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नई दिल्ली : देश की आजादी के संघर्ष काल के दौरान साल 1915 से लेकर 1934 तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने दिल्ली का दिल कहे जाने वाले चांदनी चौक (Chandni Chowk) क्षेत्र में अलग-अलग 8 जगहों पर जनसभाएं कीं और लोगों को संबोधित कर देशभक्ति के साथ एकजुटता का संदेश भी दिया था. यह सभी आठों जगह इतिहास के पन्नों में आजादी के संघर्ष (Struggle for Independence) की न सिर्फ गवाही देती हैं, बल्कि आज भी ये जगहें इतिहास के उन स्वर्णिम कहानियों को बयां कर रही हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.
इस साल आजादी के 75 वर्ष पूरे हो जाने के उपलक्ष्य में देश में तरह तरह के आयोजन हो रहे हैं. राजधानी दिल्ली में इस अवसर को अमृत महोत्सव के रूप में बड़े स्तर पर उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. राजधानी दिल्ली में जगह-जगह तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं. राजधानी का दिल कहे जाने वाला चांदनी चौक का क्षेत्र आजादी के समय से ही बेहद महत्वपूर्ण रहा है और इस जगह का इतिहास इस बात की गवाही देता है.
आज हम आपको चांदनी चौक (Chandni Chowk) के अंदर ऐसी ही 8 महत्वपूर्ण जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आजादी के संघर्ष की गवाह रही हैं. इन सभी आठ स्थानों पर 1915 से लेकर 1931 तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने जनसभाएं कर लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना भर आजादी के संघर्ष को परवानगी चढ़ाई थी.
चांदनी चौक में स्थित कटरा खुशहाल राय के निवासी ब्रज कृष्ण चांदीवाला आजादी के संघर्ष के दिनों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सबसे निकटतम लोगों में से एक थे. ब्रज कृष्ण का चांदी का व्यापार था. इसलिए वह अपने नाम के पीछे चांदीवाला लगाते थे. महात्मा गांधी से प्रभावित होकर ब्रज कृष्ण उनके अनुयाई बन गए थे और खादी पहनना भी उन्होंने शुरू कर दिया था.साल 1924 में सांप्रदायिक सद्भाव के लिए महात्मा गांधी ने जब 21 दिन का व्रत भी रखा था. उस समय भी ब्रज कृष्ण महात्मा गांधी के साथ रहकर उनके सहयोगी के रूप में काम कर रहे थे. महात्मा गांधी के आहार में प्रमुख रूप से शामिल बकरी के दूध का प्रबंध भी उस समय ब्रज कृष्ण चांदीवाला ही किया करते थे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जब निर्मम हत्या हुई थी. उस दिन भी ब्रज कृष्ण चांदीवाला उनके साथ ही थे और गांधी जी के अंतिम संस्कार की तैयारियों में भी ब्रज कृष्ण चांदीवाला ने अपना सहयोग दिया था. बाद में ब्रज कृष्ण चांदीवाला ने बकाया तीन भागों में एक पुस्तक भी लिखी है, जिसका नाम "बापू के चरणों में" है. कटरा खुशहाल राय में ही महात्मा गांधी ने आजादी के संघर्ष के दिनों में एक सभा भी की थी.
