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IPS राकेश अस्थाना को आखिर दिल्ली का पुलिस कमिश्नर क्यों बनाया गया ?

Rohit Sharma
5 Jan 2022 12:19 PM GMT
IPS राकेश अस्थाना को आखिर दिल्ली का पुलिस कमिश्नर क्यों बनाया गया ?
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केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया किया कि आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को आखिर दिल्ली का पुलिस कमिश्नर क्यों बनाया गया। सरकार उनकी नियुक्ति को "अनिवार्य आवश्यकता" मानती है। केंद्र ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिसिंग मुद्दों की बेहद चुनौतीपूर्ण स्थितियों और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति को सही ठहराते हुए शीर्ष अदालत को एक हलफनामे के माध्यम से सूचित किया कि उन्हें जनहित के विशेष मामले के रूप में दिल्ली का पुलिस प्रमुख नियुक्त किया गया था।

आपको बता दें कि पुलिस प्रमुख के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एनजीओ सीपीआईएल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया था।

एनजीओ 'सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' (सीपीआईएल) ने अपने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दिल्ली उच्च न्यायालय के 12 अक्टूबर, 2021 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने गुजरात कैडर 1984 के अधिकारी राकेश अस्थाना को नियुक्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था।

रिटायरमेंट से चार दिन पहले बनाया गया था कमिश्नर

आपको यह बता दें कि 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से चार दिन पहले दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में उन्हें नई जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस नियुक्ति को सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पैदा हुई हालिया कानून-व्यवस्था की स्थिति पर प्रभावी पुलिसिंग प्रदान करने के लिए चुना गया था।

केंद्र ने की याचिका खारिज करने की मांग

केंद्र ने याचिकाकर्ता पर अस्थाना के खिलाफ व्यक्तिगत प्रतिशोध का आरोप लगाते हुए कहा कि किसी शिकायत के बिना उसी प्रक्रिया से दिल्ली पुलिस के आठ आयुक्तों की नियुक्ति का भी हवाला दिया। हलफनामे में कहा गया है, "दिल्ली देश की राजधानी है। इसकी एक विशिष्ट और विशेष आवश्यकता है। कुछ अप्रिय और अत्यंत चुनौतीपूर्ण सार्वजनिक व्यवस्था की समस्याओं, दंगों, अपराधों का एक अंतरराष्ट्रीय निहितार्थ है। इस कारण से एक एक विशेष अनुभवी अधिकारी की नियुक्ति की आवश्यकता की।'' केंद्र ने नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की भी मांग की।

अस्थाना ने भी दायर किए हैं हलफनामा

अस्थाना ने भी याचिका में अलग-अलग हलफनामे दायर किए हैं। उन्होंने कहा है कि शीर्ष अदालत में याचिकाएं उनकी प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए एक तीखे सोशल मीडिया अभियान के बाद दायर की गई थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता एनजीओ और प्रशांत भूषण उनके खिलाफ व्यक्तिगत प्रतिशोध की भावना रखते हैं।

इस बीच, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए जनवरी के तीसरे सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया।

दिल्ली पुलिस ने नियुक्ति को ठहराया था जायज

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अस्थाना के चयन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि अस्थाना की नियुक्ति के लिए केंद्र द्वारा दिए गए औचित्य और कारण प्रशंसनीय हैं। कोर्ट ने न्यायिक समीक्षा में हस्तक्षेप नहीं करने का आह्वान किया।

आपको बता दें कि एक वर्ष के कार्यकाल के लिए गुजरात कैडर से केंद्र शासित प्रदेश कैडर में स्थानांतरित होने के बाद, सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक के रूप में कार्यरत अस्थाना को 27 जुलाई, 2021 को दिल्ली पुलिस का आयुक्त नियुक्त किया गया था। एनजीओ की याचिका में शीर्ष अदालत से अस्थाना को उनकी सेवा अवधि बढ़ाने के बाद नियुक्त करने के केंद्र के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

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