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देश की राजधानी दिल्ली में एचआईवी पीड़ितों का एक समूह हाथों में स्लोगन वाले पोस्टर लेकर प्रदर्शन कर रहा है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) कार्यालय के बाहर यह धरना प्रदर्शन जारी है।
एचआईवी यानी ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस की दवाओं कमी के खिलाफ राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन हो रहा है। एचआईवी पीड़ितों का एक समूह पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहा है।
प्रदर्शन कर रहे एक पीड़ित ने बताया कि दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में पिछले पांच महीने से एंटीरेट्रोवायरल (एआरवी) दवाओं की कमी चल रह रही है। एंटीरेट्रोवायरल दवाएं एचआईवी मरीजों को सामान्य और स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए दिए जाते हैं। दवाओं की कमी के बारे में हमने राज्य ऑथरिटी को भी लिखा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार हमें प्रदर्शन करना पड़ा।
एक दूसरे मरीज ने कहा कि एचआईवी मरीजों को दी जाने वाली दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। अगर ये दवाइयां नही हैं तो भारत एचआईवी फ्री देश कैसे बन पाएगा। वहीं सोमवार को आधिकारिक सूत्रों ने जानकारी दी थी कि करीब 95 फीसदी एचआईवी मरीजों के लिए देशभर में पर्याप्त दवा है। दिल्ली में एंटीरेट्रोवायरल (एआरवी) दवाओं की कमी नहीं है और कई दवाओं के ऑर्डर दिए जा चुके हैं।
क्या है एंटीरेट्रोवायरल (एआरवी) दवा ?
हांलाकि, एचआईवी का कोई इलाज नहीं है। एंटीरेट्रोवायरल (एआरवी) मरीजों को प्राथमिक उपचार के लिए दिया जाता है। रोगी को वायरस के लेवल के आधार पर हर दिन सात एंटीरेट्रोवायरल दवा लेनी पड़ती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो एआरवी की दवा एचआईवी संचारित करने के खतरे का कम करता है