2. कूंचा नटवाचांदनी चौक में मशहूर कूंचा नटवा से भी राष्ट्रपति महात्मा गांधी की यादें जुड़ी हुई हैं.दरअसल आजादी के संघर्ष के दिनों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सन् 1929 में 19 फरवरी और 5 जुलाई के दिन पंडित लक्ष्मी नारायण गड़ोदिया के घर कुचा नटवा में स्थित उनके निवास पर रुके थे.3. मारवाड़ी सार्वजनिक पुस्तकालयचांदनी चौक मेन मार्केट का 1.3 किलोमीटर के इसी रास्ते पर मारवाड़ी सार्वजनिक पुस्तकालय स्थित है. यह देश की आजादी के संघर्ष का ना सिर्फ अब गवाह रहा है, बल्कि इसका हिस्सा भी रहा है. मारवाड़ी सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना स्वतंत्रता सेनानी सेठ केदारनाथ गोयनका ने की थी. आजादी के संघर्ष के दिनों में सन 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कई बार इस पुस्तकालय में मीटिंग की. यहां पर वह बेहद जरूरी और अहम विषयों के ऊपर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और पंडित मदन मोहन मालवीय से अक्सर मिलकर चर्चा किया करते थे.4. गांधी मैदान-चांदनी चौकचांदनी चौक का गांधी मैदान अपने आप में देश की आजादी के संघर्ष में बेहद ऐतिहासिक रहा है. असहयोग आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के द्वारा यहां पर दिल्ली हिंदुस्तान मर्केंटाइल एसोसिएशन की मीटिंग में न सिर्फ शिरकत की गई थी, बल्कि उसे संबोधित भी किया गया था.5. पत्थर वाला कुआं-मोती सिनेमाआजादी के संघर्ष के दिनों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सन 1918 में 30 अप्रैल के दिन शाम को पत्थर वाले कुएं पर बनारसी कृष्णा थिएटर, जो लाजपत राय मार्केट में हुआ करता था, के अंदर एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था. वहीं दूसरी बार सन 1924 में 24 दिसंबर के दिन लंदन बैंक मार्केट (लाजपतराय मार्किट), जो इसी क्षेत्र में स्थित है, के मैदान में भी गांधी जी ने सार्वजनिक सभा में भाग लेकर लोगों को संबोधित किया था.6. संगम थियेटर-जगत सिनेमासंगम थिएटर या फिर जगत सिनेमा का नाम लेते ही दिल्ली बड़े बुर्जगों के दिलों में पुराने दिनों की याद ताजा हो जाती है. लेकिन इस जगह का खास जुड़ाव राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से भी है. दरअसल सन 1915 में 12 अप्रैल के दिन शाम के समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और कस्तूरबा जी के स्वागत में संगम थिएटर में हकीम अजमल खान की अध्यक्षता में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एकता और संयम पर भाषण भी दिया था. वहीं जून 1916 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने संगम थिएटर के अंदर एनी बेसेंट की सहयोगी मिस गमाइनर द्वारा बुलाए जाने पर भी गए थे. जबकि 24 नवंबर 1919 में संगम थिएटर में खिलाफत कांग्रेस की मीटिंग की अध्यक्षता भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने की थी.7. पटौदी हाउस- दरियागंजसन 1919 में 1 नवंबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दरियागंज में स्थित पटौदी हाउस गए थे. जहां उन्होंने 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला नरसंहार के शहीदों की स्मृति में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था. कहा जाता है कि उन दिनों पटौदी हाउस स्वतंत्रा आंदोलन का खास केंद्र बना हुआ था और यहां पर सैकड़ों सभाएं आयोजित हुआ करती थी. 16 जनवरी 1920 को भी एक विशाल जनसभा यही आयोजित की गई थी, जिसे राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने संबोधित किया था. इसके बाद 22 मार्च 1920 को पटौदी हाउस में हिंदू मुस्लिम नेताओं की मीटिंग में भाग लेकर महात्मा गांधी ने एक कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित किया था.8. गुरुद्वारा-शीशगंजदेश की आजादी के संघर्ष काल में गुरुद्वारा शीशगंज का भी बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है. गुरुद्वारा शीशगंज शुरू से ही सिखों की आस्था का ना सिर्फ प्रतीक रहा है, बल्कि इस गुरुद्वारे के अंदर सिखों के द्वारा देश की आजादी के संघर्ष को आगे बढ़ाए जाने के मद्देनजर कई महत्वपूर्ण बैठकें और सभाएं होती थी. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सन 1931 में 6 मार्च के दिन सिखों के निमंत्रण पर गुरुद्वारा शीशगंज साहिब आए थे और यहां उन्होंने लोगों को संबोधित करने के साथ एकजुटता का संदेश भी दिया था.