरह का अलगाव मानसिक क्रूरता का एक उदाहरण है।“
अदालत ने कहा कि महिला ने अपने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए (महिला के प्रति क्रूरता), 504 और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया था।
लंबी सुनवाई के बाद उन्हें बरी कर दिया गया और उनकी पुनरीक्षण याचिका भी खारिज कर दी गई।
पीठ ने कहा कि पत्नी द्वारा लंबे समय तक लगातार मुकदमेबाजी करना क्रूरता है, खासकर तब जब मामले में क्रूरता के कथित सबूत साबित नहीं हुए हों।
तलाक देने के बजाय, अदालत ने विवाह को शून्य घोषित कर दिया।
महिला ने तर्क दिया कि, झांग समुदाय में प्रथा के अनुसार, उनकी शादी को मान्यता दी गई थी। हालांकि, पति ने तर्क दिया कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 (वी) के उल्लंघन के कारण विवाह अमान्य था, जो बिना किसी रीति-रिवाज के सपिंडों के बीच विवाह पर रोक लगाता है।
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