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आखिर क्या होता है अध्यादेश? केंद्र सरकार ने कैसे पलट दिया सुप्रीम कोर्ट का फैसला ?

Ashwandewangan
20 May 2023 12:44 PM GMT
आखिर क्या होता है अध्यादेश? केंद्र सरकार ने कैसे पलट दिया सुप्रीम कोर्ट का फैसला ?
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दिल्‍ली में अफसरों की तबादला-पोस्टिंग शक्ति प्रदर्शन का मोहरा बन गई है। हफ्ते भर पहले, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था। शुक्रवार देर रात केंद्र ने SC के आदेश को पलटने वाला अध्यादेश जारी कर दिया। इसमें कहा गया कि DANICS कैडर के ग्रुप A अधिकारियों के तबादले और अनुशासनात्‍मक कार्रवाई के लिए 'राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण' गठित किया गया है। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने इसे 'सुप्रीम कोर्ट की अवमानना' करार दिया है। अन्य विपक्षी दलों के भी ऐसे ही बयान आए हैं। मामले में दिल्‍ली सरकार के वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 'नए अध्यादेश का गहन अध्ययन करना होगा। लेकिन स्पष्ट रूप से यह खराब, बेहद खराब और ‘बेहयाई’ वाला कदम है। इसपर संदेह है कि क्या संसद इसे अपनी मंजूरी देगी।'

क्या अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा जा सकता है? क्‍या अब दिल्‍ली सरकार के पास कोई कानूनी विकल्‍प नहीं बचा? क्या राष्ट्रपति के हाथों जारी होने वाला अध्यादेश कानून बन जाता है? संसद की क्‍या भूमिका होती है? इन्हीं सब सवालों के जवाब जानते हैं।

अध्यादेश क्या है? कौन जारी करता है?

संविधान के अनुच्छेद 123 में राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्तियों का वर्णन है। अगर कोई ऐसा विषय हो जिस पर तत्काल कानून बनाने की जरूरत हो और उस समय संसद न चल रही हो तो अध्यादेश लाया जा सकता है। अध्यादेश का प्रभाव उतना ही रहता है, जितना संसद से पारित कानून का होता है। इन्‍हें कभी भी वापस लिया जा सकता है। अध्यादेश के जरिए नागरिकों से उनके मूल अधिकार नहीं छीने जा सकते। केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करते हैं। चूंकि कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। ऐसे में अध्यादेश को संसद की मंजूरी चाहिए होती है। अध्यादेश को संसद में छह सप्ताह के भीतर पारित कराना होता है। अध्यादेश जारी करने के छह महीने के भीतर संसद सत्र बुलाना अनिवार्य है।

राज्यों में गवर्नर अध्यादेश जारी कर सकते हैं। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 213 में व्यवस्था है। शर्तें वही रहती हैं कि विधानसभा का सत्र न चल रहा हो। अध्यादेश को जारी करने के छह महीने के भीतर विधानसभा से पारित भी कराना होता है।

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क्‍या पलटा जा सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

संसद के पास कानून बनाकर अदालत के फैसले को पलटने की शक्तियां हैं। हालांकि, कानून सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोधाभासी नहीं हो सकता। कानून में अदालत के फैसले की सोच को एड्रेस करना जरूरी है। मतलब यह कि फैसले के आधार को हटाता हुआ कानून पारित हो सकता है। जुलाई 2021 के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस दोष की ओर इशारा किया गया है उसे इस तरह ठीक किया जाना चाहिए था कि दोष को इंगित करने वाले निर्णय का आधार हटा दिया गया हो।

दिल्‍ली सरकार की शआखिर क्या होता है अध्यादेश? केंद्र सरकार ने कैसे पलट दिया सुप्रीम कोर्ट का फैसला ?

क्तियों के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की दो संविधान पीठ सुनवाई कर चुकी हैं। दोनों बार संविधान के अनुच्छेद 239A की व्याख्या की गई। 1991 में जब 239A अस्तित्व में आया तब संसद ने Government of National Capital Territory of Delhi Act, 1991 भी पास किया। इसमें विधानसभा और दिल्‍ली सरकार के कामकाज का ढांचा तैयार किया गया। SC की संविधान बेंच ने अपने फैसले में 'लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांत' को संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा बताया था। चूंकि अदालती फैसले का आधार संवैधानिक प्रावधानों में है, इसपर बहस हो सकती है कि GNCTD एक्ट, 1991 में बदलाव से फैसले का असर खत्म हो जाएगा या नहीं।

संसद कोई ऐसा कानून नहीं बना सकती, न ही संविधान में ऐसा संशोधन कर सकती है जिससे संविधान के मूल ढांचे का उल्‍लंघन होता हो। 2018 में बहुमत से संविधान पीठ ने फैसला दिया था कि दिल्‍ली को भले ही पूर्ण राज्‍य का दर्जा नहीं दिया जा सकता, वहां संघवाद का सिद्धांत लागू होगा।

क्या अध्यादेश को चुनौती दी जा सकती है?

सुप्रीम कोर्ट ने RC कूपर बनाम भारत संघ (1970) में कहा था कि राष्ट्रपति के निर्णय को चुनौती दी जा सकती है। इस आधार पर कि 'तत्काल कार्रवाई की जरूरत नहीं थी।' अध्‍यादेश को चुनौती दी जा सकती है। फिर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को तय करना होगा कि मामले पर संविधान बेंच बनाए या नहीं। कुल मिलाकर दिल्‍ली में पावर की खींचतान अभी लंबी चलने वाली है।

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प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।

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